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Numbers 23

:
Hindi - CLBSI
1 बिल्‍आम ने राजा बालाक से कहा, ‘यहाँ मेरे लिए सात वेदियाँ बनाइए, और यहीं मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़ों का प्रबन्‍ध कीजिए।’
2 बालाक ने बिल्‍आम के वचन के अनुसार किया। बालाक और बिल्‍आम ने प्रत्‍येक वेदी पर एक बैल तथा एक मेढ़ा चढ़ाया।
3 बिल्‍आम ने राजा बालाक से कहा, ‘आप अपनी अग्‍नि-बलि के निकट खड़े रहिए। मैं जाऊंगा; कदाचित् प्रभु मुझसे मिलने के लिए आए। जो कुछ वह मुझे दिखाएगा उसे मैं आपको बताऊंगा।’ बिल्‍आम मुंडी पहाड़ी पर चला गया।
4 परमेश्‍वर बिल्‍आम से मिला। बिल्‍आम ने उससे कहा, ‘मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं, और प्रत्‍येक वेदी पर एक बैल तथा एक मेढ़ा चढ़ाया है।’
5 अत: प्रभु ने बिल्‍आम के मुंह में शब्‍द डाला और कहा, ‘बालाक के पास लौट जा। तू उससे यों कहना।’
6 बिल्‍आम बालाक के पास लौट आया। बालाक और मोआब के अधिकारी उसकी अग्‍नि-बलि के निकट खड़े थे।
7 बिल्‍आम ने अपनी गाथा गाना आरम्‍भ किया। उसने गाया: ‘बालाक ने, मोआब के राजा ने मुझे सीरिया देश से, पूर्वी पहाड़ियों से बुलाया: “आओ, मेरे लिए याकूब को श्राप दो, आओ, इस्राएल की भत्‍र्सना करो।”
8 मैं उसको कैसे श्राप दूं जिसको परमेश्‍वर ने श्राप नहीं दिया? मैं उसकी कैसे भत्‍र्सना करूं जिसकी प्रभु ने भत्‍र्सना नहीं की?
9 चट्टानों के शिखर पर से, मैंने उसे देखा है, पहाड़ियों से मैंने उसका अवलोकन किया है: देखो, लोग अलग बसे हैं, अन्‍य राष्‍ट्रों के साथ उनकी गणना नहीं की गई!
10 याकूब के असंख्‍य वंशजों को कौन गिन सकता है? कौन गणना कर सकता है इस्राएल के करोड़ों की? भला हो कि मेरी मृत्‍यु निष्‍कपट व्यक्‍ति के सदृश हो! मेरा अन्‍त उन लोगों के समान हो!’
11 राजा बालाक ने बिल्‍आम से कहा, ‘यह तुमने मेरे साथ क्‍या किया? मैं तुम्‍हें अपने शत्रुओं को श्राप देने के लिए लाया था, परन्‍तु तुमने उन पर आशिषों की वर्षा कर दी!’
12 बिल्‍आम ने उत्तर दिया, ‘जो कुछ प्रभु मेरे मुंह में डालता है क्‍या उसे बोलने का मुझे ध्‍यान नहीं रखना चाहिए?
13 बालाक ने उससे कहा, ‘आओ, मेरे साथ दूसरे स्‍थान को चलो जहाँ से तुम उन्‍हें देख सकते हो। यहाँ से तुम निकतवर्ती लोगों को ही देख सकते हो, उन सबको नहीं। तुम वहाँ से मेरे लिए उन्‍हें श्राप देना।’
14 अत: वह उसे सोपीम नामक मैदान में, पिस्‍गा की चोटी पर ले गया। उसने वहाँ सात वेदियां बनाईं और प्रत्‍येक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़ा चढ़ाया।
15 बिल्‍आम ने बालाक से कहा, ‘आप यहाँ अपनी अग्‍नि-बलि के निकट खड़े रहिए, तब तक मैं प्रभु से वहाँ भेंट करूंगा।’
16 प्रभु बिल्‍आम से मिला। उसने उसके मुंह में शब्‍द डाला और उससे कहा, ‘बालाक के पास लौट जा। तू उससे यों कहना।’
17 बिल्‍आम बालाक के पास आया। बालाक अपनी अग्‍नि-बलि के निकट खड़ा था। उसके साथ मोआब के अधिकारी थे। बालाक ने उससे पूछा, ‘प्रभु क्‍या बोला?’
18 बिल्‍आम ने अपनी गाथा गाना आरम्‍भ किया। उसने गाया, ‘ओ बालाक उठ, और मेरी बात सुन! सिप्‍पोर के पुत्र, मेरी बात पर कान दे;
19 परमेश्‍वर मनुष्‍य नहीं है कि वह झूठ बोले, और वह मनुष्‍य का पुत्र है कि पश्‍चात्ताप करे! जो उसने कहा, क्‍या वह उसको करे? जो वह बोले, क्‍या वह उसको पूर्ण करे?
20 देखो, आशिष ही देने का आदेश मुझे मिला है: परमेश्‍वर आशिष दे चुका है, और मैं उसको रद्द नहीं कर सकता!
21 उसने याकूब में बुराई नहीं देखी, और इस्राएल में कष्‍ट देखा। उनका प्रभु परमेश्‍वर उनके साथ है; वह उनका राजा है। उनमें राजा का जय-जयकार होता है।
22 परमेश्‍वर ने उन्‍हें मिस्र देश से बाहर निकाला है: उनमें जंगली सांड़ के सदृश बल है।
23 याकूब पर कोई मन्‍त्र नहीं चल सकता, इस्राएल के विरुद्ध सगुन का विचार नहीं हो सकता। अब याकूब के विषय में यह कहा जाएगा, “परमेश्‍वर ने इस्राएल में कैसा आश्‍चर्यपूर्ण कार्य किया!
24 देखो, इस्राएली लोगों को! वे सिंहनी के सदृश उठ रहे हैं। वे सिंह के समान स्‍वयं को ऊंचा उठा रहे हैं। जब तक सिंह अपने शिकार को नहीं खाता और अपने अहेर का रक्‍त नहीं पीता तब तक वह नहीं लेटता है।”
25 राजा बालाक ने बिल्‍आम से कहा, ‘अच्‍छा! तुम तो उन्‍हें श्राप दो, और आशिष ही।’
26 किन्‍तु बिल्‍आम ने बालाक को उत्तर दिया, ‘क्‍या मैंने आपसे यह नहीं कहा था, “जो कुछ प्रभु मुझसे कहेगा, वही मैं करूंगा”?’
27 बालाक ने बिल्‍आम से कहा, ‘आओ, मैं तुम्‍हें दूसरे स्‍थान पर ले जाऊंगा। सम्‍भवत: यह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में उचित प्रतीत हो कि तुम वहाँ से मेरे लिए उन्‍हें श्राप दो।’
28 अत: बालाक बिल्‍आम को पओर की चोटी पर ले गया, जो मरुस्‍थल की ओर झुकी है।
29 बिल्‍आम ने बालाक से कहा, ‘यहाँ मेरे लिए सात वेदियाँ बनाइए, और यहीं मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़ों का प्रबन्‍ध कीजिए।’
30 बालाक ने बिल्‍आम के कथनानुसार किया। उसने प्रत्‍येक वेदी पर एक बैल तथा एक मेढ़ा चढ़ाया।