Numbers 21
1 जब अराद के कनानी राजा ने, जो नेगेब में रहता था, सुना कि इस्राएली अतारीम के मार्ग से आ रहे हैं, तब उसने इस्राएलियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया और उनमें से कुछ व्यक्तियों को बन्दी बना लिया।
2 इस्राएलियों ने प्रभु से यह मन्नत मानी और कहा, ‘यदि तू इन लोगों को हमारे हाथ में दे देगा, तो हम इनके नगरों को पूर्णत: ध्वस्त कर देंगे।’
3 प्रभु ने इस्राएलियों की वाणी सुनी। उसने कनानियों को उनके हाथ में सौंप दिया। अत: इस्राएलियों ने उनको एवं उनके नगरों को पूर्णत: ध्वस्त कर दिया। इस कारण उस स्थान का नाम ‘होर्मा ’ पड़ा।
4 उन्होंने होर पर्वत से प्रस्थान किया। वे एदोम देश के किनारे-किनारे जाने के लिए अकाबा की खाड़ी के मार्ग पर चल पड़े। मार्ग में चलते-चलते लोग अधीर हो गए।
5 वे परमेश्वर और मूसा के विरुद्ध बोलने लगे, ‘आप हमें मिस्र देश से निकालकर इस निर्जन-प्रदेश में क्यों लाए? क्या हमें मारने के लिए? यहाँ न रोटी है और न पानी। हम इस रोटी से, जिससे तृप्ति नहीं होती, ऊब गए हैं।’
6 तब प्रभु ने लोगों के मध्य आग्नेय सर्प भेजे जिन्होंने उनको डस लिया। अत: अनेक इस्राएली मर गए।
7 लोग मूसा के पास आए। उन्होंने कहा, ‘हमने प्रभु के और आपके विरुद्ध बोलकर पाप किया है। प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि वह हमारे मध्य से सर्पों को दूर करे।’ मूसा ने लोगों के लिए प्रभु से प्रार्थना की।
8 प्रभु ने मूसा से कहा, ‘एक आग्नेय सर्प बना और उसको एक खम्भे पर लटका। जब सर्प से डसा हुआ व्यक्ति उसको देखेगा, तब वह बच जाएगा।’
9 अत: मूसा ने पीतल का एक सर्प बनाया और उसको एक खम्भे पर लटका दिया। यदि आग्नेय सर्प किसी मनुष्य को काटता था तो वह पीतल के सर्प को देखता और बच जाता था।
10 इस्राएलियों ने प्रस्थान किया। उन्होंने ओबोत में पड़ाव डाला।
11 तब ओबोत से प्रस्थान कर मोआब के सम्मुख, पूर्व की ओर निर्जन प्रदेश के इय्ये-अबारीम में पड़ाव डाला।
12 उन्होंने वहाँ से प्रस्थान किया, और जेरेद की घाटी में पड़ाव डाला।
13 उन्होंने वहाँ से प्रस्थान किया, और अर्नोन नदी के उस पार पड़ाव डाला। अर्नोन नदी उस निर्जन प्रदेश में है, जिसका फैलाव एमोरी देश की सीमा से आरम्भ होता है। अर्नोन नदी मोआब और एमोरी राज्यों के मध्य, मोआब की सीमा है।
14 इसलिए ‘प्रभु के युद्ध’ नामक पुस्तक में यह कहा गया है: “सूफा क्षेत्र में वाहेब नगर, तथा अर्नोन नदी की घाटियाँ,
15 और घाटियों की वह ढाल जो आर नगर की ओर फैली है, जो मोआब की सीमा पर झुकी है।”
16 वहाँ से वे बेअर तक गए। यह एक कुआं है, जिसके विषय में प्रभु ने मूसा से कहा था, ‘लोगों को एकत्र कर! मैं उन्हें पानी दूंगा।’
17 तब इस्राएलियों ने यह गीत गाया: ‘ओ कुएं, फूट पड़! लोगो! उस कुएं का गीत गाओ,
18 जिसको अधिकारियों ने खोदा था, जिसको लोगों के नेताओं ने अपने-अपने राजदण्ड से, अपनी-अपनी सोंटी से खोदा था।’ तत्पश्चात् वे निर्जन प्रदेश से मत्तानाह गए,
19 मत्तानाह से नहलीएल, और नहलीएल से बामोत।
20 वे बामोत से उस घाटी की ओर गए, जो मोआब के क्षेत्र में है, और जो पिस्गा के उस शिखर की ओर है जो मरुस्थल की ओर झुका है।
21 इस्राएलियों ने एमोरी राजा सीहोन के पास दूत भेजे और कहा,
22 ‘हमें अपने देश से होकर जाने दीजिए। हम आपके खेतों और अंगूर उद्यानों की ओर नहीं देखेंगे। आपके कुओं का पानी भी नहीं पीएंगे। जब तक हम आपकी सीमा से पार नहीं हो जाएंगे, तब तक हम राजमार्ग पर चलते जाएंगे।’
23 किन्तु सीहोन ने इस्राएलियों को अपनी सीमा से होकर जाने की अनुमति नहीं दी, वरन् उसने अपनी प्रजा के लोगों को एकत्र किया, और इस्राएलियों का सामना करने के लिए निर्जन प्रदेश में गया। वह याहस में आया और उसने इस्राएलियों से युद्ध किया।
24 इस्राएलियों ने तलवार की नोक से उसे बेध दिया और उसके देश पर, अर्नोन नदी से यब्बोक नदी तक, अम्मोनियों की सीमा तक, अधिकार कर लिया। अम्मोनियों की राज्य-सीमा यजेर थी।
25 इस्राएलियों ने इन सब नगरों पर अधिकार कर लिया। वे एमोरियों के सब नगरों में, हेश्बोन और उसके गांवों में, बस गए।
26 हेश्बोन एमोरियों के राजा सीहोन का नगर था। यह वही सीहोन था, जिसने मोआब के प्रथम राजा से युद्ध कर उसके हाथ से उसका सारा देश, अर्नोन नदी तक, छीन लिया था।
27 इसलिए गाथा गानेवाले कहते हैं: ‘हेश्बोन में आओ! राजा सीहोन का नगर बसे, वह स्थापित किया जाए!
28 क्योंकि हेश्बोन से आग निकली, राजा सीहोन के नगर से ज्वाला निकली! उसने मोआब के आर नगर को भस्म कर दिया, अर्नोन के पहाड़ी शिखर के पूजागृहों को निगल लिया।
29 ओ मोआब, धिक्कार है तुझे! ओ कमोश देवता के लोगो, तुम मर-मिटे! उसने अपने पुत्रों को फरारी, और पुत्रियों को एमोरी राजा सीहोन की बन्दिनी बना दिया।
30 हेश्बोन ने उनके बच्चों को दीबोन तक, उनकी स्त्रियों को नोपह तक, उनके पुरुषों को मैद्बा तक मार डाला।
31 इस प्रकार इस्राएली एमोरियों के देश में बस गए।
32 मूसा ने यजेर का भेद लेने के लिए दूत भेजे। इस्राएलियों ने उनके गांवों पर अधिकार कर लिया, और जो एमोरी वहाँ रहते थे, उन्हें निकाल दिया।
33 तत्पश्चात् वे आगे बढ़े और बाशान के मार्ग की ओर गए। बाशान का राजा ओग उनका सामना करने को निकला। वह एद्रेई में उनसे युद्ध करने के लिए आया।
34 प्रभु ने मूसा से कहा, ‘उससे मत डर! मैंने उसको, उसकी सब प्रजा को तथा उसके देश को तेरे हाथ में सौंप दिया है। जैसा तूने एमोरियों के राजा सीहोन के साथ, जो हेश्बोन में रहता था, किया था, वैसे ही उसके साथ करना।’
35 अत: इस्राएलियों ने उसका, उसके पुत्रों तथा उसके लोगों का इस प्रकार वध किया कि उसका एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचा। उन्होंने उसके देश पर अधिकार कर लिया।