Nehemiah 8
1 वे संगठित होकर ‘जल-द्वार’ के सम्मुख चौक में एकत्र हुए। उन्होंने शास्त्री एज्रा से निवेदन किया कि वह मूसा के व्यवस्था-ग्रन्थ को लाए जो प्रभु ने इस्राएली कौम को प्रदान किया है।
2 अत: पुरोहित एज्रा ने सातवें महीने के प्रथम दिन धर्म-सभा के सम्मुख व्यवस्था-ग्रन्थ प्रस्तुत किया। इस धर्म-सभा में स्त्री-पुरुष तथा वे सब लोग उपस्थित थे जो पाठ को सुनकर समझ सकते थे।
3 उसने जल-द्वार के सम्मुख चौक में स्त्री-पुरुषों तथा उन सब लोगों के सामने व्यवस्था-ग्रन्थ को पढ़ना आरम्भ किया जो सुन कर समझ सकते थे। एज्रा सबेरे से दोपहर तक उसको पढ़ता रहा। सब लोगों के कान व्यवस्था-ग्रन्थ के पाठ की ओर लगे थे।
4 शास्त्री एज्रा लकड़ी के मंच पर खड़ा था। यह मंच इसी उद्देश्य से बनाया गया था। एज्रा की दाहिनी ओर मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरियाह, हिल्कियाह और मासेयाह थे, और बायीं ओर पदायाह, मीशाएल, मल्कियाह, हाशूम, हबश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम थे।
5 एज्रा ने सबके सामने व्यवस्था-ग्रन्थ को खोला, क्योंकि वह लोगों से ऊंचे स्थान पर खड़ा था। जब एज्रा ने व्यवस्था-ग्रन्थ को खोला, तब सब लोग खड़े हो गए।
6 एज्रा ने महान प्रभु परमेश्वर को धन्य कहा, और उसके उत्तर में सब लोग आकाश की ओर हाथ उठाकर बोले, ‘आमेन! आमेन!’ उन्होंने सिर झुकाया, और भूमि पर साष्टांग लेट कर प्रभु की वन्दना की।
7 उपपुरोहित येशुअ, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतई, होदियाह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह ने लोगों को धर्म-व्यवस्था की बातें समझाने में सहायता की। लोग अपने-अपने स्थान पर खड़े रहे।
8 उन्होंने ग्रन्थ से, परमेश्वर की व्यवस्था से स्पष्ट स्वर में पाठ पढ़ा और उसकी व्याख्या की। लोगों ने पाठ को समझ लिया।
9 जब लोगों ने व्यवस्था के शब्द सुने तब वे रोने लगे। राज्यपाल नहेम्याह, पुरोहित एवं शास्त्री एज्रा तथा समाज के धर्म-शिक्षक उपपुरोहितों ने समस्त इस्राएली जन-समूह से कहा, ‘आज का दिन हमारे प्रभु परमेश्वर के लिए पवित्र है; इसलिए शोक मत मनाओ, और न रोओ।’
10 फिर उसने उनसे कहा, ‘अब जाओ, अच्छे से अच्छा भोजन खाओ, और मधु तथा मीठा रस पीओ। उन गरीबों को भोजन खिलाओ, जिनके घर में चूल्हा भी नहीं जलता है, क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिए पवित्र है। उदास मत हो; क्योंकि प्रभु का आनन्द तुम्हारी शक्ति है।’
11 उपपुरोहितों ने यह कहकर लोगों को चुप कराया, ‘शान्त रहो, उदास मत हो, क्योंकि आज का दिन पवित्र है।’
12 अत: लोग घर लौट गए। उन्होंने खाया-पीया, और गरीब लोगों को भोजन खिलाया। यों उन्होंने बड़ा आनन्द मनाया; क्योंकि जो बात उनसे कही गई थी, उसको उन्होंने समझ लिया था।
13 दूसरे दिन समस्त इस्राएली पितृकुलों के मुखिया व्यवस्था-ग्रन्थ के वचनों का अध्ययन करने के लिए पुरोहितों और उपपुरोहितों के साथ शास्त्री एज्रा के पास आए।
14 वहाँ उन्हें व्यवस्था-ग्रन्थ में यह लिखा हुआ मिला: ‘प्रभु ने मूसा के द्वारा इस्राएली कौम को यह आज्ञा दी थी कि वे सातवें महीने के पर्व के अवसर पर मण्डपों में रहेंगे।
15 वे यरूशलेम और सब नगरों में यह घोषणा घोषित करेंगे: “पहाड़ों-पहाड़ियों पर जाओ और वहाँ से जैतून वृक्षों, जंगली जैतून-वृक्षों, मेहंदी, खजूर और पत्तेवाले वृक्षों से शाखाएँ काटकर लाओ, और उनसे मण्डप बनाओ, जैसा कि व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखा है।” ’
16 अत: सब लोग अपने घर से निकलकर पहाड़ियों पर गए, और वहाँ से शाखाएँ ले आए। उन्होंने शाखाओं से अपने घर की छत पर, अपने घर के आंगनों में, परमेश्वर के भवन के आंगनों में, ‘जल-द्वार’ के चौक में, ‘एफ्रइम द्वार’ के चौक में मण्डप बनाए।
17 इस प्रकार समस्त धर्मसभा ने, अर्थात् उन सब लोगों ने, जो निष्कासन से लौटे थे, मण्डप बनाए और वे उनमें पर्व मनाने के लिए रहने लगे। यहोशुअ बेन-नून के समय से अब तक इस्राएलियों ने इस प्रकार पर्व नहीं मनाया था। अत: लोगों ने खूब उत्साह से यह पर्व मनाया।
18 पर्व के पहले दिन से अन्तिम दिन तक एज्रा ने परमेश्वर के व्यवस्था-ग्रन्थ का पाठ किया। लोगों ने सात दिन तक पर्व मनाया, और धर्म-विधि के अनुसार उन्होंने पर्व के आठवें दिन धर्म-महासम्मेलन का आयोजन किया।