Micah 3
1 ‘मेरी बात सुनो: ओ याकूब-वंशियों के अगुओ, ओ इस्राएल-वंशियों के शासको, क्या तुम्हें न्याय के सिद्धान्त नहीं जानना चाहिए?
2 तुम भलाई से घृणा करते, पर बुराई से प्रेम। तुम मेरे अपने लोगों की खाल खींचते हो, उनकी हड्डियों से मांस नोंच लेते हो।
3 तुम मेरे निज लोगों का मांस खाते हो, तुम उनकी चमड़ी उधेड़ लेते हो। हांडी के गोश्त की तरह कड़ाह के मांस के समान तुम उनकी हड्डियों को चूर-चूर करते हो, उनकी बोटी-बोटी करते हो।’
4 संकट के समय, तुम प्रभु की दुहाई दोगे, पर वह तुम्हारी दुहाई का उत्तर नहीं देगा। उस समय वह तुमसे अपना मुंह छिपाएगा क्योंकि तुमने दुष्कर्म किए हैं।
5 प्रभु ने नबियों के विषय में यह कहा है: ‘इन नबियों ने मेरे लोगों को पथभ्रष्ट किया है: जब इनके पेट भरे रहते हैं तब वे आश्वासन देते हैं, कि युद्ध नहीं होगा! पर जब लोग उन्हें खाने को नहीं देते तब वे उनको युद्ध की धमकी देते हैं।’
6 अत: ओ नबियो! रात में तुम्हें दर्शन नहीं मिलेगा, और न ही अन्धकार में तुम शकुन विचार सकोगे। तुम-नबियों का सूर्य अस्त हो जाएगा, तुम्हारे दिन भी अन्धकार में बदल जाएंगे।
7 द्रष्टाओं का अनादर होगा, शकुन विचारनेवाले अपमानित होंगे। वे अपने मुंह छिपाएंगे; क्योंकि परमेश्वर उनको उत्तर नहीं देगा।
8 पर मैं परमेश्वर की सामर्थ्य से, प्रभु के आत्मा से परिपूर्ण हूं; मुझ में न्याय और बल है, ताकि मैं याकूब को उसके अपराध, इस्राएल को उसके पाप बता सकूं।
9 ओ याकूब वंश के अगुओ, ओ इस्राएल-वंशियों के शासको, यह सुनो! क्योंकि तुम न्याय से घृणा करते हो, तुम सरल को कुटिल बनाते हो,
10 तुम सियोन को रक्तपात से, यरूशलेम को अन्याय से निर्मित कर रहे हो।
11 तुम्हारे अगुए घूस लेकर न्याय करते, पुरोहित पैसे लेकर धर्म की बातें सिखाते, और नबी धन के लिए शकुन विचारते हैं; फिर भी वे प्रभु का सहारा लेते, और यह कहते हैं, ‘निस्सन्देह प्रभु हमारे मध्य है! हम विपत्ति में नहीं पड़ेंगे।’
12 अत: तुम्हारे कारण सियोन नगर जोते गए खेत के समान दिखाई देगा; यरूशलेम मलवों का ढेर बनेगा, और मन्दिर का पहाड़ पूजा-स्थल का जंगल!