Bible

Say Goodbye

To Clunky Software & Sunday Tech Stress!

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Mark 15

:
Hindi - CLBSI
1 सबेरा होते ही महापुरोहितों, धर्मवृद्धों और शास्‍त्रियों ने समस्‍त धर्ममहासभा के साथ परामर्श किया। इसके बाद उन्‍होंने येशु को बाँधा और उन्‍हें ले जा कर राज्‍यपाल पिलातुस को सौंप दिया।
2 पिलातुस ने येशु से पूछा, “क्‍या तुम यहूदियों के राजा हो?” येशु ने उत्तर दिया, “यह तो आप कह रहे हैं।”
3 तब महापुरोहित उन पर बहुत-से अभियोग लगाने लगे।
4 पिलातुस ने फिर येशु से पूछा, “देखो, ये तुम पर कितने अभियोग लगा रहे हैं। क्‍या इनका कोई उत्तर तुम्‍हारे पास नहीं है?”
5 फिर भी येशु ने कोई उत्तर नहीं दिया। इस पर पिलातुस को आश्‍चर्य हुआ।
6 पर्व के अवसर पर राज्‍यपाल लोगों की माँग के अनुसार एक बन्‍दी को रिहा किया करता था।
7 उस समय बरअब्‍बा नामक एक व्यक्‍ति बन्‍दीगृह में था। वह उन विद्रोहियों के साथ गिरफ्‍तार हुआ था, जिन्‍होंने राजद्रोह के समय हत्‍या की थी।
8 जब भीड़ ऊपर कर राज्‍यपाल से निवेदन करने लगी कि वह जैसा करता आया है, वैसा ही उनके लिए करे,
9 तो पिलातुस ने उन से कहा, “क्‍या तुम लोग चाहते हो कि मैं तुम्‍हारे लिए यहूदियों के राजा को रिहा करूँ?”
10 वह जानता था कि महापुरोहितों ने ईष्‍र्या से येशु को पकड़वाया है।
11 किन्‍तु महापुरोहितों ने लोगों को भड़काया कि वे माँग करें कि वह बरअब्‍बा ही को उनके लिए रिहा करे।
12 पिलातुस ने फिर भीड़ से पूछा, “तो तुम क्‍या चाहते हो? मैं इस मनुष्‍य का क्‍या करूँ, जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो?”
13 लोग फिर चिल्‍लाए, “उसे क्रूस पर चढ़ाओ!”
14 पिलातुस ने कहा, “क्‍यों? उसने कौन-सा अपराध किया है?” किन्‍तु वे और भी जोर से चिल्‍लाने लगे, “उसे क्रूस पर चढ़ाओ।”
15 तब पिलातुस ने भीड़ को संतुष्‍ट करने की इच्‍छा से बरअब्‍बा को मुक्‍त कर दिया और येशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सैनिकों के हवाले कर दिया।
16 इसके बाद सैनिक येशु को भवन के अन्‍दर, अर्थात् राजभवन में, ले गए और उन्‍होंने वहाँ सारा सैन्‍य-दल एकत्र कर लिया।
17 उन्‍होंने येशु को बैंगनी वस्‍त्र पहनाया और काँटों का मुकुट गूँथ कर उनके सिर पर लगा दिया।
18 तब वे उनका अभिवादन करने लगे, “यहूदियों के राजा, प्रणाम!”
19 उन्‍होंने उनके सिर पर सरकण्‍डे से मारा, उन पर थूका और उनके सामने घुटने टेक कर उनकी वन्‍दना की।
20 इस प्रकार येशु का उपहास करने के बाद सैनिकों ने बैंगनी वस्‍त्र उतार लिया और उन्‍हें उनके निजी कपड़े पहना दिये। तत्‍पश्‍चात् वे येशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए नगर के बाहर ले गये।
21 सिकन्‍दर और रूफस का पिता, कुरेने देश का निवासी शिमोन, गाँव से नगर में रहा था। वह उधर से निकला। सैनिकों ने उसे बेगार में पकड़ा कि वह येशु का क्रूस उठाकर ले चले।
22 वे येशु को गुलगुता नामक स्‍थान पर लाए, जिसका अर्थ है: ‘खोपड़ी’ का स्‍थान।
23 वहाँ लोग येशु को गन्‍धरस मिला दाखरस देने लगे, किन्‍तु उन्‍होंने उसे नहीं लिया।
24 तब सैनिकों ने येशु को क्रूस पर चढ़ाया और−किसे क्‍या मिले−इसके लिए चिट्ठी डालकर उनके वस्‍त्र आपस में बाँट लिये।
25 जब उन्‍होंने येशु को क्रूस पर चढ़ाया, उस समय सबेरे के नौ बजे थे।
26 उनके दोषपत्र पर यह लिखा था−‘यहूदियों का राजा’।
27 येशु के साथ ही उन्‍होंने दो डाकुओं को क्रूस पर चढ़ाया−एक को उनकी दाहिनी ओर और दूसरे को उनकी बायीं ओर।
28 [इस प्रकार धर्मग्रन्‍थ का यह कथन पूरा हो गया: “वह अपराधियों के साथ गिना गया।”]
29 उधर से आने-जाने वाले लोग येशु की निन्‍दा करते और सिर हिलाते हुए यह कह रहे थे, “वाह! मन्‍दिर ढाने वाले और तीन दिनों में उसे फिर बना देने वाले!
30 क्रूस से उतर कर अपने को बचा।”
31 महापुरोहित भी आपस में और शास्‍त्रियों के साथ उनका उपहास करते हुए यह कह रहे थे, “इसने दूसरों को बचाया, किन्‍तु यह अपने को नहीं बचा सकता।
32 अब यह मसीह, इस्राएल का राजा क्रूस से उतरे ताकि हम देखें और विश्‍वास करें।” जो डाकू येशु के साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, वे भी येशु को भला-बुरा कह रहे थे।
33 दोपहर होने पर समस्‍त पृथ्‍वी पर अंधेरा छा गया और तीन बजे तक बना रहा।
34 दोपहर तीन बजे येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकारा, “एलोई! एलोई! लमा सबकतानी?” इसका अर्थ है: “हे मेरे परमेश्‍वर! हे मेरे परमेश्‍वर! तूने मुझे क्‍यों छोड़ दिया?”
35 यह सुन कर पास खड़े लोगों में से कुछ ने कहा, “देखो! यह नबी एलियाह को पुकार रहा है।”
36 उन में से एक ने दौड़ कर अम्‍लरस में पनसोख्‍ता डुबाया, उसे सरकण्‍डे में लगाया और यह कहते हुए येशु को पीने को दिया, “रहने दो! देखें, एलियाह इसे उतारने आते हैं या नहीं।”
37 तब येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकार कर प्राण त्‍याग दिये।
38 मन्‍दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया।
39 जो रोमन शतपति येशु के सामने खड़ा था, वह उन्‍हें इस प्रकार प्राण त्‍यागते देख कर बोल उठा, “निश्‍चय ही, यह मनुष्‍य परमेश्‍वर का पुत्र था।”
40 वहाँ कुछ स्‍त्रियाँ भी दूर से देख रही थीं। उन में मरियम मगदलेनी, छोटे याकूब और योसेस की माता मरियम और सलोमी थीं।
41 जब येशु गलील प्रदेश में थे, वे उनके पीछे हो ली थीं और उनकी सेवा-परिचर्या करती थीं। वहाँ और भी अन्‍य स्‍त्रियाँ थीं, जो येशु के साथ यरूशलेम आयी थीं।
42 अब सन्‍ध्‍या हो गयी थी। उस दिन शुक्रवार था, अर्थात् विश्राम-दिवस के पूर्व का दिन।
43 इसलिए अरिमतियाह नगर का यूसुफ़ आया। वह धर्ममहासभा का एक सम्‍मानित सदस्‍य था। वह परमेश्‍वर के राज्‍य की प्रतीक्षा में था। वह साहस करके राजभवन के भीतर पिलातुस के पास गया और उसने येशु का शरीर माँगा।
44 पिलातुस को आश्‍चर्य हुआ कि वह इतने शीघ्र मर गये हैं। उसने शतपति को बुला कर पूछा कि क्‍या येशु को मरे कुछ समय हो गया है।
45 शतपति से इसकी सूचना पाकर पिलातुस ने यूसुफ़ को शव दिला दिया।
46 यूसुफ़ ने मलमल का कफ़न ख़रीदा और येशु को क्रूस से उतारा। उसने उन्‍हें कफ़न में लपेट कर चट्टान में खोदी हुई कबर में रख दिया और कबर के द्वार पर एक पत्‍थर लुढ़का कर लगा दिया।
47 मरियम मगदलेनी और योसेस की माता मरियम यह देख रही थीं कि येशु कहाँ रखे गये हैं।