Bible

Say Goodbye

To Clunky Software & Sunday Tech Stress!

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Mark 10

:
Hindi - CLBSI
1 वहाँ से विदा हो कर येशु यहूदा प्रदेश के सीमा-क्षेत्र और यर्दन नदी के उस पार के प्रदेश में आए। एक विशाल जनसमूह फिर उनके पास एकत्र हो गया और उन्‍होंने अपनी आदत के अनुसार लोगों को फिर शिक्षा दी।
2 फरीसी सम्‍प्रदाय के सदस्‍य येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने यह प्रश्‍न किया, “क्‍या अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करना पुरुष के लिए उचित है?”
3 येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्‍हें क्‍या आदेश दिया है?”
4 उन्‍होंने कहा, “मूसा ने तो त्‍यागपत्र लिख कर पत्‍नी का परित्‍याग करने की अनुमति दी है।”
5 येशु ने उन से कहा, “उन्‍होंने तुम्‍हारे हृदय की कठोरता के कारण ही यह आदेश लिखा है।
6 किन्‍तु सृष्‍टि के आरम्‍भ ही से परमेश्‍वर ने उन्‍हें नर और नारी बनाया;
7 इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्‍नी के साथ ही रहेगा और वे दोनों एक शरीर होंगे।
8 इस प्रकार अब वे दो नहीं, बल्‍कि एक शरीर हैं।
9 इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्‍य अलग नहीं करे।”
10 शिष्‍यों ने, घर पहुँच कर, इस सम्‍बन्‍ध में येशु से फिर प्रश्‍न किया
11 और उन्‍होंने यह उत्तर दिया, “जो अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करता और किसी दूसरी स्‍त्री से विवाह करता है, वह पहली के विरुद्ध व्‍यभिचार करता है।
12 और यदि पत्‍नी अपने पति का परित्‍याग करती और किसी दूसरे पुरुष से विवाह करती है, तो वह भी व्‍यभिचार करती है।”
13 कुछ लोग येशु के पास बच्‍चों को लाए कि वह उन्‍हें स्‍पर्श करें; परन्‍तु शिष्‍यों ने लोगों को डाँटा।
14 येशु यह देख कर बहुत अप्रसन्न हुए और उन्‍होंने कहा, “बच्‍चों को मेरे पास आने दो। उन्‍हें मत रोको, क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य उन-जैसे लोगों का ही है।
15 मैं तुम से सच कहता हूँ; जो मनुष्‍य छोटे बालक की तरह परमेश्‍वर का राज्‍य ग्रहण नहीं करता, वह उस में प्रवेश नहीं करेगा।”
16 तब येशु ने बच्‍चों को गोद में लिया और उन पर हाथ रख कर उन्‍हें आशीर्वाद दिया।
17 येशु यात्रा पर निकल ही रहे थे कि एक व्यक्‍ति दौड़ता हुआ आया और उनके सामने घुटने टेक कर उसने यह पूछा, “भले गुरु! शाश्‍वत जीवन का उत्तराधिकारी बनने के लिए मुझे क्‍या करना चाहिए?”
18 येशु ने उससे कहा, “मुझे भला क्‍यों कहते हो? परमेश्‍वर को छोड़ और कोई भला नहीं।
19 तुम आज्ञाओं को जानते हो: हत्‍या मत करो, व्‍यभिचार मत करो, चोरी मत करो, झूठी गवाही मत दो, किसी को मत ठगो, अपने माता पिता का आदर करो।”
20 उसने उत्तर दिया, “गुरुवर! इन सब का पालन तो मैं अपने बचपन से करता आया हूँ।”
21 येशु ने उसे ध्‍यानपूर्वक देखा और उनके हृदय में प्रेम उमड़ पड़ा। उन्‍होंने उससे कहा, “तुम में एक बात की कमी है। जाओ; जो तुम्‍हारा है, उसे बेच कर गरीबों को दे दो और स्‍वर्ग में तुम्‍हें धन मिलेगा। तब कर मेरा अनुसरण करो।”
22 यह सुन कर उसका चेहरा उतर गया और वह उदास हो कर चला गया, क्‍योंकि उसके पास बहुत धन-सम्‍पत्ति थी।
23 येशु ने चारों ओर दृष्‍टि दौड़ायी और अपने शिष्‍यों से कहा, “धनवानों के लिए परमेश्‍वर के राज्‍य में प्रवेश करना कितना कठिन होगा!”
24 शिष्‍य यह बात सुन कर चकित रह गये। परन्‍तु येशु ने उनसे फिर कहा, “बच्‍चो! परमेश्‍वर के राज्‍य में प्रवेश करना कितना कठिन है!
25 परमेश्‍वर के राज्‍य में धनवान के प्रवेश करने की अपेक्षा ऊंट का सूई के छेद से होकर निकलना अधिक सरल है।”
26 शिष्‍य और भी विस्‍मित हो गये और एक-दूसरे से बोले, “तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?”
27 येशु ने उन्‍हें एकटक देखा और कहा, “मनुष्‍यों के लिए तो यह असम्‍भव है, किन्‍तु परमेश्‍वर के लिए नहीं; क्‍योंकि परमेश्‍वर के लिए सब कुछ सम्‍भव है।”
28 पतरस बोल उठा, “देखिए, हम लोग अपना सब कुछ छोड़कर आपके अनुयायी बन गये हैं।”
29 येशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ: ऐसा कोई नहीं, जिसने मेरे और शुभ समाचार के लिए घर, भाइयों, बहिनों, माता, पिता, बाल-बच्‍चों अथवा खेतों को छोड़ दिया हो
30 और जो अब, इस लोक में सौ गुना पाए−घर, भाई, बहिनें, माताएँ, बाल-बच्‍चे और खेत, साथ ही साथ अत्‍याचार और आनेवाले युग में शाश्‍वत जीवन।
31 परन्‍तु अनेक जो प्रथम हैं, वे अंतिम हो जाएँगे और जो अंतिम हैं, वे प्रथम हो जाएँगे।”
32 वे यरूशलेम के मार्ग पर जा रहे थे। येशु शिष्‍यों के आगे-आगे चल रहे थे। शिष्‍य बहुत घबराए हुए थे और पीछे आने वाले लोग भयभीत थे। येशु बारहों को फिर अलग ले जा कर उन्‍हें बताने लगे कि मुझ पर क्‍या-क्‍या बीतेगी:
33 “देखो, हम यरूशलेम जा रहे हैं। मानव-पुत्र महापुरोहितों और शास्‍त्रियों के हाथ में सौंप दिया जाएगा। वे उसे प्राणदण्‍ड के योग्‍य ठहराएँगे और अन्‍य-जातियों के हाथ में सौंप देंगे।
34 वे उसका उपहास करेंगे, उस पर थूकेंगे, उसे कोड़े लगाएँगे और मार डालेंगे; पर वह तीन दिन के बाद फिर जी उठेगा।”
35 जबदी के पुत्र याकूब और योहन येशु के पास आए और उनसे बोले, “गुरुवर, हम चाहते हैं कि जो कुछ हम आपसे माँगें, आप उसे पूरा करें।”
36 येशु ने उत्तर दिया, “तुम लोग क्‍या चाहते हो? मैं तुम्‍हारे लिए क्‍या करूँ?”
37 उन्‍होंने कहा, “जब आपकी महिमा हो, तब हम दोनों को अपने साथ बैठने दीजिए−एक को अपने दाएँ और दूसरे को अपने बाएँ।”
38 येशु ने उन से कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम क्‍या माँग रहे हो। जो प्‍याला मुझे पीना है, क्‍या तुम उसे पी सकते हो और जो बपतिस्‍मा मुझे लेना है, क्‍या तुम उसे ले सकते हो?”
39 उन्‍होंने उत्तर दिया, “हाँ, हम ले सकते हैं।” इस पर येशु ने कहा, “जो प्‍याला मुझे पीना है, उसे तुम पियोगे और जो बपतिस्‍मा मुझे लेना है, उसे तुम लोगे।
40 किन्‍तु तुम्‍हें अपने दाएँ या बाएँ बैठाना मेरा काम नहीं है। ये स्‍थान उन लोगों के लिए हैं, जिनके लिए वे तैयार किए गये हैं।”
41 जब दस प्रेरितों को यह मालूम हुआ तो वे याकूब और योहन पर क्रुद्ध हो गये।
42 येशु ने शिष्‍यों को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “तुम जानते हो कि जो संसार के अधिपति माने जाते हैं, वे अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और उनके सत्ता-धारी उन पर अधिकार जताते हैं।
43 किन्‍तु तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्‍हारा सेवक बने
44 और जो तुम में प्रधान होना चाहता है, वह सब का दास बने;
45 क्‍योंकि मानव-पुत्र अपनी सेवा कराने नहीं, बल्‍कि सेवा करने और बहुतों के बदले उनकी मुक्‍ति के मूल्‍य में अपने प्राण देने आया है।”
46 वे यरीहो नगर पहुँचे। जब येशु अपने शिष्‍यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ यरीहो से निकल रहे थे, तब तिमाई का पुत्र बरतिमाई, एक अन्‍धा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था।
47 जब उसने सुना कि यह नासरत-निवासी येशु हैं, तो वह पुकार-पुकार कर कहने लगा, “हे येशु, दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए!”
48 बहुत-से लोगों ने उसे चुप रहने के लिए डाँटा; किन्‍तु वह और भी जोर से पुकारने लगा, “हे दाऊद के वंशज! मुझ पर दया कीजिए।”
49 येशु रुक गए। उन्‍होंने कहा, “उसे बुलाओ।” लोगों ने अन्‍धे को बुलाया और कहा, “धैर्य रखो। उठो! वह तुम्‍हें बुला रहे हैं।”
50 वह अपनी चादर फेंक कर उछल पड़ा और येशु के पास आया।
51 येशु ने उससे पूछा, “क्‍या चाहते हो? मैं तुम्‍हारे लिए क्‍या करूँ?” अन्‍धे ने उत्तर दिया, “गुरुवर! मैं फिर देखने लगूं”।
52 येशु ने उससे कहा, “जाओ तुम्‍हारे विश्‍वास ने तुम्‍हें स्‍वस्‍थ कर दिया।” उसी क्षण वह देखने लगा और मार्ग में येशु के पीछे हो लिया।