Joshua 8
1 प्रभु ने यहोशुअ से कहा, ‘भयभीत मत हो! निराश मत हो! उठ! अपने साथ सब सैनिकों को ले और ऐ नगर पर आक्रमण कर। देख, मैंने ऐ नगर के राजा, उसकी प्रजा, उसके नगर और उसकी भूमि को तेरे अधिकार में सौंप दिया है।
2 जैसा तूने यरीहो और उसके राजा के साथ व्यवहार किया था, वैसा ही ऐ नगर और उसके राजा के साथ करना। केवल ऐ नगर के पशुओं और सब सामान को अपने लिए लूट लेना। नगर पर पीछे से आक्रमण करने के लिए छिप कर बैठ जा।’
3 यहोशुअ तथा सब सैनिक ऐ नगर पर चढ़ाई करने लिए तैयार हुए। यहोशुअ ने तीस हजार सैनिक चुने और उन्हें रात में भेज दिया।
4 उसने उन्हें यह आदेश दिया, ‘देखो, तुम्हें नगर पर पीछे से आक्रमण करने के लिए घात लगाकर बैठना है। नगर से बहुत दूर मत जाना। तुम-सब आक्रमण के लिए तैयार रहना।
5 मैं और मेरे साथ के सब सैनिक सामने से नगर के समीप जाएंगे। जब ऐ नगर के निवासी पहले के समान हमारा सामना करने को नगर के बाहर निकलेंगे, तब हम उनके सम्मुख से भागेंगे।
6 वे हमारे पीछे-पीछे आएंगे, और हम उन्हें नगर से बहुत दूर निकाल ले जाएंगे। वे यह सोचेंगे, “जैसे पहले ये हमारे सामने से भागे थे वैसे आज भी भाग रहे हैं।” इस प्रकार हम उनके सामने से भागेंगे।
7 तब तुम अपने छिपने के स्थान से निकलना और नगर पर अधिकार कर लेना, क्योंकि प्रभु परमेश्वर नगर को तुम्हारे अधिकार में सौंप देगा।
8 जब तुम नगर को अपने अधिकार में कर लोगे तब उसमें आग लगा देना। प्रभु के वचन के अनुसार ऐसा ही करना। देखो, तुम्हारे लिए ये ही मेरे आदेश हैं।’
9 यहोशुअ ने उन्हें भेज दिया। वे छिपने के स्थान पर चले गए। वे ऐ नगर के पश्चिम में, ऐ और बेत-एल के मध्य, छिपकर बैठ गए। यहोशुअ ने अपने सैनिकों के साथ रात व्यतीत की।
10 यहोशुअ बड़े सबेरे उठा। उसने सैनिकों को एकत्र किया, और इस्राएली धर्म-वृद्धों के साथ सैनिकों के आगे-आगे ऐ नगर की ओर गया।
11 यहोशुअ के साथ के सब सैनिक आगे बढ़े। वे नगर के सम्मुख, उसके निकट पहुँचे। उन्होंने ऐ नगर के उत्तर में पड़ाव डाला। उनके और ऐ नगर के मध्य एक तंग घाटी थी।
12 यहोशुअ ने पांच हजार सैनिक लिए और उन्हें ऐ नगर के पश्चिम में, ऐ नगर और बेत-एल के मध्य एक स्थान पर छिपाकर बैठा दिया।
13 इस्राएली सैनिकों की स्थिति यह थी: ऐ नगर के उत्तर में अग्रगामी सैन्यदल ने और नगर के पश्चिम में चन्दावल सैन्यदल ने पड़ाव डाला। यहोशुअ ने घाटी में रात व्यतीत की।
14 जब ऐ नगर के राजा ने यहोशुअ के सैनिकों को देखा, तब उसने अविलम्ब यह कार्य किया: वह और उसकी प्रजा, नगर के सब सैनिक इस्राएलियों से युद्ध करने के लिए यर्दन की घाटी की ओर गए। वे उसी स्थान पर गए जहाँ उन्होंने पहले युद्ध किया था। राजा नहीं जानता था कि नगर के पीछे की ओर से उस पर छिपकर हमला किया जाएगा।
15 यहोशुअ और उस के साथ के सैनिकों ने हारने का बहाना किया, और वे निर्जन प्रदेश के मार्ग की ओर भागने लगे।
16 नगर के सब लोग उनका पीछा करने के लिए बुलाए गए। वे यहोशुअ का पीछा करते-करते नगर से बहुत दूर निकल गए।
17 ऐ और बेत-एल नगर में एक भी पुरुष नहीं रहा जो इस्राएलियों का पीछा करने नहीं गया हो। सब पुरुष नगर को खुला, असुरक्षित छोड़कर इस्राएलियों का पीछा करने चले गए।
18 प्रभु ने यहोशुअ से कहा, ‘अपने हाथ के भाले से ऐ नगर की ओर संकेत कर; क्योंकि मैंने नगर को तेरे अधिकार में सौंप दिया है।’ अत: यहोशुअ ने अपने हाथ के भाले से ऐ नगर की ओर संकेत किया।
19 जैसे ही यहोशुअ ने अपना हाथ ऊपर उठाया, छिपकर बैठे हुए सैनिक तुरन्त अपने स्थान से उठे, और नगर की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने नगर में प्रवेश किया और उसको अपने अधिकार में कर लिया। उन्होंने अविलम्ब नगर में आग लगा दी।
20 ऐ नगर के सैनिकों ने पलटकर देखा कि उनके नगर से धुआं निकलकर आकाश की ओर उठ रहा है। उन्हें आगे-पीछे भागने का अवसर भी नहीं मिला; क्योंकि निर्जन प्रदेश की ओर भागने वाले इस्राएलियों ने लौटकर अपना पीछा करने वालों पर आक्रमण कर दिया था।
21 जब यहोशुअ और उसके साथ के इस्राएली सैनिकों ने देखा कि छिपकर बैठे हुए सैनिकों ने ऐ नगर पर अधिकार कर लिया, और नगर में धुआं निकलकर आकाश की ओर उठ रहा है, तब वे लौटे, और उन्होंने ऐ नगर के सैनिकों को मारा।
22 ऐ नगर से भी इस्राएली सैनिक उनसे लड़ने को आ गए। इस प्रकार ऐ नगर के निवासी इस्राएलियों के मध्य घिर गए। उनके सम्मुख इस्राएली थे, उनके पीछे इस्राएली थे। इस्राएलियों ने उन्हें ऐसा मारा कि उनका एक भी सैनिक न भाग सका, और न बच सका।
23 पर उन्होंने ऐ नगर के राजा को जीवित पकड़ लिया और वे उसे यहोशुअ के पास लाए।
24 जब इस्राएली निर्जन प्रदेश के मैदान में, जहाँ ऐ नगर के सैनिकों ने उनका पीछा किया था, उनका वध कर चुके, जब ऐ नगर का प्रत्येक निवासी तलवार के प्रहार से भूमि पर गिर पड़ा, तब वे ऐ नगर को लौटे। उन्होंने शेष नगर-निवासियों को तलवार से मौत के घाट उतार दिया।
25 ऐ नगर की समस्त जनसंख्या बारह हजार थी। उस दिन सब स्त्री-पुरुष युद्ध में मारे गए।
26 जिस हाथ से यहोशुअ भाला उठाए हुए था, उसको तब तक उसने नीचे नहीं किया जब तक ऐ नगर के निवासियों को पूर्णत: नष्ट नहीं कर दिया गया।
27 जो आज्ञा प्रभु ने यहोशुअ को दी थी, उस आज्ञा के वचन के अनुसार इस्राएलियों ने पशु और नगर का सब सामान अपने लिए लूट लिया।
28 तत्पश्चात् यहोशुअ ने ऐ नगर में आग लगा दी, और सदा के लिए उसको खण्डहर बना दिया, जैसा वह आज भी है।
29 उसने ऐ नगर के राजा को पेड़ से लटका दिया और उसे सन्ध्या तक लटकाए हुए रखा। सूर्यास्त के समय यहोशुअ के आदेश से लोगों ने उसकी लाश पेड़ से नीचे उतार ली, और ऐ नगर के प्रवेश-द्वार पर फेंक दी। इसके बाद उन्होंने उसकी लाश पर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज भी वहाँ है।
30 यहोशुअ ने इस्राएली समाज के प्रभु परमेश्वर के लिए एबल पर्वत पर एक वेदी निर्मित की।
31 जो निर्देश वेदी के सम्बन्ध में प्रभु के सेवक मूसा ने इस्राएली समाज को दिया था, और जैसा मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखा भी है कि ‘वेदी के अनगढ़े पत्थरों को लोहे के औजार से तराश कर मत बनाना’ उस निर्देश के अनुसार यहोशुअ ने वेदी निर्मित की। उसके बाद इस्राएली समाज ने वेदी पर प्रभु को अग्नि-बलि अर्पित की, और सहभागिता-बलि चढ़ाई।
32 यहोशुअ ने इस्राएलियों के सम्मुख वहाँ के पत्थरों पर उस व्यवस्था की प्रतिलिपि बनाई, जिसको स्वयं मूसा ने लिखा था।
33 समस्त इस्राएली अपने धर्मवृद्धों, शास्त्रियों और शासकों के साथ प्रभु की मंजूषा के दोनों ओर खड़े हो गए। वे प्रभु की विधान-मंजूषा वहन करने वाले लेवीय पुरोहितों के सम्मुख खड़े थे। उनके साथ प्रवासी भी थे। आधे इस्राएली गरिज्जीम पर्वत की ढाल पर, और आधे इस्राएली एबल पर्वत की ढाल पर खड़े हो गए। ऐसा करने का आदेश प्रभु के सेवक मूसा ने उन्हें दिया था कि लेवीय पुरोहित सर्वप्रथम इस्राएली समाज को आशीर्वाद देंगे।
34 यहोशुअ ने व्यवस्था के सब वचन, आशिष और अभिशाप सहित, जैसे वे व्यवस्था की पुस्तक में लिखे हुए हैं, उच्च स्वर में पढ़े।
35 यहोशुअ ने मूसा के सब आदेश इस्राएली सभा के सम्मुख, स्त्रियों, बच्चों और इस्राएली समाज के मध्य रहने वाले प्रवासियों के सम्मुख उच्च स्वर में पढ़कर सुना दिए। मूसा का एक भी शब्द अपठित नहीं रहा।