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Job 27

:
Hindi - CLBSI
1 ‘अय्‍यूब ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा:
2 ‘जीवित परमेश्‍वर की सौगन्‍ध! मैं न्‍याय की दृष्‍टि से निर्दोष था, फिर भी उसने मुझे दण्‍ड दिया! सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने मेरे प्राण को पीड़ित किया है!
3 जब तक मुझ में साँस है, जब तक परमेश्‍वर का श्‍वास मेरे नथुनों में है;
4 तब तक मेरे ओठों से झूठ नहीं निकलेगा, और मेरी जीभ से कपटपूर्ण वचन।
5 परमेश्‍वर करे कि मैं यह कहूँ कि तुम सच कहते हो। मैं जीवन के अन्‍तिम क्षण तक अपने आदर्श को अपने से अलग नहीं करूँगा।
6 मैं अपने धर्म को कसकर पकड़े हुए हूँ, मैं उसको हाथ से जाने दूंगा; मेरा हृदय मुझे अपने पिछले जीवन के लिए दोषी नहीं ठहराता।
7 ‘मेरा शत्रु दुर्जन माना जाए; मेरा विरोधी अधार्मिक ठहरे!
8 जब परमेश्‍वर अधर्मी व्यक्‍ति का अन्‍त कर देता है, जब परमेश्‍वर उसका प्राण ले लेता है तब उसके लिए आशा कहाँ शेष रही?
9 जब अधर्मी पर संकट मंडराएगा तब क्‍या परमेश्‍वर उसकी दुहाई सुनेगा?
10 क्‍या वह सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर में सुख प्राप्‍त करेगा? क्‍या वह हर समय उसको पुकारेगा?
11 मेरे मित्रो, मैं तुम्‍हें परमेश्‍वर के कार्यों के विषय में शिक्षा दूँगा; मैं सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर का भेद तुमसे नहीं छिपाऊंगा।
12 सच पूछो तो तुम सब यह भेद स्‍वयं अनुभव कर चुके हो! फिर तुम ये बातें क्‍यों कर रहे हो?’
13 ‘परमेश्‍वर ने दुर्जनों की यह नियति निश्‍चित की है: अत्‍याचारियों को सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर मीरास में यह प्रदान करता है:
14 चाहे दुर्जन की अनेक पुत्र-पुत्रियां हों, पर वे तलवार से मौत के घाट उतारे जाते हैं; उसकी सन्‍तान को पेट-भर भोजन नसीब नहीं होता!
15 उसके बचे हुए वंशज महामारी का कौर बन जाते हैं; और उनकी विधवाएँ उनके लिए शोक नहीं मनाती हैं!
16 ‘चाहे दुर्जन धूलि-कण की तरह अत्‍यधिक चाँदी एकत्र कर ले, चाहे वह पहाड़ी के समान वस्‍त्रों का ढेर लगा ले,
17 फिर भी उसके वस्‍त्रों के ढेर के कपड़े धार्मिक व्यक्‍ति ही पहिनेंगे; उसके धूलि-कण के सदृश अत्‍यधिक चांदी निष्‍कलंक मनुष्‍य आपस में बाटेंगे।
18 ‘जो मकान दुर्जन बनाता है, वह मकड़ी के जाले के समान होता है; वह झोंपड़ी के समान होता है जिसको खेत का रखवाला बनाता है।
19 वह शय्‍या पर लेटते समय स्‍वयं को धनी महसूस करता है; पर यह फिर होगा, क्‍योंकि सबेरे आँख खोलने पर वह अपने को निर्धन पाता है।
20 ‘आतंक की बाढ़ में दुर्जन घिर जाता है; रात के समय बवण्‍डर उसको उड़ा ले जाता है
21 पूरबी वायु उसको उड़ा ले जाती है, और उसका अस्‍तित्‍व मिट जाता है, वायु उसको उसके स्‍थान से बहा ले जाती है।
22 ‘यों परमेश्‍वर निर्दयता से उस पर विपत्तियाँ ढाहता है; दुर्जन उसके हाथ की पहुँच से वेगपूर्वक भागता है।
23 लोग उस पर ताली बजाते हैं; वे उसको उसके स्‍थान से खदेड़ने के लिए सिसकाते हैं।’