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Job 23

:
Hindi - CLBSI
1 तब अय्‍यूब ने कहा,
2 ‘आज भी मेरी शिकायत कड़वी है! मैं कराहता हूँ, इसके बावजूद परमेश्‍वर का दबाव मुझ पर भारी है।
3 काश! मैं जानता कि परमेश्‍वर मुझे कहाँ मिलेगा? तब मैं उसके सिंहासन के समीप आता।
4 मैं उसके सम्‍मुख अपना मुकदमा पेश करता; और अपनी सफाई में अनेक तर्क प्रस्‍तुत करता।
5 मैं जान लेता कि वह मुझे क्‍या उत्तर देगा; मैं समझ जाता कि वह मुझसे क्‍या कहेगा।
6 क्‍या वह अपने महासामर्थ्य के साथ मुझसे मुकदमा लड़ेगा? नहीं, बल्‍कि वह मुझ पर ध्‍यान देगा।
7 निष्‍कपट हृदय का व्यक्‍ति वहाँ उससे तर्क- वितर्क करेगा, और मैं अपने न्‍यायाधीश द्वारा सदा के लिए निर्दोष सिद्ध हो जाऊंगा।
8 ‘देखो, मैं पूरब की ओर जाता हूँ, पर वह वहाँ नहीं मिलता। मैं पश्‍चिम की ओर जाता हूँ, पर वह मुझे वहाँ दिखाई नहीं देता।
9 मैं उत्तर की ओर उसे ढूंढ़ता हूँ, तो वह मुझे दिखाई नहीं देता। मैं दक्षिण की ओर मुड़ता हूँ तो मैं वहाँ भी उसे नहीं देख पाता।
10 किन्‍तु वह मेरा मार्ग भली-भांति जानता है; जब वह मुझे परख लेगा तब मैं कंचन जैसा शुद्ध प्रामाणित हूँगा।
11 ‘मेरे पैर उसके मार्ग में स्‍थिर रहे; मैं बिना भटके उसी के मार्ग पर चलता रहा।
12 मैं उसकी आज्ञा का पालान करने से कभी विचलित नहीं हुआ; मैंने उसके वचनों को अपने हृदय में सदा सुरक्षित रखा।
13 किन्‍तु वह अपनी बात का पक्‍का है, उसे कौन मोड़ सकता है? वह अपनी इच्‍छा के अनुसार कार्य करता है।
14 जो कुछ उसने मेरे बारे में निश्‍चित कर रखा है, वह उसको पूरा भी करेगा। उसके हृदय में ऐसी अनेक बातें हैं।
15 इस कारण मैं उसकी उपस्‍थिति से आतंकित हूँ, जब मैं यह सोचता हूँ तब मैं थर-थर कांपने लगता हूँ।
16 परमेश्‍वर ने मेरे हृदय को दुर्बल कर दिया है; सर्वशक्‍तिमान ने मुझे आतंकित कर दिया है;
17 क्‍योंकि मैं चारों और अन्‍धकार से घिरा हुआ हूँ; गहन अन्‍धकार ने मेरे मुख को ढक लिया है।