Jeremiah 51
1 प्रभु यों कहता है: ‘मैं विनाश करने वाले की आत्मा को उकसाऊंगा, जो बेबीलोन देश के निवासियों को, कसदी कौम को नष्ट कर देगा।
2 मैं बेबीलोन पर ओसाने वाले भेजूंगा, जो बेबीलोन के निवासियों को फटक-फटक कर साफ कर देंगे। वे बेबीलोन के संकट-दिवस पर उस पर आक्रमण करेंगे, और सारे देश को निर्जन बना देंगे।
3 धनुषधारी अपना धनुष न ताने, और न वह कवच पहिनकर खड़ा हो। बेबीलोन के एक भी सैनिक को मत छोड़ना; उसकी समस्त सेना को नष्ट कर देना।
4 कसदी कौम के देश में उसके सैनिक मरे पड़े होंगे; बेबीलोन की सड़कों पर वे घायल पड़े होंगे।
5 क्योंकि स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु परमेश्वर ने अपने निज लोगों को, इस्राएल और यहूदा प्रदेश की जनता को त्यागा नहीं है। किन्तु कसदी कौम का समस्त देश उनके दुष्कर्मों से भर गया है; उन्होंने इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के प्रति अधर्म के बहुत कार्य किए हैं।
6 ‘बेबीलोन से भाग जाओ, प्रत्येक मनुष्य अपना प्राण बचाए। यह प्रभु के प्रतिशोध लेने का समय है; वह बेबीलोन को उसके दुष्कर्मों का प्रतिफल दे रहा है। ऐसा न हो कि उनके साथ तुम्हारा भी संहार हो जाए।
7 प्रभु के हाथ में बेबीलोन मानो सोने का चषक था, जो पृथ्वी के सब देशों को मतवाला करता था। राष्ट्रों ने उसकी मदिरा पी, और वे मदिरा के कारण उन्मत्त हो गए।
8 किन्तु अचानक बेबीलोन का पतन हो गया, वह छिन्न-भिन्न हो गया। ओ राष्ट्रो, उसके लिए विलाप करो, उसके घावों पर लगाने के लिए मलहम ले जाओ। कदाचित् वह स्वस्थ हो जाए।
9 हम बेबीलोन को स्वस्थ करना चाहते थे, किन्तु वह स्वस्थ नहीं हुआ। अत: उसको छोड़ दो, आओ, हम अब अपने-अपने देश को चले जाएं। क्योंकि उसके अपराध के दण्ड की सीमा आकाश को छूने लगी है; उसके अधर्म का न्याय-निर्णय मेघों तक पहुंच गया है।
10 परन्तु प्रभु ने हमें निर्दोष ठहराया है; अत: आओ, हम सियोन में अपने प्रभु परमेश्वर का यह कार्य घोषित करें।
11 ‘तीरों को पैना करो! ढालें सम्भाल लो! प्रभु ने मादी कौम के राजाओं की आत्मा को उत्तेजित किया है कि वे बेबीलोन पर आक्रमण करें; क्योंकि प्रभु का उद्देश्य यह है कि वह बेबीलोन को नष्ट करे। यही प्रभु का प्रतिशोध है, यही उसके मन्दिर के लिए प्रतिशोध है।
12 ‘बेबीलोन की शहरपनाह के विरुद्ध झण्डा गाड़ो। चौकसी मजबूत करो, पहरेदार नियुक्त करो। घात लगाने वाले सैनिक बैठाओ; क्योंकि जो कुछ प्रभु ने बेबीलोन के विनाश के लिए कहा था, जो उसने कसदी कौम के लिए योजना बनाई थी उसको पूरा किया है।
13 ओ अनेक नदियों से घिरी नगरी, ओ धन-सम्पत्ति से भरी-पूरी नगरी! तेरा अन्त आ गया। तेरी जीवन-लीला समाप्त हो गई।
14 स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने अपने जीवन की सौगन्ध खायी है: निस्सन्देह मैं टिड्डी दल के सदृश इस नगर को शत्रु के सैनिकों से भर दूंगा, और वे तुझे पराजित कर जयजयकार करेंगे।’
15 प्रभु परमेश्वर ने ही पृथ्वी को अपने सामर्थ्य से बनाया है; उसने ही संसार को अपनी बुद्धि से स्थित किया है। प्रभु परमेश्वर ने आकाश को अपनी समझ से फैलाया है।
16 जब वह बोलता है तब आकाश में महासागर उमड़ पड़ता है। वह पृथ्वी के सीमान्तों से कुहरा उठाता है। वह वर्षा के लिए बिजली चमकाता है, और अपने भण्डारगृहों से पवन बहाता है।
17 इस जाति के सब मनुष्य मूर्ख और परमेश्वर के ज्ञान से अनजान हैं। सुनार अपनी बनाई हुई मूर्ति के कारण अपमानित होगा; क्योंकि उसकी मूर्तियां झूठी हैं; उनमें जीवन का श्वास नहीं है।
18 वे निस्सार हैं, वे मनुष्यों को भ्रम के जाल में फंसाती हैं। दण्ड के समय वे भी नष्ट होंगी।
19 किन्तु याकूब का निज भाग ऐसा नहीं है। उसने ही सबको गढ़ा है, इस्राएल उसके उत्तराधिकार का कुल है, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु, उसका नाम है।
20 ‘ओ बेबीलोन तू मेरा फरसा, और शस्त्र है! तेरे माध्यम से मैं राष्ट्रों के टुकड़े-टुकड़े करता हूं, राज्यों को नष्ट करता हूं।
21 तेरे माध्यम से मैं घोड़ों और घुड़सवारों के टुकड़े-टुकड़े करता हूं, रथों और सारथियों को नष्ट करता हूं।
22 तेरे माध्यम से मैं स्त्रियों और पुरुषों के टुकड़े-टुकड़े करता हूं, बच्चों और बूढ़ों को नष्ट करता हूं, युवकों और युवतियों का वध करता हूं।
23 मैं तेरे माध्यम से चरवाहे और उसकी भेड़ों को नष्ट करता हूं। किसान और उसके बैलों का वध करता हूं। राज्यपालों और सेनापतियों का सर्वनाश करता हूं।
24 ‘प्रभु कहता है: मैं राजधानी बेबीलोन और कसदी देश के समस्त निवासियों को तुम्हारी आंखों के सामने उनके दुष्कर्मों का प्रतिफल दूंगा, जो उन्होंने सियोन में किए हैं।
25 ‘ओ विनाशकारी पर्वत, मैं अब तेरे विरुद्ध हूं। तूने समस्त पृथ्वी का नाश किया है। प्रभु कहता है: मैं तुझ पर अपना हाथ उठाऊंगा, और तुझको चट्टान से नीचे लुढ़का दूंगा, मैं तुझ को जला हुआ पहाड़ बना दूंगा।
26 तब मेहराब बनाने के लिए तुझमें से पत्थर नहीं निकाला जाएगा, और न नींव डालने के लिए लोग तुझे खोदकर पत्थर निकालेंगे; क्योंकि तू सदा उजाड़ रहेगा। प्रभु की यह वाणी है।
27 ‘पृथ्वी पर झण्डा गाड़ो। विश्व के राष्ट्रों में युद्ध का बिगुल बजाओ! बेबीलोन के विरुद्ध सब देशों को तैयार करो। युद्ध के लिए अरारात, मिन्नी और अश्कनज राज्यों की सेनाएं बुलाओ। उस पर आक्रमण करने के लिए एक सेनापति नियुक्त करो। चोटीवाली टिड्डियों के दल के समान असंख्य घोड़ों से उसको रौंद दो।
28 बेबीलोन से युद्ध करने के लिए राष्ट्रों को, मादय के राजाओं, राज्यपालों और सेनापतियों को तैयार करो, मादय के अधीन जो देश हैं वे भी, युद्ध के लिए तैयार हों।
29 पृथ्वी कांप रही है, वह पीड़ा से तड़प रही है; क्योंकि प्रभु ने निश्चय किया है कि वह बेबीलोन देश को उजाड़ देगा, वह उसको निर्जन बना देगा।
30 बेबीलोन के योद्धाओं ने हथियार डाल दिए हैं, वे किलों में दुबककर बैठे हैं। उनका मनोबल समाप्त हो गया है; मानो उन्होंने औरतों के समान चूड़ियां पहिन ली हैं! बेबीलोन के निवास स्थानों में आग लग गई है; उसके प्रवेश-द्वारों की अर्गलाएं टूट गई हैं।
31 एक हरकारा दूसरे हरकारे को, एक सन्देशवाहक दूसरे सन्देशवाहक को यह सन्देश दे रहा है, “जाओ, महाराज को यह खबर दो: बेबीलोन नगर चारों ओर से घेर लिया गया है।
32 शत्रु-सेना ने घाटों पर कब्जा कर लिया है; उसने दलदल के सरकण्डों में आग लगा दी है, और हमारे सैनिकों में भगदड़ मच गई है।”
33 इस्राएल का परमेश्वर, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: बेबीलोन के निवासियों की दशा, उस खलियान के समान हो गई है, जो दांवा जा रहा है; कुछ दिन बाद ही कटनी का समय आ जाएगा।’ इस्राएली राष्ट्र पर बेबीलोन का अत्याचार
34 ‘बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने मुझे खा लिया; मुझे रौंद डाला! उसने मेरी समस्त धन-सम्पत्ति लूट ली, और मुझे खाली बरतन बना दिया! उसने मुझे मगरमच्छ के समान पूरा निगल लिया! उसने मुझसे अपना पेट भर लिया, मानो मैं स्वादिष्ट भोजन हूं। उसने मुझे अपनी धन-सम्पत्ति से वंचित कर दिया।’
35 सियोन के निवासी अब यह कहें: ‘हम पर, हमारे जाति-भाइयों एवं बहिनों पर जो अत्याचार बेबीलोन ने किया था, वह पलट कर अब बेबीलोन के सिर पर पड़े।’ यरूशलेम यह कहे, ‘मेरी हत्या का प्रतिशोध कसदी कौम के देश से लिया जाए।’
36 इसलिए प्रभु कहता है: ‘ओ इस्राएल, मैं तेरा न्याय करूंगा, और तेरे शत्रु से तेरा प्रतिशोध लूंगा, मैं बेबीलोन का महा जलाशय सुखा दूंगा; मैं उसके झरने का मुंह बन्द कर दूंगा।
37 तब बेबीलोन खण्डहरों का ढेर हो जाएगा। वह गीदड़ों की मांद बन जाएगा। वह निर्जन हो जाएगा, वह लोगों में आतंक उत्पन्न करेगा; अन्य राष्ट्र उसका विनाश देखकर व्याकुल हो जाएंगे!
38 ‘बेबीलोन के निवासी सिंह के समान गरजेंगे, वे सिंह के बच्चे के समान गुर्राएंगे।
39 जब वे भूख की आग से जलेंगे, तब मैं उनके लिए भोज तैयार करूंगा। मैं उनको मतवाला कर दूंगा। और वे नशे में चूर हो जाएंगे, वे चिर निन्द्रा में सो जाएंगे, और कभी न जागेंगे।
40 जैसे कसाई वध होनेवाले पशुओं को मेढ़े, मेमने और बकरों को ले जाता है, वैसे ही मैं उनको ले जाऊंगा। मुझ प्रभु की यह वाणी है।
41 ‘बेबीलोन देश पर, “विश्व के गौरव” देश पर शत्रु सेना का अधिकार हो गया। शोक! समस्त विश्व में बेबीलोन आतंक का कारण बन गया।
42 बेबीलोन मानो समुद्र में डूब गया; सागर की उल्लास लहरों ने उसको ढक लिया!
43 बेबीलोन के नगर आतंक का कारण बन गए, बेबीलोन अकाल का देश बन गया। वह मरुस्थल हो गया। वह निर्जन हो गया, अब उसमें कोई नहीं रहता; वहां से मनुष्य भी नहीं गुजरते।
44 प्रभु कहता है, मैं बेबीलोन के राष्ट्रीय देवता बेल को दण्ड दूंगा: और उसने जो निगल लिया है, वह उसके मुंह से उगलवा लूंगा। अब विश्व के राष्ट्र उसकी ओर खिंचे हुए नहीं आएंगे; देखो, बेबीलोन की शहरपनाह ढह गई।
45 ‘ओ मेरे निज लोग! बेबीलोन के मध्य से निकल जाओ। प्रभु के भयानक क्रोध से तुम-सब अपने प्राण बचाओ।
46 जब तुम देश में अफवाह सुनो, तब तुम मत घबराना, उड़ती हुई खबर से मत डरना; हर वर्ष देश में अफवाहें उड़ेंगी, पहले वर्ष एक, दूसरे वर्ष दूसरी! सारे देश में हिंसा-उपद्रव का राज्य होगा, एक शासक दूसरे शासक के विरुद्ध होगा।
47 ‘देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं बेबीलोन की मूर्तियों को दण्ड दूंगा। समस्त बेबीलोन पराजय के कारण अपमानित होगा, सारे देश में लोथों का ढेर लग जाएगा।
48 बेबीलोन के पतन के कारण आकाश और पृथ्वी, और उनके सब प्राणी आनन्द से जयजयकार करेंगे। प्रभु कहता है, ओ बेबीलोन, उत्तर दिशा से तुझ पर लुटेरे आक्रमण करेंगे।
49 बेबीलोन ने इस्राएली राष्ट्र के लोगों का वध किया था, अब बेबीलोन के लोगों का वध उन्हीं के देश में होगा। जैसे बेबीलोन ने समस्त पृथ्वी के लोगों का वध किया था, वैसे अब बेबीलोन का विनाश होगा।
50 ‘तलवार की मार से बचे हुए लोगो! यहां खड़े मत रहो, भाग जाओ। दूर से ही प्रभु को स्मरण करो, तुम्हारे हृदय में यरूशलेम की याद बनी रहे।
51 कहो: “हमने पराजय के अपमान का घूंट पिया है; हमने अपनी निन्दा सुनी है। अनादर से हमारा मुँह काला हो गया है। प्रभु के भवन के पवित्र स्थानों में विधर्मी घुस आए हैं।” ’
52 प्रभु कहता है, ‘देखो, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं बेबीलोन की देवमूर्तियों को दण्ड दूंगा। समस्त बेबीलोन देश में घायलों की चीख-पुकार सुनाई देगी।
53 चाहे बेबीलोन इतनी उन्नति कर ले कि वह आकाश से बातें करने लगे, चाहे वह आसमान तक अपने गढ़ सुदृढ़ कर ले तो भी मैं उस पर विध्वंसक भेजूंगा’ प्रभु की यही वाणी है।
54 सुनो, बेबीलोन से चीख-पुकार आ रही है। कसदी कौम के देश से विनाश की आवाज सुनाई दे रही है।
55 क्योंकि प्रभु बेबीलोन को नष्ट कर रहा है; वह उसके गर्जन को शान्त कर रहा है। समुद्र की उत्ताल तरंगों की तरह लोग गरज रहे हैं। वे गला फाड़कर चिल्ला रहे हैं।
56 क्योंकि विध्वंसक ने बेबीलोन पर आक्रमण किया है; बेबीलोन के योद्धा बन्दी बना लिये गए; शत्रु सैनिकों ने उनके धनुष तोड़ दिए। प्रभु निस्सन्देह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्म का प्रतिफल देता है, वह बदला लेने वाला परमेश्वर है।
57 ‘मैं बेबीलोन के उच्चाधिकारियों, विद्वानों, राज्यपालों, सेनापतियों और योद्धाओं को मतवाला कर दूंगा; वे चिरनिद्रा में सो जाएंगे, और कभी नहीं जागेंगे।’ यह राजाधिराज की वाणी है, जिसका नाम है: ‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु’।
58 स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु कहता है, ‘बेबीलोन की चौड़ी शहरपनाह भूमि की सतह से मिला दी जाएगी। उसके ऊंचे-ऊंचे विशाल प्रवेश-द्वार आग में भस्म कर दिए जाएंगे। जातियां व्यर्थ ही परिश्रम करती हैं; जिसके लिए राष्ट्र कष्ट झेलते हैं, वह अग्नि में भस्म हो जाएगा।’
59 सरायाह राजभवन का उच्चाधिकारी था। उसके पिता का नाम नेरियाह और दादा का नाम महसेयाह था। वह भी यहूदा प्रदेश के राजा सिदकियाह के राज्यकाल के चौथे वर्ष में अपने राजा के साथ बन्दी बनकर बेबीलोन गया था। नबी यिर्मयाह ने बेबीलोन के सम्बन्ध में अपनी नबूवतें, अर्थात् बेबीलोन के ऊपर आनेवाली विपत्तियों का विवरण एक पुस्तक में लिख लिया था।
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61 नबी यिर्मयाह ने सरायाह को आदेश किया, ‘ध्यान से सुन, जब तू बेबीलोन में प्रवेश करे, तब तू इन सब वचनों को पढ़ना,
62 और प्रभु से यह प्रार्थना करना: “प्रभु, तूने इस देश के विषय में कहा है कि तू इस देश को पूर्णत: नष्ट कर देगा। तू इस को उजाड़ देगा। यहां न मनुष्य रहेंगे, और न पशु, और यह सदा के लिए निर्जन हो जाएगा।”
63 जब तू यह पुस्तक पढ़ चुकेगा तब इस को एक पत्थर से बांध देना, और यह कहते हुए इसको फरात नदी में फेंक देना:
64 “ऐसे ही बेबीलोन भी डूब जाएगा। मैं-प्रभु बेबीलोन पर ऐसी विपत्ति ढाहूंगा कि वह फिर कभी उठ नहीं सकेगा। ” ’ यहां तक नबी यिर्मयाह के शब्द हैं।