Jeremiah 17
1 ‘यिर्मयाह, यहूदा प्रदेश के पाप का विवरण लोहे की कलम से लिखा हुआ है! उनके अपराध का लेख उनके हृदय में हीरे की नोक से खुदा हुआ है! उनकी वेदियों के सींगों पर उनका अधर्म अंकित है।
2 क्या उनके पुत्र-पुत्रियां पहाड़ों पर, खुले मैदानों में हरे-हरे वृक्षों के नीचे, ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर स्थापित अपनी वेदियों और अशेरा देवी की मूर्तियों को एक पल के लिए भी भूल सकते हैं? अत: ओ यहूदा प्रदेश! जो पाप तूने अपने प्रदेश में किए हैं, उनके दण्ड के लिए मैं तेरी सारी सम्पत्ति, तेरा बहुमूल्य खजाना लुटेरे शत्रु को दे दूंगा।
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4 तुझको अपने पैतृक भूमि-क्षेत्र से हाथ धोना पड़ेगा, जो मैंने तुझको दिया था! तू उस देश में शत्रुओं की गुलामी करेगा, जिस को तू अभी नहीं जानता है। ओ यहूदा प्रदेश, मेरी क्रोधाग्नि तेरे विरुद्ध भड़क उठी है। यह कभी नहीं बुझेगी।’
5 प्रभु यों कहता है: ‘वह मनुष्य शापित है, जो आदमी पर भरोसा करता है, जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है, जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है।
6 वह मरुस्थल की छोटी सूखी झाड़ी के समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता।
7 ‘धन्य है वह मनुष्य, जो प्रभु पर भरोसा करता है; जिसका भरोसा ही प्रभु है।
8 वह मानो कल-कल करते झरने के तट पर रोपा गया वृक्ष है; जिसकी जड़ें गहरे पानी में होती हैं। जब दोपहर के सूरज की प्रखर किरणें उस पर पड़ती हैं, तब वह उनकी गर्मी से नहीं मुरझाता; उसके पत्ते सदा हरे बने रहते हैं। वर्षा न होने पर भी उनको चिन्ता नहीं होती, क्योंकि वह सूखा पड़ने पर भी फलता है।
9 ‘मनुष्य का हृदय छल-कपट से भरा होता है, निस्सन्देह वह सब से अधिक भ्रष्ट होता है। मनुष्य के हृदय को कौन समझ सकता है?
10 केवल मैं हृदय की जांच करता हूँ; मैं प्रभु, मनुष्य के मन को परखता हूँ, और हर एक मनुष्य को उसके आचरण के अनुकूल उसके कर्मों के फल के अनुसार पुरस्कार देता हूं।
11 ‘जो मनुष्य अन्यायपूर्ण साधनों से धन-सम्पत्ति संचित करता है, वह उस तीतरनी की तरह है, जो दूसरे पक्षियों के अण्डे सेती है। ऐसे मनुष्य के जीवन-काल में ही धन-सम्पत्ति उसका साथ छोड़ देती है; और अन्त में वह मूर्ख सिद्ध होता है।’
12 जहां आरम्भ से उच्च स्थान पर महिमामय सिंहासन प्रतिष्ठित है, वह हमारा आराधना-स्थल है।
13 हे प्रभु, तू ही इस्राएल की आशा है! जो तुझको त्याग देते हैं, वे अंत में अपने शत्रु से पराजित होते हैं। जो तुझ से मुंह मोड़ लेते हैं, उनका नाम और निशान पृथ्वी की सतह से मिट जाता है; क्योंकि उन्होंने तुझ-प्रभु को, जीवन-जल के झरने को, त्याग दिया है।
14 हे प्रभु, मुझे स्वस्थ कर, तो मैं स्वस्थ हूंगा; मुझे बचा तो मैं बच जाऊंगा; क्योंकि प्रभु, मैं तेरी ही स्तुति करता हूं।
15 देख, मेरे शत्रु मुझ से व्यंग्य से कहते हैं, ‘कहां है प्रभु का वचन? अब वह कार्य-रूप में पूरा हो।’
16 प्रभु, मैंने उन पर विपत्ति भेजने के लिए तुझ पर जोर नहीं डाला था; तू जानता है कि मैंने विनाश-दिवस की कामना नहीं की थी। जो कुछ मेरे ओंठों से निकला है, वह सब तू जानता है।
17 प्रभु, तू मेरे आतंक का कारण न बन; क्योंकि दुर्दिन में तू ही मेरा शरणस्थान है।
18 प्रभु, जो लोग मुझे सताते हैं, उनको तू लज्जित कर, और मुझे लज्जित न होने दे। वे डर से कांप उठें, किन्तु मैं निडर बनूं। उनको विनाश का दिन दिखा; उनका विनाश कर, नहीं सर्वनाश कर!
19 प्रभु ने मुझसे यह कहा, ‘यिर्मयाह, जा और जनता-द्वार पर खड़ा हो, जहां से यहूदा के राजा प्रवेश करते हैं और आते-जाते हैं। उसके बाद तू यरूशलेम के सब प्रवेश-द्वारों पर खड़ा होना,
20 और उनसे कहना: ओ यहूदा प्रदेश के राजाओ, ओ यहूदा प्रदेश की जनता! ओ यरूशलेम के निवासियो, तुम-सब लोग जो इन द्वारों से प्रवेश करते हो, प्रभु का वचन सुनो।
21 प्रभु ने यह कहा है: यदि तुम अपना जीवन बचाना चाहते हो तो मेरी बात पर ध्यान दो। विश्राम दिवस पर किसी प्रकार का बोझ मत उठाओ, और न ही उसको ढोते हुए यरूशलेम के प्रवेश-द्वारों से गुजरो।
22 विश्राम दिवस पर अपने घर से बाहर भी बोझ लाद कर मत निकलो, और न किसी प्रकार का काम करो। जैसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को आज्ञा दी थी, उसी के अनुरूप विश्राम दिवस को पवित्र मानो।
23 किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी आज्ञा नहीं मानी; उन्होंने अकड़ कर अपनी गर्दन टेढ़ी कर ली। उन्होंने अपने कान बन्द कर लिये, जिससे वे मेरे वचन न सुनें और न किसी प्रकार का उपदेश ग्रहण करें।
24 ‘किन्तु मैं-प्रभु कहता हूँ: यदि तुम मेरे वचन सुनोगे, और विश्राम दिवस पर किसी प्रकार का बोझ उठा कर इस नगर के प्रवेश-द्वारों से प्रवेश नहीं करोगे, विश्राम दिवस को पवित्र मानोगे, और उस दिन किसी प्रकार का काम नहीं करोगे,
25 तो दाऊद के सिंहासन पर बैठने वाले राजा इस नगर के प्रवेश-द्वारों से सदा प्रवेश करते रहेंगे। रथों और घोड़ों पर सवार राजा और राजकुमार तथा यहूदा प्रदेश के योद्धा, और यरूशलेम के निवासी, इन प्रवेश-द्वारों से आते-जाते रहेंगे। यह यरूशलेम नगर सदा आबाद रहेगा।
26 तब यहूदा प्रदेश के सब नगरों से, यरूशलेम नगर के आसपास के गांवों से, बिन्यामिन के भूमि-क्षेत्र से, शफेलाह के मैदानी नगरों से, पहाड़ी क्षेत्र से और नेगेब क्षेत्र से सब लोग अग्नि-बलि, पशु-बलि, अन्न-बलि और सुगन्धित धूप-बलि लाएंगे, और प्रभु के गृह, यरूशलेम के मन्दिर में स्तुति-बलि के रूप में उनको चढ़ाएंगे।
27 ‘किन्तु यदि तुम मेरा वचन नहीं सुनोगे, और विश्राम दिवस को पवित्र नहीं रखोगे; यदि विश्राम दिवस पर किसी प्रकार का बोझ उठा कर यरूशलेम के प्रवेश-द्वारों से प्रवेश करोगे, तो मैं उन द्वारों में आग लगा दूंगा, और यह आग यरूशलेम के महलों को भस्म कर देगी, और कभी नहीं बुझेगी।’