Isaiah 54
1 ओ यरूशलेम नगरी! तू बांझ है; तू निस्सन्तान है! तूने प्रसव-पीड़ा नहीं भोगी; पर अब तू उमंग में, उच्च स्वर में गीत गा। क्योंकि प्रभु यह कहता है: परित्यक्त स्त्री को सुहागिन स्त्री से अधिक सन्तान होगी।
2 अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, अपने शिविर की कनातें लम्बी कर; हाथ मर रोक; अपनी रस्सियों को लम्बा और खूटों को मजबूत कर।
3 क्योंकि अब तू दाएं-बाएँ फैलेगी, तेरे वंशज राष्ट्रों पर अधिकार करेंगे, वे उजाड़ नगरों को आबाद करेंगे।
4 मत डर; क्योंकि अब तू लज्जित न होगी। मत घबरा; क्योंकि अब तू अपमानित न होगी। जो अपमान तूने जवानी में सहा था, उसे तू भूल जाएगी। अपने विधवापन का कलंक तुझे याद न रहेगा।
5 क्योंकि तुझे ‘बनानेवाला’ ही तेरा पति है; उसका नाम है − ‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु’। इस्राएल का पवित्र परमेश्वर तेरा मुक्तिदाता है। वह सम्पूर्ण पृथ्वी का परमेश्वर कहलाता है।
6 प्रभु ने तुझे ऐसे बुलाया है, जैसे त्यागी हुई और दु:खी मन वाली स्त्री को पुन: बुलाया जाता है। क्या कोई युवावस्था की पत्नी को भुला सकता है? तेरा परमेश्वर यह कहता है:
7 ‘केवल कुछ पल के लिए मैंने तुझे त्याग दिया था; पर अब मैं तुझ पर अपार दया कर तुझे एकत्र करूंगा।
8 क्रोध के आवेश में मैं ने क्षण भर के लिए तुझ से अपना मुंह छिपा लिया था; पर अब मैं तेरे प्रति शाश्वत, करुणापूर्ण दया करूंगा।’ तेरा मुक्तिदाता प्रभु यह कहता है।
9 ‘मेरे लिए यह वैसा है जैसा नूह के समय में था: मैंने शपथ ली थी कि जल-प्रलय से पृथ्वी पुन: न डूबेगी। वैसी ही शपथ अब मैं पुन: ले रहा हूं: मैं तुझसे नाराज न होऊंगा, मैं तुझे फिर न डांटूंगा।
10 चाहे पहाड़ अपने स्थान से टल जाएं, चाहे पहाड़ियाँ अपने स्थान से हिल जाएं, किन्तु तुझ पर से मेरी करुणा नहीं हटेगी, मेरा शान्ति-विधान नहीं टलेगा।’ तुझ पर दया करनेवाला प्रभु यह कहता है।
11 ‘ओ दुखियारी, तूफान की झकझोरी, तुझको शान्ति नहीं मिली। ओ यरूशलेम नगरी! अब मैं तेरे पत्थरों की पच्चीकारी करूंगा, और उन्हें अच्छे ढंग से लगाऊंगा; मैं तेरी नींव में नीलमणि डालूंगा।
12 मैं तेरे कलश मणिकों से तेरे प्रवेश-द्वार लालड़ियों से और परकोटे बहुमूल्य रत्नों से बनाऊंगा।
13 स्वयं मैं-प्रभु तेरी संतान को शिक्षा दूंगा; और तेरी संतान अत्यन्त समृद्ध होगी।
14 तू धर्म की नींव पर स्थिर होगी, तू नहीं डरेगी; अत्याचार से तू बची रहेगी; आतंक तेरे पास फटकेगा भी नहीं।
15 यदि तुझ पर आक्रमण होगा, तो यह मेरी ओर से नहीं होगा; जो शत्रु तुझसे लड़ेगा, वह तुझ से पराजित होगा।
16 देख, लोहार को, जो कोयले की आग धधकाता है, और युद्ध के लिए हथियार बनाता है; उसको मैंने ही सृजा है। मैंने विनाश के लिए विध्वंसक की भी सृष्टि की है।
17 तेरे विरुद्ध बनाया गया कोई भी शस्त्र सफल न होगा; जो साक्षी न्यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्तुत होगी, तू उसको निरस्त करने में सफल होगी। यह प्रभु के सेवकों की नियति है, मैं उनको विजय प्रदान करता हूं।’ प्रभु यह कहता है।