Isaiah 45
1 प्रभु अपने अभिषिक्त राजा कुस्रू से यह कहता है: ‘राष्ट्रों को तेरे अधीन करने के लिए, उनके राजाओं को शक्तिहीन बनाने के लिए मैंने तुझे सामर्थ्य प्रदान किया है। तू उनके नगरों के प्रवेश-द्वार खोलेगा, वे फिर बन्द न होंगे।
2 मैं तेरे आगे-आगे जाऊंगा, और पहाड़ों को समतल मैदान बनाऊंगा। मैं पीतल के प्रवेश-द्वार तोड़ दूंगा, मैं लोहे की छड़ों को टुकड़े-टुकड़े करूंगा।
3 मैं तुझे अंधकार में छिपा हुआ खजाना, गुप्त स्थानों में गड़ा हुआ धन दूंगा। तब तुझे ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं। मैं ही इस्राएल का परमेश्वर हूं और मैंने ही तुझे अपना अभिप्राय पूरा करने के लिए बुलाया है ।
4 अपने सेवक याकूब, अपने मनोनीत इस्राएल के कारण, मैंने तुझे निजी तौर पर बुलाया है, और तुझे कुल नाम दिया है, यद्यपि तू मुझे नहीं जानता है।
5 मैं ही प्रभु हूं, मुझे छोड़ दूसरा प्रभु नहीं है, मेरे अतिरिक्त अन्य ईश्वर नहीं है। मैं ही तुझे सामर्थ्य देता हूं, यद्यपि तू मुझे नहीं जानता है,
6 ताकि उदयाचल से अस्ताचल तक सभी लोग जान लें कि मेरे अतिरिक्त अन्य ईश्वर नहीं है। मैं ही प्रभु हूं, मुझे छोड़ दूसरा प्रभु नहीं है।
7 मैं ही प्रकाश का उत्पन्न करनेवाला हूं, मैं ही अन्धकार का स्रष्टा हूं। मैं ही कल्याण का देनेवाला, मैं ही विपत्ति का ढाहनेवाला हूं। मैं, प्रभु, यह सब करता हूं।’
8 ओ आकाश, धर्म की वर्षा कर। ओ आकाश-मण्डल, धार्मिकता बरसा। धरती की सतह खुल जाए, जिससे उद्धार का अंकुर फूटे। वह धार्मिकता को भी उपजाए। मैं-प्रभु ने ही उसे रचा है।
9 धिक्कार है उसे, जो अपने रचनेवाले से तर्क करता है। क्या घड़ा अपने बनानेवाले कुम्हार से बहस कर सकता है? क्या मिट्टी अपने गढ़नेवाले कुम्हार से कह सकती है, ‘तू क्या बना रहा है?’ अथवा, ‘इसमें मुठिया तो है ही नहीं।’
10 धिक्कार है उस पुत्र को, जो अपने पिता से यह कहता है, ‘तू क्या पैदा कर रहा है?’ अथवा अपनी मां से यह कहता है, ‘तू किस को जन्म दे रही है?’
11 इस्राएल का पवित्र परमेश्वर, इस्राएल का स्रष्टा, प्रभु यों कहता है, ‘क्या तुम मेरी सन्तान के बारे में मुझ से पूछताछ करोगे? क्या तुम मेरे हस्तकार्यों के विषय में मुझे आदेश दोगे?
12 मैंने पृथ्वी को बनाया है, मैंने ही मनुष्य को रचा है, ताकि वह उस पर निवास करे। मेरे ही हाथों ने आकाश को वितान के समान ताना है; मेरे ही आदेश से आकाश के तारागण स्थित हैं।
13 मैंने ही राजा कुस्रू को सत्कार्य के लिए उभाड़ा है; मैं उसके सब मार्गों को सफल बनाऊंगा। वह मेरे नगर का पुनर्निर्माण करेगा, और मेरे निर्वासितों को मुक्त करेगा।’ स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता है, ‘कुस्रू अपने इस कार्य के लिए कोई कीमत या पुरस्कार नहीं लेगा।’
14 प्रभु इस्राएली लोगों से यों कहता है: ‘मिस्र देश की धन-सम्पत्ति, इथियोपिआ देश की व्यापार-सामग्री तेरी हो जाएगी। ऊंचे कदवाले सबाई लोग तेरे पास आएंगे और वे तेरे हो जाएंगे; वे तेरा अनुसरण करेंगे। वे बेड़ियों में बंधे हुए तेरे पास आएंगे और तेरे सम्मुख सिर झुकाएंगे। वे तुझ से यह कहते हुए अनुनय-विनय करेंगे, “ईश्वर केवल आपके साथ है, उसे छोड़ दूसरा कोई ईश्वर नहीं है; उसके अतिरिक्त अन्य ईश्वर नहीं है।” ’
15 ओ इस्राएल के उद्धारकर्ता परमेश्वर! निश्चय ही तू अगम्य परमेश्वर है!
16 मूर्ति बनानेवाले सबके सब लज्जित, भ्रमित और आतंकित हो गए।
17 किन्तु प्रभु ने अपने शाश्वत उद्धार से इस्राएली राष्ट्र को बचा लिया; अब वह अनन्तकाल तक लज्जित और आतंकित नहीं होगा।
18 आकाश का स्रष्टा (वह परमेश्वर है!), पृथ्वी को आकार देनेवाला और बनानेवाला प्रभु यों कहता है: (उसने ही पृथ्वी को स्थिर किया है, उसने उसको इसलिए नहीं रचा कि वह निर्जन रहे, उसने उसे आबाद करने के लिए बनाया है।) ‘मैं ही प्रभु हूं, मुझे छोड़ दूसरा कोई प्रभु नहीं है।
19 मैंने किसी गुप्त स्थान में, या कहीं अंधकारमय क्षेत्र में नहीं कहा; मैंने याकूब के वंशजों से यह नहीं कहा, “मुझे निर्जन स्थान में ढूंढ़ना।” मैं प्रभु हूं, मैं केवल सच बोलता हूं; मैं उचित बात बताता हूं।’
20 विजित कौमों में से बचे हुए लोगो, एकत्र हो। तुम-सब पास आओ। लकड़ी की मूर्ति ढोनेवालो, तुम मुझे नहीं जानते। तुम ऐसे देवता से प्रार्थना करते हो, जो तुम्हें नहीं बचा सकता।
21 अपनी बात कहो, प्रमाण को सामने लाओ, तुम आपस में विचार-विमर्श करो। किसने प्राचीनकाल से ये बातें बताई थीं? किसने बहुत पहले से ये घटनाएँ प्रकट की थीं? मैंने, मैं-प्रभु ने ही ये बातें तुम पर प्रकट की थीं। मेरे अतिरिक्त अन्य ईश्वर नहीं है। मुझे छोड़ दूसरा धार्मिक और उद्धारकर्ता ईश्वर नहीं है।’
22 ओ पृथ्वी के सीमान्तों तक रहनेवालो, मेरी ओर मुड़ो और मैं तुम्हें बचाऊंगा; क्योंकि मैं परमेश्वर हूं, और मुझे छोड़ दूसरा कोई नहीं है।
23 मैंने स्वयं अपनी शपथ खाई है, मेरी धार्मिकता से मेरे मुंह से यह वचन निकला है, और वह नहीं टलेगा: ‘हर एक मनुष्य मेरे सम्मुख घुटना टेकेगा, प्रत्येक जीभ मेरे नाम से शपथ लेगी।’
24 लोग मेरे विषय में यह कहेंगे: ‘केवल प्रभु में ही धार्मिकता और सामर्थ्य है। जो उसके विरोधी हैं, वे सब उसके पास आएंगे, और लज्जित होंगे।
25 परन्तु इस्राएल के सब वंशज प्रभु के द्वारा विजय और यश प्राप्त करेंगे।’