Isaiah 15
1 जिस रात आर नगर का पतन होगा, मोआब राष्ट्र उजड़ जाएगा; जिस रात कीर नगर का पतन होगा, मोआब राष्ट्र उजड़ जाएगा।
2 दीबोन नगर के निवासी शोक मनाने के लिए पहाड़ी शिखर के मन्दिर पर गए। नबो और मेदबा नगरों के पतन के कारण मोआब राष्ट्र रो रहा है। शोक प्रकट करने के लिए सबके सिर मुंड़े हुए हैं, सबकी दाढ़ी मुंड़ी हुई है,
3 गलियों में लोग शोक वस्त्र पहिने हुए घूम रहे हैं। मकानों की छतों पर, चौराहों पर लोग छाती पीट-पीटकर रो रहे हैं; वे आंसू की नदी बहा रहे हैं।
4 हेश्बोन और एलआलेह नगर सहायता के लिए पुकार रहे हैं, उनकी आवाज यहस नगर तक सुनाई दे रही है। मोआब के सशक्त सैनिक भी भय से चिल्ला रहे हैं। मोआब का कलेजा कांप उठा है।
5 मेरा हृदय मोआब के लिए दुहाई देता है, उसके सामन्त सोअर और एग्लत-शलीशीयाह नगरों में भाग गए हैं। वे लूहीत के चढ़ाव पर रोते हुए चढ़ रहे हैं। होरोनइम नगर के मार्ग पर महाविनाश का क्रंदन स्वर सुनाई पड़ रहा है।
6 निमरीन नदी का जल सूख गया; घास कुम्हला गई; हरियाली सूख गई; शस्य-श्यामलता नहीं रही।
7 वे अपनी शेष धन-सम्पत्ति, अपना संचित माल-असबाब अराबीम की तंग घाटी के उस पार ले जा रहे हैं।
8 मोआब राज्य के चारों ओर, उसकी सीमाओं तक सहायता के लिए पुकार सुनाई दे रही है। उनके रोने का स्वर एगलइम और बएर-एलीम नगरों तक पहुँच गया है।
9 दीबोन का जलाशय खून से भरा हुआ है; फिर भी प्रभु दीबोन पर और आपदा डालेगा; जो लोग मोआब से प्राण बचाकर भागेंगे अथवा जो देश में शेष बच जाएँगे, उन पर वह एक सिंह छोड़ेगा।