Hosea 6
1 लोग यह कहते हैं: ‘आओ, हम प्रभु के पास लौटें। उसने हमें क्षत-विक्षत किया है, अब वही हमें स्वस्थ करेगा। उसने हमें घायल किया है, अब वही हमारे घावों पर पट्टी बांधेगा।
2 दो दिन पश्चात् वह हमें पुनर्जीवित करेगा, और तीसरे दिन वह हमें खड़ा कर देगा, ताकि हम उसके सम्मुख जीवित रहें।
3 आओ, हम प्रभु का अनुभव प्राप्त करें। आओ, हम प्रभु के ज्ञान की तलाश करें। ऊषा की तरह उसका प्रकट होना निश्चित है। वर्षा की बूंदों के सदृश वह हमारे पास आएगा; भूमि को सींचनेवाली वसंत की वर्षा के समान वह हमारे पास आएगा।’
4 प्रभु यह कहता है: ओ एफ्रइम, मैं तेरे साथ कैसा व्यवहार करूं? ओ यहूदा, मैं तेरे साथ क्या करूं? मेरे प्रति तेरा प्रेम सबेरे के बादल के समान भाप बनकर उड़नेवाली ओस की बूंद के सदृश क्षणभंगुर है।
5 अत: मैंने नबियों के माध्यम से तेरे लोगों पर कठोर प्रहार किए; अपने मुंह के वचनों से मैंने उनका वध किया। सूर्य के सदृश मेरा न्याय प्रकट होता है।
6 मुझे करुणा चाहिए, पशु-बलि नहीं। मैं अग्नि-बलि से प्रसन्न नहीं होता, वरन् इस बात से प्रसन्न होता हूं कि तुम मुझ-परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करो।
7 उन्होंने आदम घाट में विधान का उल्लंघन किया; वहाँ उन्होंने मेरे साथ विश्वासघात किया।
8 गिलआद नगर कुकर्मियों का गढ़ है; वह रक्त रंजित नगर है।
9 जैसे डाकू-दल मार्ग में घात लगाकर राहगीर की प्रतीक्षा करते हैं, वैसे ही पुरोहित भी दल बनाकर शेकेम नगर के मार्ग पर हत्या करते हैं। वे महापाप करते हैं।
10 इस्राएल के पवित्र स्थान में मैंने घृणास्पद वस्तु देखी! वहाँ एफ्रइम वेश्यावृत्ति करता है। इस्राएल अशुद्ध हो गया है।
11 ओ यहूदा, तेरे लिए भी दण्ड का समय निश्चित है।