Genesis 46
1 याकूब ने अपनी समस्त सम्पत्ति के साथ प्रस्थान किया। वह बएर-शबा पहुँचे। वहाँ उन्होंने अपने पिता इसहाक के परमेश्वर को अनेक प्रकार की बलि चढ़ाई।
2 परमेश्वर ने रात को दर्शन में याकूब से कहा, ‘याकूब! याकूब!’ वह बोले, ‘क्या आज्ञा है?’
3 परमेश्वर ने कहा, ‘मैं परमेश्वर हूँ: तेरे पिता का परमेश्वर हूँ। तू मिस्र देश जाने से मत डर; क्योंकि मैं वहाँ तुझसे एक महान राष्ट्र का उद्भव करूँगा।
4 मैं तेरे साथ मिस्र देश जाऊंगा और वहाँ से तुझे पुन: वापस लाऊंगा। तेरी मृत्यु पर यूसुफ ही तेरी आँखें बन्द करेगा। ’
5 याकूब ने बएर-शबा से प्रस्थान किया। जो गाड़ियाँ फरओ ने याकूब को लाने के लिए भेजी थीं, उनमें याकूब के पुत्रों ने अपने पिता, छोटे-छोटे बच्चों और अपनी स्त्रियों को बैठाया और उन्हें ले गए।
6 याकूब और उनके साथ जो सन्तति थी, वे सब अपने पशुओं तथा कनान देश में अर्जित सम्पत्ति को लेकर मिस्र देश में आए।
7 याकूब अपने पुत्र-पौत्रों एवं पुत्री-पौत्रियों अर्थात् अपनी समस्त सन्तति को अपने साथ मिस्र देश में लाए।
8 इस्राएल अर्थात् याकूब के पुत्रों के नाम जो मिस्र देश में आए थे, ये हैं: याकूब का ज्येष्ठ पुत्र रूबेन;
9 रूबेन के पुत्र: हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कर्मी।
10 शिमोन के पुत्र: यमूएल, यामीन, ओहद, याकीन, सोहर और कनानी स्त्री से उत्पन्न शाऊल।
11 लेवी के पुत्र: गेर्शोन, कहात, और मरारी।
12 यहूदा के पुत्र: एर, ओनन, शेला, पेरेस और जेरह। एर और ओनन की मृत्यु कनान देश में हो गई थी। पेरेस के पुत्र हेस्रोन और हामूल थे।
13 इस्साकार के पुत्र: तोला,पूव्वा, याशूब और शिम्रोन।
14 जबूलून के पुत्र: सेरद, एलोन और यहलएल।
15 ये लिआ के पुत्र थे जिन्हें उसने याकूब से पद्दन-अराम क्षेत्र में जन्म दिया था। उसकी पुत्री दीना भी थी। ये सब पुत्र-पौत्र आदि मिलकर तैंतीस प्राणी थे।
16 गाद के पुत्र: सिप्योन, हग्गी, शूनी, एस्बोन, एरी, अरोदी और अर्एली।
17 आशेर के पुत्र: यिम्ना, यिश्वा, यिश्वी, बरीआ थे। उनकी बहिन सेरह थी। बरीआ के पुत्र: हेबर और मल्कीएल थे।
18 ये सेविका जिल्पा के, जिसे लाबान ने अपनी पुत्री लिआ को दिया था, पुत्र-पौत्र आदि थे। उसके द्वारा ये सोलह प्राणी याकूब को उत्पन्न हुए।
19 याकूब की पत्नी राहेल के पुत्र यूसुफ और बिन्यामिन थे।
20 यूसुफ को मिस्र देश में मनश्शे और एफ्रइम नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे। उन्हें ओन नगर के पुरोहित पोटीफेरा की पुत्री आसनत ने जन्म दिया था।
21 बिन्यामिन के पुत्र: बेला, बेकर, अश्बेल, गेरा, नामन, एही, रोश, मूप्पीम, हूप्पीम और आर्द।
22 ये सब चौदह प्राणी राहेल के द्वारा याकूब को उत्पन्न हुए।
23 दान का पुत्र हूशीम था।
24 नफ्ताली के पुत्र: यहसएल, गूनी, येसर और शिल्लेम।
25 ये सेविका बिल्हा के, जिसे लाबान ने अपनी पुत्री राहेल को दिया था, पुत्र-पौत्र आदि थे। उसके द्वारा ये सात प्राणी याकूब को उत्पन्न हुए।
26 याकूब के वंश के समस्त प्राणी, जो उनके साथ मिस्र देश में आए थे, याकूब की बहुओं को छोड़कर, कुल छियासठ व्यक्ति थे।
27 यूसुफ के पुत्र, जो उसको मिस्र देश में उत्पन्न हुए थे, दो थे। इस प्रकार याकूब के परिवार के समस्त प्राणी, जो मिस्र देश में आए, कुल सत्तर थे।
28 याकूब† ने अपने आगे यहूदा को यूसुफ के पास भेजा कि वह उनसे मिलने को गोशेन प्रदेश में आए । तत्पश्चात् उन्होंने गोशेन प्रदेश में प्रवेश किया।
29 यूसुफ ने अपना रथ जुतवाया, और वह अपने पिता याकूब† से भेंट करने को गोशेन प्रदेश गया। वह उनके सम्मुख गया। वह उनके गले लगकर देर तक रोता रहा।
30 याकूब ने यूसुफ से कहा, ‘अब मैं मर सकूँगा, क्योंकि मैंने तेरा मुख देख लिया कि तू अब तक जीवित है।’
31 यूसुफ अपने भाइयों और पिता के परिवार के सदस्यों से बोला, ‘अब मैं जाकर फरओ से कहूँगा, “मेरे भाई और मेरे पिता का परिवार जो कनान देश में थे, मेरे पास आए हैं।
32 ये लोग चरवाहे हैं, क्योंकि ये बहुत समय से पशु-पालन करते आए हैं। वे अपने साथ भेड़-बकरी, गाय-बैल तथा अपनी समस्त सम्पत्ति लाए हैं।”
33 जब फरओ आपको बुलाए और आपसे पूछे, “तुम्हारा व्यवसाय क्या है?”,
34 तब आप कहना, “आपके सेवक, हम, और हमारे पूर्वज बचपन से अब तक पशु पालते आए हैं” जिससे आप गोशेन प्रदेश में रह सकें। मिस्र निवासी चरवाहों से घृणा करते हैं!’