Bible

Say Goodbye

To Clunky Software & Sunday Tech Stress!

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Genesis 39

:
Hindi - CLBSI
1 यूसुफ मिस्र देश में लाया गया। राजा फरओ के पदाधिकारी पोटीफर ने यिश्‍माएलियों के हाथ से उसे खरीदा, जो यूसुफ को वहाँ लाए थे। पोटीफर मिस्र देश का उच्‍चाधिकारी और राजमहल के अंगरक्षकों का नायक था।
2 प्रभु यूसुफ के साथ था। अत: वह सफल व्यक्‍ति बना। वह अपने मिस्र-निवासी स्‍वामी के घर में रहता था।
3 यूसुफ के स्‍वामी ने देखा कि प्रभु उसके साथ है। जो कुछ वह करता है, उसे उसके हाथ से प्रभु सफल बनाता है।
4 अत: यूसुफ ने पोटीफर की कृपादृष्‍टि प्राप्‍त की, और वह उसका निजी सेवक बन गया। पोटीफर ने उसे अपने घर का निरीक्षक नियुक्‍त किया और उसके हाथ में अपना सब कुछ सौंप दिया।
5 जिस समय से पोटीफर ने उसे अपने घर का निरीक्षक बनाया, और उसके हाथ में अपना सब कुछ सौंपा, उस समय से प्रभु ने यूसुफ के कारण उस मिस्र-निवासी के घर को आशिष दी। उसके घर और खेत की प्रत्‍येक वस्‍तु पर प्रभु की आशिष होने लगी।
6 पोटीफर ने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में छोड़ दिया। उसके रहते वह भोजन करने के अतिरिक्‍त घर के सम्‍बन्‍ध में और कुछ नहीं जानता था। यूसुफ शरीर से सुडौल और देखने में सुन्‍दर था।
7 कुछ समय के पश्‍चात् यूसुफ के स्‍वामी की पत्‍नी ने उस पर बुरी नज़र डाली। उसने कहा, ‘मेरे साथ सो।’
8 यूसुफ ने अस्‍वीकार करते हुए अपने स्‍वामी की पत्‍नी से कहा, ‘देखिए, मेरे स्‍वामी घर के सम्‍बन्‍ध में कुछ भी नहीं जानते हैं। जो कुछ उनके पास है, उन्‍होंने उसे मेरे ही हाथ में सौंप दिया है।
9 वह इस घर में मुझसे अधिक बड़े नहीं हैं। उन्‍होंने मुझे कोई भी वस्‍तु देना अस्‍वीकार नहीं किया, केवल आपको, क्‍योंकि आप उनकी पत्‍नी हैं। तब मैं परमेश्‍वर के विरुद्ध इतना बड़ा कुकर्म, यह पाप कैसे कर सकता हूँ?’
10 यद्यपि वह दिन-प्रतिदिन यूसुफ से बोलती रही कि वह उसके साथ सोए, उसके साथ रहे, तथापि यूसुफ ने उसकी बात नहीं सुनी।
11 एक दिन यूसुफ काम करने के लिए घर में आया। उस समय वहाँ घर का कोई भी मनुष्‍य नहीं था।
12 पोटीफर की पत्‍नी ने यूसुफ का वस्‍त्र पकड़ लिया और उससे बोली, ‘मेरे साथ सो।’ किन्‍तु यूसुफ अपना वस्‍त्र उसके हाथ में छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया।
13 जब पोटीफर की पत्‍नी ने देखा कि यूसुफ अपना वस्‍त्र उसके हाथ में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया है,
14 तब उसने अपने घर के मनुष्‍यों को बुलाया और उनसे कहा, ‘इब्रानी सेवक को देखो। उसे मेरा स्‍वामी हमारा अपमान करने के लिए लाया है। वह इब्रानी मुझसे बलात्‍कार करने के लिए मेरे पास आया था। पर मैं ऊंची आवाज में पुकारने लगी।
15 जब उसने सुना कि मैं ऊंचे स्‍वर में चिल्‍लाकर पुकार रही हूँ, तब वह अपना वस्‍त्र मेरे हाथ में छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया।’
16 जब तक उसका स्‍वामी अपने घर में नहीं आया, उसने यूसुफ का वस्‍त्र अपने पास पड़ा रहने दिया।
17 उसने अपने स्‍वामी से भी यही कहा, ‘जिस इब्रानी सेवक को आप हमारे मध्‍य में लाए हैं, वह मेरा अपमान करने के लिए मेरे पास आया।
18 परन्‍तु जैसे ही मैंने ऊंची आवाज में पुकारा, वह अपना वस्‍त्र मेरे पास छोड़कर भागा और घर से बाहर निकल गया।’
19 जब यूसुफ के स्‍वामी ने अपनी पत्‍नी के ये शब्‍द सुने, ‘आपके सेवक ने मुझसे ऐसा व्‍यवहार किया’, तब उसका क्रोध भड़क उठा।
20 यूसुफ के स्‍वामी ने उसे पकड़कर कारागार में डाल दिया। इस स्‍थान में राजा के बन्‍दी कैद थे। यूसुफ भी कारागार में था।
21 प्रभु उसके साथ था। उसने यूसुफ पर करुणा की और उसे कारागार के मुख्‍याधिकारी की कृपा-दृष्‍टि प्रदान की।
22 अत: कारागार के मुख्‍याधिकारी ने कारागार के सब बन्‍दियों को यूसुफ के हाथ में सौंप दिया। जो कुछ भी कारागार में होता था, उसका कर्ता यूसुफ था।
23 कारागार का मुख्‍याधिकारी यूसुफ के हाथ में सौंपी गई किसी भी वस्‍तु को देखता तक था; क्‍योंकि प्रभु यूसुफ के साथ था। जो कुछ भी यूसुफ करता था, प्रभु उसे सफल बनाता था।