Bible

Engage

Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Genesis 2

:
Hindi - CLBSI
1 इस प्रकार आकाश और पृथ्‍वी एवं जो कुछ उनमें है, इन सबकी रचना पूर्ण हुई।
2 जो कार्य परमेश्‍वर ने किया था, उसको उसने सातवें दिन समाप्‍त किया। उसने उस समस्‍त कार्य से जिसे उसने पूरा किया था, सातवें दिन विश्राम किया।
3 अत: परमेश्‍वर ने सातवें दिन को आशिष दी, और उसे पवित्र किया; क्‍योंकि परमेश्‍वर ने उस दिन सृष्‍टि के समस्‍त कार्यों से विश्राम किया था।
4 आकाश और पृथ्‍वी की रचना का यही विवरण है। प्रभु परमेश्‍वर ने पृथ्‍वी और आकाश को बनाया।
5 पर उस समय धरती पर भूमि का कोई पौधा उगा नहीं था, और ही भूमि की कोई वनस्‍पति अंकुरित हुई थी; क्‍योंकि प्रभु परमेश्‍वर ने पृथ्‍वी पर वर्षा की थी, और भूमि की जोताई करने के लिए मनुष्‍य था।
6 कुहरा धरती से ऊपर उठा, और उसने समस्‍त भूमि सींच दी।
7 तब प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को भूमि की मिट्टी से गढ़ा तथा उसके नथुनों में जीवन का श्‍वास फूँका और मनुष्‍य एक जीवित प्राणी बन गया।
8 प्रभु परमेश्‍वर ने पूर्व दिशा में अदन में एक उद्यान लगाया, और वहाँ उस मनुष्‍य को, जिसे उसने गढ़ा था, रख दिया।
9 प्रभु परमेश्‍वर ने समस्‍त वृक्षों को, जो देखने में सुन्‍दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्‍य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
10 एक महा नदी उद्यान को सींचने के लिए अदन से निकली और वहाँ विभाजित होकर चार नदियों में परिवर्तित हो गई।
11 पहली नदी का नाम पीशोन है। यह वही नदी है जो हवीला देश के चारों ओर बहती है, जहाँ सोना पाया जाता है।
12 उस देश का सोना उत्तम होता है। वहाँ मोती और सुलेमानी पत्‍थर भी पाए जाते हैं।
13 दूसरी नदी का नाम गीहोन है। यह वही नदी है जो कूश देश के चारों ओर बहती है।
14 तीसरी नदी का नाम दजला है, जो असीरिया देश की पूर्व दिशा में बहती है। चौथी नदी का नाम फरात है।
15 प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को लेकर अदन के उद्यान में नियुक्‍त किया कि वह उसमें खेती करे और उसकी रखवाली करे।
16 प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को आज्ञा दी, ‘तुम उद्यान के सब पेड़ों के फल निस्‍संकोच खा सकते हो,
17 पर भले-बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल खाना; क्‍योंकि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे, तुम अवश्‍य मर जाओगे।’
18 प्रभु परमेश्‍वर ने कहा, ‘मनुष्‍य का अकेला रहना अच्‍छा नहीं। मैं उसके लिए एक उपयुक्‍त सहायक बनाऊंगा।’
19 अत: प्रभु परमेश्‍वर ने भूमि की मिट्टी से वन के समस्‍त पशु और आकाश के सब पक्षी गढ़े। वह उन्‍हें मनुष्‍य के पास लाया कि देखें, मनुष्‍य उनका क्‍या नाम रखता है। प्रत्‍येक जीव-जन्‍तु का वही नाम होगा, जो मनुष्‍य उसे देगा।
20 मनुष्‍य ने सब पालतू पशुओं, आकाश के पक्षियों और वन-पशुओं के नाम रखे; किन्‍तु मनुष्‍य को अपने लिए उपयुक्‍त सहायक नहीं मिला।
21 अत: प्रभु परमेश्‍वर ने मनुष्‍य को गहरी नींद में सुला दिया। जब वह सो रहा था तब उसकी पसलियों में से एक पसली निकाली और उस रिक्‍त स्‍थान को मांस से भर दिया।
22 प्रभु परमेश्‍वर ने उस पसली से, जिसको उसने मनुष्‍य में से निकाला था, स्‍त्री को बनाया और वह उसे मनुष्‍य के पास लाया।
23 मनुष्‍य ने कहा, ‘अन्‍तत: यह मेरी ही अस्‍थियों की अस्‍थि, मेरी ही देह की देह है; यह “नारी” कहलाएगी; क्‍योंकि यह नर से निकाली गई है।’
24 इसलिए पुरुष अपने माता-पिता को छोड़कर अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा, और वे एक देह होंगे।
25 मनुष्‍य और उसकी पत्‍नी नग्‍न थे, पर वे लज्‍जित थे।