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Ezekiel 37

:
Hindi - CLBSI
1 प्रभु की सामर्थ्य मुझ पर प्रबल हुई। प्रभु ने अपने आत्‍मा के माध्‍यम से मुझे बाहर निकाला और घाटी के मध्‍य में खड़ा कर दिया। मैंने देखा कि घाटी हड्डियों से भरी है।
2 प्रभु ने मुझे घाटी के चारों ओर घुमाया। मैंने देखा कि घाटी की सतह पर बहुत हड्डियां हैं, और वे पूर्णत: सूखी हुई हैं।
3 प्रभु ने मुझसे पूछा, ‘ओ मानव, क्‍या इन सूखी हड्डियों में प्राण सकते हैं?’ मैंने उत्तर दिया, ‘हे स्‍वामी-प्रभु, यह तो केवल आप जानते हैं।’
4 प्रभु ने मुझ से फिर कहा, ‘तू इन हड्डियों से नबूवत कर। तू इनसे यह कह: सूखी हड्डियो! प्रभु का यह सन्‍देश सुनो।
5 स्‍वामी-प्रभु सूखी हड्डियों से यह कहता है: “मैं तुममें प्राण फूंकूंगा, और तुम जीवित हो जाओगी।
6 मैं तुममें नसें भरूंगा और तुम्‍हारे कंकाल पर मांस चढ़ाऊंगा। मैं उसको त्‍वचा से ढकूंगा, और तुम्‍हें प्राण से परिपूर्ण कर दूंगा। तब तुम जीवित हो जाओगी और तुम्‍हें अनुभव होगा कि मैं ही प्रभु हूं।”
7 अत: प्रभु ने जैसा मुझे आदेश दिया था वैसा ही मैंने किया। मैंने नबूवत की। जब मैं नबूवत कर रहा था तब आवाज सुनाई दी, मानो हड्डियां खड़खड़ा रही हैं। मैंने देखा कि हड्डियां पास आईं और अपनी-अपनी हड्डी से जुड़ गईं।
8 मैं उनको देखता रहा: उन पर नसें भर गईं, उन पर मांस चढ़ गया, और मांस त्‍वचा से ढक गया। किन्‍तु उनमें जीवन का सांस नहीं था।
9 तब प्रभु ने मुझे आदेश दिया, ‘ओ मानव, नबूवत कर! तू जीवन के सांस को मेरा यह सन्‍देश सुना। तू उससे यह कहना: जीवन के सांस, तुझसे स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: चारों पवनों से आ, और इन शवों में प्राण फूंक कि ये जीवित हो जाएं।’
10 अत: मैंने जीवन के सांस को प्रभु का सन्‍देश सुनाया, जैसा प्रभु ने मुझे आदेश दिया था। तब शवों में जीवन का सांस भर गया और वे जीवित हो गए। वे अपने पैरों पर खड़े हो गए! वे संख्‍या में इतने अधिक थे मानो विशाल सेना हो!
11 तब प्रभु ने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, ये हड्डियां मानो इस्राएल के सब वंशज हैं। देख, वे कहते हैं, “हमारी हड्डियां सूख गईं। हमारी आशा टूट गई। हम पूर्णत: नष्‍ट हो चुके हैं।”
12 अत: तू उनको मेरा यह सन्‍देश सुना। तू उनसे यह नबूवत करना, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: मेरे निज लोगो, मैं तुम्‍हारी कबरें खोलूंगा और उनमें से तुमको निकालूंगा। मैं तुमको तुम्‍हारे देश इस्राएल में वापस लाऊंगा।
13 जब मैं तुम्‍हारी कबरें खोलूंगा, और उनमें से तुमको निकालूंगा तब तुम्‍हें ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूँ।
14 ‘मैं अपना आत्‍मा तुममें प्रतिष्‍ठित करूंगा, और तुम जीवित हो जाओगे! मैं तुम्‍हें तुम्‍हारे अपने देश में पुन: बसाऊंगा। तब तुम्‍हें अनुभव होगा कि मैंने, तुम्‍हारे प्रभु ने ही यह कहा था; और मैंने अपने वचन के अनुसार उसको पूरा भी किया है।’ प्रभु की यह वाणी है।
15 प्रभु का यह सन्‍देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझसे कहा,
16 ‘ओ मानव, तू लकड़ी की एक पट्टी ले, और उस पर यह लिख: “यह पट्टी यहूदा की और उसके साथी इस्राएल की सन्‍तान की है।” इसके बाद तू दूसरी पट्टी लेना, और उस पर यह लिखना: “यह पट्टी यूसुफ की अर्थात् एफ्रइम की तथा उसके साथी समस्‍त इस्राएल वंशियों की है।”
17 लिखने के पश्‍चात् तू उनको परस्‍पर जोड़ देना ताकि वे तेरे हाथ में एक पट्टी बन जाएं।
18 जब तेरे जाति-बन्‍धु तुझसे पूछेंगे, “कृपया, हमें समझाइए, इन पट्टियों का क्‍या अर्थ है?”
19 तब तू उन से यह कहना, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: सुनो, मैं यूसुफ की पट्टी को (जो एफ्रइम के हाथ में है) तथा उसके संगी-साथी इस्राएल के कुलों को लेनेवाला हूं। उसके पश्‍चात् मैं उसको यहूदा की पट्टी से जोड़ दूंगा, मैं उन्‍हें एक ही पट्टी बनाऊंगा, और वे दोनों मेरे हाथ में एक हो जाएंगे।
20 मानव, जिन पट्टियों पर तू लिखेगा, उनको अपने हाथ में उनके सामने रखना ताकि वे देख सकें।
21 इसके पश्‍चात् तू उनसे यह कहना, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: देखो, इस्राएल-वंशी जिन-जिन देशों में चले गए हैं, मैं उनको वहां से, चारों ओर के देशों से एकत्र करूंगा, और उनको उनकी अपनी भूमि पर लाऊंगा।
22 मैं उनके देश में, इस्राएल के पहाड़ों पर, उनको एक राष्‍ट्र के रूप में पुन: प्रतिष्‍ठित करूंगा। उनके ऊपर एक ही राजा राज्‍य करेगा, और वे फिर कभी दो राष्‍ट्रों के रूप में विभाजित नहीं होंगे। उनके अलग-अलग दो राज्‍य नहीं होंगे।
23 वे घृणित मूर्तियों की पूजा कर स्‍वयं को अशुद्ध नहीं करेंगे, और ही मेरी आज्ञाओं का उल्‍लंघन कर किसी पाप से स्‍वयं को अपवित्र करेंगे। उन्‍होंने अपना धर्म त्‍याग दिया था और यों पाप किया था। मैं उनको धर्म-त्‍याग के पाप से छुड़ाऊंगा, और उनको शुद्ध करूंगा। तब वे मेरे निज लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्‍वर होऊंगा।
24 ‘मेरा सेवक दाऊद उनका राजा होगा, और उन-सब का एक ही चरवाहा होगा। वे मेरे आदेशों के अनुसार जीवन व्‍यतीत करेंगे, और मेरी संविधियों के अनुरूप आचरण करेंगे।
25 जो देश मैंने अपने सेवक याकूब को दिया था, वहां वे अपने पूर्वजों के देश में पुन: निवास करेंगे। वे और उनके वंशज, पीढ़ी से पीढ़ी तक वहीं स्‍थायी रूप से रहेंगे; और मेरे सेवक दाऊद के वंशज युग-युगांतर उनके प्रशासक होंगे।
26 मैं उनके साथ शान्‍ति का विधान स्‍थापित करूंगा। यह विधान उनके साथ शाश्‍वत विधान होगा। मैं उनको आशिष दूंगा, और उनकी आबादी बढ़ाऊंगा। मैं उनके मध्‍य में स्‍थायी रूप से अपना पवित्र निवास-स्‍थान बनाऊंगा।
27 ‘मेरा निवास-स्‍थान उनके मध्‍य में सदा विद्यमान रहेगा। वे मेरे निज लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्‍वर होऊंगा।
28 जब मेरा पवित्र स्‍थान उनके मध्‍य में सदा विद्यमान रहेगा, तब सब राष्‍ट्रों को ज्ञात होगा कि मैं-प्रभु ही इस्राएल को पवित्र करता हूँ।’