Ezekiel 25
1 प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझ से कहा,
2 ‘ओ मानव-सन्तान, अम्मोन देश की ओर अपना मुख कर और वहां के निवासियों के विरुद्ध नबूवत कर।
3 तू उनसे यह कह, “ओ अम्मोनियो, स्वामी-प्रभु का सन्देश सुनो। जब मेरा पवित्र स्थान अशुद्ध किया गया, जब इस्राएल देश उजाड़ा गया, जब यहूदा के वंशज बन्दी हो कर अपने देश से निष्कासित हुए, तब तुमने प्रसन्न होकर, “अहा! हा!!” कहा था। अत: मैं स्वामी-प्रभु यह कहता हूँ:
4 देखो, मैं तुम्हें गुलाम बनाने के लिए पूर्व देश के निवासियों के हाथ में सौंप रहा हूँ। वे तुम्हारे देश में शिविर डालेंगे, और तुम्हारे मध्य तम्बू गाड़ेंगे। वे तुम्हारे वृक्षों के फल खाएंगे, और तुम्हारी गाय, भेड़, बकरियों का दूध पीएंगे।
5 मैं तुम्हारे देश की राजधानी रब्बानगर को ऊंटों की चरागाह, और अन्य नगरों को भेड़शाला बना दूंगा। तब तुम्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूँ।
6 मैं स्वामी-प्रभु यों कहता हूँ: तुमने इस्राएल देश के विनाश पर आनन्द मनाया। तुम नाचे-कूदे। तुमने ताली बजाई, तुम्हारे हृदय में उसके प्रति घोर द्वेष था। उस द्वेष को तुमने आनन्द मनाकर प्रकट किया।
7 इसलिए, मैंने तुमको दण्ड देने के लिए अपना हाथ उठाया है। मैं तुम्हें अन्य राष्ट्रों के हाथ में सौंप दूंगा, और वे तुम्हें लूट लेंगे। जिन देशों और राष्ट्रों में तुम रहते हो, वहाँ से मैं तुम्हें निकाल दूंगा, और तुम्हारा नामोनिशान मिटा डालूंगा। ओ अम्मोनियो, मैं तुम्हें पूर्णत: नष्ट कर दूंगा। तब तुम्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूं।
8 ‘स्वामी-प्रभु यों कहता है: मोआब देश के निवासियों ने कहा है कि यहूदा के वंशज अन्य जातियों के समान ही हैं। उनको भी अन्य राष्ट्रों के समान दण्ड मिला है।
9 इसलिए, मैं मोआबियों को दण्ड दूंगा। मैं उनके देश के किनारे का भाग शत्रुओं के लिए खोल दूंगा। ये नगर उनके देश के गौरव हैं: बेत-यशीमोत, बअलमोन और किर्यातईम। मैं इन नगरों की सीमा शत्रुओं के लिए खोल दूंगा।
10 मैं अम्मोन देश के साथ ही साथ मोआब देश को पूर्व देश के निवासियों के हाथ में सौंप दूंगा, और वे उस पर अधिकार कर लेंगे। अन्य राष्ट्रों में अम्मोनी और मोआबी राष्ट्रों का स्मरण तक न किया जाएगा।
11 इस प्रकार मैं मोआब को दण्ड दूंगा। तब उन्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूँ।
12 ‘स्वामी-प्रभु यों कहता है: एदोमी राष्ट्र ने यहूदा के वंशजों से प्रतिशोध लिया है, और यों प्रतिशोध लेकर उसने गंभीर अपराध किया है।
13 इसलिए स्वामी-प्रभु यों कहता है, मैं एदोम को दण्ड देने के लिए उस पर अपना हाथ उठाऊंगा, और उसके मनुष्य और पशु दोनों को नष्ट कर दूंगा। मैं उस को उजाड़ दूंगा। तेमान नगर से ददान नगर तक वे तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे।
14 मैं प्रतिशोध लेने का अधिकार इस्राएलियों को दूंगा, और वे मेरी क्रोधाग्नि और प्रकोप के अनुसार एदोम से बदला लेंगे। तब एदोम के निवासियों को मालूम होगा कि मैं प्रतिशोध लेता हूँ। स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
15 ‘स्वामी-प्रभु यों कहता है: पलिश्तियों के हृदय में इस्राएल के वंशजों के प्रति युग-युग से शत्रुता की भावना है। इसलिए उन्होंने शत्रुता और द्वेष की भावना से इस्राएलियों से प्रतिशोध लिया, और उनको नष्ट कर दिया।
16 अत: मैं स्वामी-प्रभु यह कहता हूँ: मैं पलिश्तियों को दण्ड देने के लिए अपना हाथ उठाऊंगा। मैं करेती जाति तथा समुद्र तट के शेष सब राष्ट्रों को नष्ट कर दूंगा।
17 मैं उन्हें महादण्ड दूंगा। क्रोध के साथ मैं उनसे बदला लूंगा, तब उन्हें मालूम होगा कि मैं ही प्रभु हूं।