Ezekiel 23
1 प्रभु का यह सन्देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझ से कहा,
2 ‘ओ मानव, सुन: दो स्त्रियाँ थीं। दोनों सगी बहिनें थीं।
3 वे बचपन से ही वेश्या का काम करती थीं। उन्होंने मिस्र देश में वेश्यावृत्ति की थी। वहीं उनकी छातियाँ दबाई गईं। वहीं उनके कुंवारे पेट पर हाथ फेरे गए।
4 ‘बड़ी बहिन का नाम ओहोला और छोटी बहिन का नाम ओहोलीबा था। मैंने उन दोनों बहिनों को अपना लिया। उनके पुत्र-पुत्रियाँ उत्पन्न हुए। ‘ओहोला मानो सामरी नगर है, और यरूशलेम ओहोलीबा है।
5 ‘जब ओहोला मेरी थी तब भी उसने व्यभिचार-कर्म किया। वह अपने पड़ोसी असीरियाओं पर जो उसके प्रेमी थे, मोहित हो गई।
6 ये बैंगनी पोशाक से सजे असीरियाई योद्धा, राज्यपाल और सेनापति थे; सब सुन्दर जवान थे, और घोड़ों पर सवारी करते थे।
7 ओहोला ने उन सब सैनिकों के साथ व्यभिचार किया। ये असीरिया देश के परमवीर सैनिक थे। ओहोला उन पर मोहित हो गई, और उनकी मूर्तियों से स्वयं को अशुद्ध कर लिया।
8 जो व्यभिचार-कर्म वह मिस्र देश में करती थी, उसको उसने नहीं छोड़ा। बचपन में भी पुरुषों ने उसके साथ सहवास किया था। उसकी कुंआरी छातियों पर हाथ फेरे थे, और उसके साथ सम्भोग कर अपनी कामाग्नि बुझाई थी।
9 अत: मैंने उसको उसके प्रेमियों के हाथ में, असीरियाई सैनिकों के हाथ में सौंप दिया, जिन पर वह मोहित हुई थी।
10 असीरियाई सैनिकों ने उसको नग्न किया, और अन्त में तलवार से उसका वध कर दिया। यह उसके कुकर्मों का दण्ड था। इस न्याय-दण्ड के पश्चात् उसका नाम स्त्रियों में कुख्यात हो गया। असीरियाई सैनिकों ने उसके पुत्र-पुत्रियों को बन्दी बना लिया।
11 ‘ओहोला की बहिन ओहोलीबा ने अपनी बहिन का विनाश देखा, तो भी उसने मोहित होकर अपनी बहिन से अधिक व्यभिचार किया। वह अपनी बहिन से एक कदम आगे बढ़ गई।
12 वह असीरियाई राज्यपालों और सेनापतियों पर, अस्त्र-शस्त्र से सज्जित योद्धाओं और घुड़सवारों पर, मोहित हो गई। ये सब सुन्दर जवान थे।
13 मैंने देखा कि वह अशुद्ध हो गई है। वस्तुत: दोनों बहिनों का आचरण एक-जैसा था।
14 किन्तु नहीं, ओहोलीबा ने व्यभिचार कुकर्म में अपनी बहिन को पीछे छोड़ दिया। उसने कसदी कौम के पुरुषों के चित्र देखे, जो दीवार पर लालरंग से अंकित थे।
15 पुरुषों की कमर में फेंटा बन्धा था। उनके सिर पर पगड़ी थी, जिसका छोर लहलहा रहा था। वे सब पुरुष उच्चाधिकारी दिखाई दे रहे थे। ये चित्र बेबीलोन के रहनेवालों के थे, जिनकी मातृभूमि कसदी देश है।
16 ‘ओहोलीबा ने उनको देखा और वह उन पर मोहित हो गई। उसने बेबीलोन के पास अपने दूत भेजे।
17 बेबीलोन के लोग उसकी प्रेम-शैया पर आए, और उसके साथ सम्भोग कर उसको अशुद्ध किया। जब वह उनसे भ्रष्ट हो गई तब उसका मन उनसे ऊब गया, और उसने उनसे मुंह फेर लिया।
18 ‘जब वह खुले-आम व्यभिचार करने लगी, और अपना शरीर सब के सामने उघाड़ने लगी, तब मैंने घृणा से उसकी ओर से मुंह फेरा, जैसा मैंने उसकी बहिन से मुंह फेरा था।
19 फिर भी वह दिन-प्रतिदिन व्यभिचार करती रही। वह अपने बचपन के दिन याद करती थी, जब वह मिस्र देश में व्यभिचार करती थी।
20 वहां वह ऐसे प्रेमियों पर मोहित हुई थी, जिनके लिंग गधों के समान, और वीर्य घोड़ों के समान था।
21 ‘ओ ओहोलीबा, तू अपने बचपन के व्यभिचार-कर्म की पुन: कामना करती थी, जब मिस्र निवासी तेरे कुंवारे पेट पर हाथ फेरते थे, जब वे तेरी कुंवारी छातियों को दबाते थे।
22 ‘ओ ओहोलीबा, स्वामी-प्रभु यों कहता है, तेरे प्रेमी तुझ से ऊब गए हैं। मैं इन्हीं प्रेमियों को तेरे विरुद्ध उभाड़ूंगा और उनसे तुझ पर चारों ओर से आक्रमण कराऊंगा। वे तुझ पर चढ़ाई करेंगे:
23 बेबीलोन के निवासी कसदी सैनिक, पकोद, शो और कोआ कबीले के सैनिक और उनके साथ सब असीरियाई सैनिक, आकर्षक युवक, राज्यपाल, सेनापति, नायक और योद्धा। ये सब घोड़ों पर सवार होंगे।
24 ये रथों, छकड़ों और विशाल जनसमूह के साथ उत्तरी दिशा से तुझ पर हमला करेंगे। ये फरियां, ढालें और शिरस्त्राण धारण किए हुए तेरे चारों ओर मोर्चाबन्दी करेंगे। मैं उनके हाथ में न्याय-निर्णय करने का दायित्व सौंपूंगा, और वे अपने न्याय-सिद्धान्तों के अनुसार तेरा न्याय करेंगे।
25 मैं तुझ पर अपना क्रोध प्रेषित करूंगा, ताकि वे क्रोध में डूबकर तेरे साथ कठोरतम व्यवहार करें। वे तेरे नाक-कान काट लेंगे और जो तेरे नगरवासी बच जाएंगे उनको वे तलवार से मौत के घाट उतार देंगे। वे तेरे पुत्र और पुत्रियों को बन्दी बना लेंगे, और तेरे बचे हुए लोगों को आग में झोक देंगे।
26 वे तेरे वस्त्र उतार लेंगे और तेरे कीमती गहने तुझ से छीन लेंगे।
27 यों मैं तेरी कामुकता और तेरे व्यभिचार-कर्म का अन्त कर दूंगा, जो तूने मिस्र निवासियों से सीखे थे, और वहां से उनको अपने साथ लाई थी। तब तू मिस्र-निवासियों की ओर नहीं देखेगी, और न फिर कभी उनका स्मरण करेगी।
28 मैं स्वामी-प्रभु यह कहता हूँ: ओ ओहोलीबा, तू जिन से घृणा करती है, उन्हीं के हाथ में मैं तुझको सौंप दूंगा। जिन लोगों से तू ऊब कर विमुख हो गई थी, उन्हीं के अधिकार में मैं तुझ को कर दूंगा।
29 वे तुझ से शत्रुता का व्यवहार करेंगे, तेरे परिश्रम का फल तुझ से छीन लेंगे, और तेरे वस्त्र उतारकर तुझको नग्न छोड़ जाएंगे। तेरे नग्न किए जाने पर तेरे व्यभिचार का कुकर्म प्रकट हो जाएगा।
30 तेरे साथ क्यों ऐसा व्यवहार किया जाएगा? क्योंकि तूने अन्य राष्ट्रों के साथ व्यभिचार किया है, और उनकी मूर्तियों से स्वयं को भ्रष्ट किया है। तेरी कामुकता और वेश्यावृत्ति के कारण ही तेरे साथ यह व्यवहार किया जाएगा।
31 तू अपनी बहिन के मार्ग पर चली, अत: मैं उसका प्याला तेरे हाथ में दूंगा।
32 ‘सुन, मैं स्वामी-प्रभु यह कहता हूँ: तू भी अपनी बहिन के प्याले में से मेरे कोप की मदिरा पिएगी; यह प्याला गहिरा और चौड़ा है। उसमें मेरे कोप की मदिरा अपार मात्रा में समाई हुई है। उसको पीने पर लोग तुझ पर हंसेंगे, वे तेरा मजाक उड़ाएंगे।
33 तू मतवालेपन में डूब जाएगी, तू दु:ख से छक जाएगी। तेरी बहिन सामरी का प्याला, आतंक और विध्वंस का प्याला है!
34 तू उसकी मदिरा पिएगी, मदिरा की अन्तिम बूंद तक पिएगी और मतवाली होकर अपने सिर के बाल नोचेगी, तू अपनी छातियों में नाखून गड़ाएगी। देख, मैंने तुझ से कह दिया।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
35 स्वामी-प्रभु यों कहता है, ‘तूने मुझे भुला दिया, अपना मुंह मुझ से फेर लिया, और कीचड़ के समान मुझे फेंक दिया। अत: अब तू अपनी कामुकता और व्यभिचार के कुकर्म का फल भोग।’
36 प्रभु ने मुझसे कहा, ‘ओ मानव, तू ओहोला और ओहोलीबा का न्याय कर, और उसके पश्चात् उनके घृणित कर्म उन्हें बता।
37 उन्होंने व्यभिचार का कुकर्म किया है: उन्होंने मेरी आराधना न कर अन्य देवताओं की पूजा की है, और उनको प्रसन्न करने के लिए मुझसे उत्पन्न अपने पुत्रों की बलि चढ़ाई है। उनके हाथों में खून लगा है।
38 इतना ही नहीं, उन्होंने मेरे साथ यह व्यवहार किया: उन्होंने अपने पूजा-दिवस पर मेरे पवित्र स्थान को अशुद्ध किया, और मेरे पवित्र विश्राम-दिवस को अपवित्र।
39 जिस दिन उन्होंने अपने देवताओं की मूर्तियों के सामने अपने पुत्रों की बलि चढ़ाई, उसी दिन वे मेरे पवित्र स्थान में आईं, और उसको अशुद्ध कर दिया। ओ मानव-पुत्र, देख, उन्होंने मेरे भवन के भीतर क्या किया है।
40 ‘ओ ओहोलीबा, ओहोला के साथ तूने दूर-दूर के पुरुषों को निमंत्रण देकर बुलाया। तूने दूत भेजे, और वे आए। तूने उनके लिए स्नान किया, आंखों में काजल भरा। तूने गहने पहने और स्वयं को सजाया-संवारा।
41 तू गाव-तकिए के सहारे लेट गई। तेरे सामने एक मेज थी, जिस पर तूने मेरा सुगन्धित धूप-द्रव्य और पवित्र तेल रखा था।
42 तेरे चारों ओर भोग-विलास में मस्त लोगों की भीड़ मंडरा रही थी। जन-साधारण के साथ भयंकर पियक्कड़ भी थे, जिन को तूने निर्जन प्रदेश से बुलाया था। उन्होंने तुझे और तेरी बहिन की कलाइयों में चूड़ियाँ पहिनाईं और तेरे और तेरी बहिन के सिर पर भव्य मुकुट रखे।
43 ‘मैंने सोचा: यह व्यभिचारिणी औरत है! यह व्यभिचार करते-करते बुढ़ा गई। फिर भी लोग इसके साथ व्यभिचार करते हैं।
44 ये इसके साथ सम्भोग करते हैं। जैसे पुरुष वेश्या के साथ करते हैं ऐसे ही वे महापापिनी ओहोला और ओहोलीबा के पास गए और उनसे सम्भोग किया।
45 अत: धार्मिक मनुष्य ओहोला और ओहोलीबा का न्याय-निर्णय करेंगे, और जो दण्ड व्यभिचारिणी स्त्रियों और हत्या करने वाली स्त्रियों को दिया जाता है, वही दण्ड उनको भी मिलेगा। निस्सन्देह ओहोला और ओहोलीबा व्यभिचारिणी हैं। उनके हाथों में खून लगा है।’
46 स्वामी-प्रभु यों कहता है, ‘मैं ओहोला और ओहोलीबा पर आक्रमण करने के लिए एक विशाल भीड़ लाऊंगा। मैं दोनों बहिनों को आतंक और लूट का शिकार बना दूंगा।
47 भीड़ के लोग उनको पत्थर से मारेंगे, अपनी तलवार से उनके टुकड़े-टुकड़े करेंगे। वे उनके पुत्र-पुत्रियों का वध करेंगे, और उनके घरों में आग लगा देंगे।
48 इस प्रकार मैं देश में होनेवाले व्यभिचार के कुकर्म का अन्त कर दूंगा। इससे देश की सब स्त्रियां सावधान हो जाएंगी, और वे तुम्हारे समान व्यभिचार न करेंगी और कामुकता से बची रहेंगी।
49 तुम्हारी कामुकता का फल तुम्हारे सिर पर पड़ेगा। तुम अपनी पापपूर्ण मूर्तिपूजा का दण्ड भोगोगे। तब तुम्हें मालूम होगा कि मैं ही स्वामी-प्रभु हूँ।”