Bible

Simplify

Your Church Tech & Streamline Your Worship

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

Ezekiel 21

:
Hindi - CLBSI
1 प्रभु का यह सन्‍देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझसे कहा,
2 ‘ओ मानव, तू अपना मुख यरूशलेम की ओर कर, और पवित्र स्‍थानों के विरुद्ध उपदेश दे। तू इस्राएल देश के विरुद्ध नबूवत कर,
3 और उससे यह कह, प्रभु यों कहता है: देख, मैं तेरे विरुद्ध हूं, और मियान से अपनी तलवार निकाल रहा हूं। मैं तेरे धार्मिक व्यक्‍ति और दुर्जन दोनों को नष्‍ट करूंगा।
4 मैं मियान से तलवार निकालूंगा, और दक्षिण से उत्तर तक सब प्राणियों का वध करूंगा, चाहे वे धार्मिक हों और चाहे दुर्जन।
5 तब सब प्राणियों को ज्ञात होगा कि मैं-प्रभु ने अपनी तलवार मियान से बाहर निकाली है। मैं उसको फिर मियान में नहीं रखूंगा।
6 इसलिए, मानव, तू आह भर! इस्राएल देश के निवासियों के सामने तू अत्‍यन्‍त पश्‍चात्तापी हृदय के साथ दु:ख मना।
7 जब वे तुझ से पूछेंगे, “आप क्‍यों दु:ख मना रहे हैं?” तब तू उनको बताना, “समाचार के कारण; क्‍योंकि ऐसी घटना घटनेवाली है जिसको देखकर सब लोगों का हृदय कांप उठेगा, उनके हाथ सुन्न पड़ जाएंगे। वे भय से मूच्‍छिर्त हो जाएंगे। वे अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे। देखो, महाविनाश रहा है। यह विनाशकारी घटना अवश्‍य घटेगी,” स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।’
8 प्रभु का यह सन्‍देश मुझे मिला। प्रभु ने मुझ से कहा,
9 ‘ओ मानव, तू नबूवत कर और यह कह, प्रभु यों कहता है: देखो, एक तलवार! सान पर चढ़ाकर उसकी धार तेज की गई, उसको चमकाया गया है।
10 वह संहार करने के लिए तेज की गई, बिजली की तरह चमकने के लिए उसको चमकाया गया है। यह सुन कर क्‍या हम हर्ष मनाएं? नहीं! मेरे पुत्र, तूने छड़ी की मार को तुच्‍छ समझा था, तू सोंठी से घृणा करता था।
11 इसलिए तलवार को चमकाया गया कि वह हाथ में पकड़ी जा सके। वधिक के हाथ में देने के लिए उसको तेज किया गया और चमकाया गया।
12 मानव, छाती पीटकर रो, और शोक मना; क्‍योंकि मेरी तलवार मेरे ही निज लोगों के विरुद्ध, मियान से निकली है। इस्राएल के समस्‍त उच्‍चाधिकारी भी मेरे निज लोगों के साथ तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे। इसलिए तू छाती पीट-पीटकर रो।
13 यह परीक्षा का समय है। यदि तू छड़ी की मार को तुच्‍छ समझे तो उससे क्‍या?’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।
14 ‘ओ मानव, इसलिए नबूवत कर और ताली बजा-बजाकर तलवार का प्रहार दोबारा नहीं, तिबारा होने दे। यह तलवार उनके लिए है जिनका वध होना है। यह महावध की तलवार है। जो कोठरियों में छिप कर बैठे हैं, वे भी इसकी मार से नहीं बच सकते।
15 उन के हृदय डर से कांप उठेंगे। वे प्रवेश-द्वारों पर लड़खड़ाकर गिर पड़ेंगे; क्‍योंकि मैंने चमकीली तलवार दी है। देखो, वह बिजली के सदृश चमकीली है। मैंने महावध के लिए उसको चमकाया है।
16 ‘ओ मेरी तलवार, दुधारी बन, और दाहिनी ओर प्रहार कर! मियान से बाहर आ, और बाईं ओर प्रहार कर! जिस ओर तेरी धार हो, उसी ओर वध कर।
17 मैं भी ताली बजाऊंगा, और महावध से अपना क्रोध शान्‍त करूंगा। मुझ-प्रभु की यही वाणी है।’
18 मुझे प्रभु का सन्‍देश फिर मिला। प्रभु ने मुझ से कहा,
19 ‘ओ मानव, तू दो मार्ग का मानचित्र बना, जहां से बेबीलोन के राजा की तलवार आएगी। दोनों मार्गों का उद्गम स्‍थल एक ही देश होगा। जहां से मार्ग नगर की ओर शुरू होगा, वहां तू एक पथ-प्रदर्शक चिह्‍न बनाना।
20 फिर उस तलवार के आने के लिए एक मार्ग बना: यह “अम्‍मोन देश के रब्‍बा नगर” तक जाएगा; और दूसरा “यहूदा प्रदेश के सुदृढ़ नगर यरूशलेम” तक जएगा।
21 बेबीलोन का राजा इन दोनों मार्गों के उद्गम स्‍थल पर खड़ा है, और वह शकुन विचार रहा है कि वह किस मार्ग पर जाए: वह तीरों को हिलाता है; वह तराफीम गृह-देवताओं से पूछता है; वह कलेजे को देखता है।
22 उसके दाहिने हाथ में यरूशलेम के नाम पर चिट्ठी निकली है। वह मुंह खोल कर पुकारता है। वह अत्‍यन्‍त उच्‍च स्‍वर में आदेश देता है कि प्रवेश-द्वारों पर युद्ध-यंत्र लगाओ, दमदमा बान्‍धो, और मोर्चाबन्‍दी करो।
23 लेकिन यरूशलेम के निवासियों को यह शकुन झूठ प्रतीत हो रहा है। उन्‍होंने तो गंभीर शपथ खाई है। किन्‍तु यह उनका अधर्म स्‍मरण करा रहा है ताकि उनको बन्‍दी बना ले!
24 ‘ओ यरूशलेम-वासियो, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: तुम्‍हारा अधर्म तुम्‍हें स्‍मरण हुआ, तुम्‍हारे अपराध प्रकट हो गए; जो कुकर्म तुमने किए हैं, उन पर से परदा हट गया। तुम्‍हें इन सब का स्‍मरण हो गया, इसलिए तुम इन्‍हीं के द्वारा बन्‍दी बनाए जाओगे।
25 ‘और तू, महा-अशुद्ध दुर्जन, इस्राएल के शासक! तेरा अन्‍तकाल गया, तेरे अन्‍तिम दण्‍ड का समय निकट गया।
26 स्‍वामी-प्रभु यों कहता है: तू अपनी पगड़ी उतार दे। अपने सिर से मुकुट अलग कर। तू पहले जैसा अधिपति नहीं रहा। जो नीचा है, उसे ऊंचा कर; और जो ऊंचा है, उसे नीचा।
27 मैं तेरे मुकुट को नष्‍ट कर दूंगा, हां निस्‍सन्‍देह मैं उसको नष्‍ट कर दूंगा। मैं उसका नामोनिशान मिटा दूंगा। हां, जब उसका वास्‍तविक स्‍वामी आएगा तब मैं वह उसको दे दूंगा।
28 ‘ओ मानव, तू अम्‍मोन देश के विरुद्ध नबूवत कर। स्‍वामी-प्रभु अम्‍मोन के निवासियों के सम्‍बन्‍ध में यह कहता है; क्‍योंकि उन्‍होंने प्रभु की निन्‍दा की थी। ‘महावध के लिए मियान से बाहर निकली तलवार! वह खूब चमचमा रही है! वह बिजली के सदृश चमक रही है।
29 वे तेरे कुशल-मंगल के लिए झूठे दर्शन देखते हैं, तेरे लिए झूठे शकुन विचारते हैं। तलवार, तू महा-अशुद्ध दुर्जनों की गर्दन पर चल! उनका अन्‍तकाल गया, उनके अंतिम दण्‍ड का समय गया।
30 अब तू मियान में लौट आ। अम्‍मोनी कौम! जिस स्‍थान पर तू बनाई गई, जिस देश में तेरी उत्‍पत्ति हुई, उसी में मैं तेरा न्‍याय करूंगा, तुझे दण्‍ड दूंगा।
31 मैं अपनी क्रोधाग्‍नि की वर्षा तुझ पर करूंगा, मैं तुझे अपने क्रोध से भस्‍म कर दूंगा। मैं तुझ को उन लोगों के हाथ में सौंप दूंगा, जो खून करने में हिचकते नहीं, जो हत्‍या करने वाले कुशल सैनिक हैं।
32 तू आग का कौर बनेगी! देश में तेरा खून बहाया जाएगा, तेरा नामोनिशान मिट जाएगा, और तुझे कोई स्‍मरण नहीं करेगा। मुझ-प्रभु की यही वाणी है।’