Ezekiel 19
1 ‘ओ मानव, तू इस्राएली उच्चाधिकारियों के सम्बन्ध में यह शोक गीत गा:
2 ओ इस्राएल के उच्चाधिकारियो, तुम्हारी मां सिंहों के मध्य एक सिंहनी थी। वह जवान सिंहों से घिरी रहती थी, और अपने बच्चों का लालन-पालन करती थी।
3 अपने बच्चों में से एक बच्चे को उसने बड़ा किया, और वह तरुण सिंह बन गया। उसने शिकार पकड़ना सीख लिया। वह आदमियों का शिकार करने लगा।
4 आसपास के राष्ट्र चौकन्ने हो गए। उन्होंने उसके विरुद्ध जाल फैलाया और वह उनके गड्ढे में फंस गया। वे उसकी नाक में नकेल डालकर उसको मिस्र देश ले गए।
5 जब उसकी मां ने यह देखा कि उसका श्रम व्यर्थ हो गया, उसकी आशा पर पानी फिर गया, तो उसने अपने एक और बच्चे को लिया, और उसको बड़ा किया, उसने उसको जवान सिंह बनाया।
6 वह सिंहों के मध्य गरजने लगा; वह जवान हो गया। उसने शिकार पकड़ना सीख लिया; वह आदमियों का शिकार करने लगा।
7 उसने अपने पड़ोसी राष्ट्रों के गढ़ उजाड़ दिए; उनके नगर निर्जन कर दिए। उसकी दहाड़ सुन कर सारा देश और उसके निवासी डर से कांप उठे।
8 तब पड़ोसी राष्ट्रों ने चारों ओर से उसको पकड़ने के लिए जाल बिछाया; उन्होंने उस पर फन्दा फेंका; और वह उनके गड्ढे में फंस गया।
9 उन्होंने उसको अंकुश से मारा, और कठघरे में बन्द कर दिया। वे उसको बेबीलोन के राजा के पास ले गए। उन्होंने उसको पिंजरे में डाल दिया कि उसकी दहाड़ इस्राएल के पहाड़ों पर फिर कभी सुनाई न दे।
10 ‘ओ इस्राएली कौम, तेरी मां मानो अंगूर-उद्यान की एक अंगूर लता थी। वह जलाशय के तट पर लगी थी। भरपूर पानी मिलने के कारण वह शाखाओं और फलों से लदी थी।
11 उसकी मोटी-मोटी टहनियां राजा के राज-दण्ड बनने के योग्य थीं। वह इतनी ऊंची थी, कि आकाश को छूने लगी। अपनी ऊंचाई और घनी शाखाओं के कारण वह राहगीरों को विस्मित करने लगी।
12 किन्तु उसके शत्रुओं ने क्रोध में भरकर उसको उखाड़ लिया, और भूमि पर फेंक दिया। पूरवी वायु ने उसको सुखा दिया। उसके फल तोड़ लिये। उसकी मोटी टहनियां सूख गईं, आग में वे झोंक दी गई।
13 ओ इस्राएली कौम! अब तेरी अंगूर-बेल एक निर्जन, निर्जल स्थल में लगाई गई।
14 किन्तु उसकी मोटी टहनी में से आग निकली, जिसने उसकी शाखाओं और फल को जला दिया। अब अंगूर लता में एक भी मोटी टहनी नहीं रही, जो राजा का राज-दण्ड बन सके! (यह एक शोक गीत है, और समाज में शोकगीत के रूप में प्रचलित है।)