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Exodus 25

:
Hindi - CLBSI
1 प्रभु ने मूसा से कहा,
2 ‘इस्राएली लोगों से कह कि वे मेरे लिए भेंट लाएं। प्रत्‍येक व्यक्‍ति से, जो स्‍वेच्‍छा से देना चाहे, मेरे लिए भेंट स्‍वीकार करना।
3 जो भेंटें तू उनसे लेगा, वे ये हैं; सोना, चांदी तथा पीतल,
4 नीले, बैंजनी और लोहित रंग के वस्‍त्र, पतले सूत से बुना हुआ कपड़ा, बकरी के बाल,
5 मेढ़े की पकी हुई खाल, सूंस का चमड़ा, बबूल की लकड़ी,
6 दीप-प्रज्‍वलन के लिए तेल, अभ्‍यंजन के तेल एवं सुगन्‍धित धूप के लिए मसाले,
7 उरावरण और उरपट में लगाने तथा अन्‍य वस्‍तुओं में जड़ने के लिए सुलेमानी पत्‍थर और मणि।
8 वे मेरे लिए एक पवित्र स्‍थान बनाएँगे जिससे मैं उनके मध्‍य निवास करूँगा।
9 अपने निवास-स्‍थान के नमूने तथा उसके समस्‍त उपकरणों से सम्‍बन्‍धित जो वस्‍तुएँ मैं तुझे दिखाता हूँ, उन्‍हीं के अनुरूप तू उसे निर्मित करना।
10 ‘वे बबूल की लकड़ी की एक मंजूषा बनाएँगे। उसकी लम्‍बाई एक मीटर साढ़े बारह सेंटीमीटर, चौड़ाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर और ऊंचाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर होगी।
11 तू उसे शुद्ध सोने से मढ़ना। तू उसे बाहर-भीतर मढ़ना। तू मंजूषा के ऊपर चारों ओर सोने की भित्ति बनाना।
12 तू उसके लिए सोने के चार कड़े ढालना और उसके चारों पायों पर लगाना, उसकी एक ओर दो कड़े तथा दूसरी ओर दो कड़े।
13 तू बबूल की लकड़ी के डण्‍डे बनाना और उन्‍हें सोने से मढ़ना।
14 तू डण्‍डों को मंजूषा के दोनों ओर के कड़ों में डालना जिससे उनके सहारे मंजूषा को उठाया जा सके।
15 डण्‍डे मंजूषा के कड़ों में लगे रहेंगे। वे उससे अलग नहीं किए जाएँगे।
16 जो साक्षी-पत्र मैं तुझे दूँगा, उसे मंजूषा में रखना।
17 ‘तत्‍पश्‍चात् तू शुद्ध सोने का दया-आसन बनाना। उसकी लम्‍बाई एक मीटर साढ़े बारह सेंटीमीटर, और चौड़ाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर होगी।
18 सोने के दो करूब बनाना। तू दया-आसन के दोनों छोर पर उन्‍हें ढाल पर बनाना:
19 एक करूब एक छोर पर और दूसरा करूब दूसरे छोर पर। दया-आसन को, और उसके दोनों छोर पर करूबों को धातु के एक ही टुकड़े से बनाना।
20 करूब अपने पंखों को इस प्रकार ऊपर फैलाएँ कि उनके पंखों से दया-आसन ढका रहे और उनके मुख आमने-सामने हों। करूबों के मुख दया-आसन की ओर रहेंगे।
21 तू दया-आसन को मंजूषा के ऊपर स्‍थापित करना। जो साक्षी-पत्र मैं तुझे दूँगा, उसे मंजूषा में रखना।
22 मैं वहाँ तुझसे भेंट किया करूँगा। जो आज्ञाएँ मैं तुझे इस्राएली समाज के लिए दूँगा, उनके विषय में मैं तुझसे दया-आसन के ऊपर से, साक्षी-मंजूषा पर स्‍थापित दोनों करूबों के मध्‍य से, वार्तालाप करूँगा।
23 ‘तू बबूल की लकड़ी की एक मेज़ बनाना। उसकी लम्‍बाई नब्‍बे सेंटीमीटर, चौड़ाई पैंतालीस सेंटीमीटर, और ऊंचाई साढ़े सड़सठ सेंटीमीटर होगी।
24 तू उसे शुद्ध सोने से मढ़ना और उसके चारों ओर सोने की भित्ती बनाना।
25 तू उसके चारों ओर साढ़े सात सेंटीमीटर चौड़ा चौखटा बनाना और इस चौखटे के चारों ओर सोने की भित्ती बनाना।
26 तू उसके लिए सोने के चार कड़े बनाना, और उसके चारों पायों के किनारे में कड़ों को लगा देना।
27 चारों कड़े चौखटे के निकट ही होने चाहिए जिससे वे मेज़ को उठाने के लिए डण्‍डों के जकड़-पट्टे का काम दें।
28 तू बबूल की लकड़ी के डण्‍डे बनाना, और उन्‍हें सोने से मढ़ना। मेज़ उन्‍हीं के सहारे उठाई जाएगी।
29 तू धूप के लिए परात, धूपदान, तथा पेयार्पण के लिए सुराहियाँ और चषक बनाना। तू इन्‍हें शुद्ध सोने से बनाना।
30 तू मेज़ पर मेरे सम्‍मुख भेंट की रोटियाँ निरन्‍तर रखना।
31 ‘तू शुद्ध सोने का एक दीपाधार बनाना। उसका पाया और डण्‍डी सोना ढालकर बनाए जाएँ। उसके पुष्‍प-कोष, गाँठ और फूल धातु के एक ही टुकड़े से बनाना।
32 उसकी छ: शाखाएँ निकली होंगी। दीपाधार की एक ओर तीन शाखाएँ और दूसरी ओर तीन शाखाएँ रहेंगी।
33 प्रत्‍येक शाखा में बादाम की बौंड़ी के समान तीन पुष्‍पकोष, एक गांठ और एक फूल होंगे। दीपाधार की छ: शाखाओं में ऐसा ही होगा।
34 दीपाधार की डण्‍डी में भी बादाम की बौंड़ी के समान चार पुष्‍प-कोष, अपनी-अपनी गांठ और फूल के साथ होंगे।
35 दीपाधार की डण्‍डी पर छ: शाखाओं की एक-एक जोड़ी-शाखा के नीचे एक-एक गांठ होगी। गांठे और डण्‍डी धातु के एक ही टुकड़े से बनाई जाएँगी।
36 गांठे और शाखाएँ भी धातु के एक ही टुकड़े से बनाई जाएँगी। शुद्ध सोना ढालकर पूरा दीपाधार एक ही टुकड़े से बनाना।
37 तू उसके लिए सात दीपक बनाना। उनको इस प्रकार जलते हुए रखना कि उनका प्रकाश सामने के स्‍थान पर पड़े।
38 उसके गुलतराश और गुलदान शुद्ध सोने के होंगे।
39 दीपाधार और उसके सब पात्र लगभग पैंतीस किलो शुद्ध सोने से बनाए जाएँगे।
40 ध्‍यान रखना कि ये वस्‍तुएँ अपने-अपने ढांचे के अनुरूप बनाई जाएँ, जो मैंने तुझे पहाड़ पर दिखाया है।