Ephesians 6
1 बच्चो! प्रभु में अपने माता-पिता की आज्ञा मानो, क्योंकि यह उचित है।
2 “अपने माता-पिता का आदर करो।” यह पहली ऐसी आज्ञा है जिसके साथ एक प्रतिज्ञा भी जुड़ी हुई है,
3 जो इस प्रकार है, “जिससे तुम्हारा कल्याण हो और तुम बहुत दिनों तक पृथ्वी पर जीते रहो।”
4 आप, जो पिता हैं, अपने बच्चों का क्रोध नहीं भड़काएं; बल्कि प्रभु के अनुरूप शिक्षा और उपदेश द्वारा उनका पालन-पोषण करें।
5 दासों से मेरा अनुरोध है कि जो लोग इस पृथ्वी पर आपके स्वामी हैं, आप डरते-काँपते और निष्कपट हृदय से उनकी आज्ञा पूरी करें, मानो आप मसीह की सेवा कर रहे हों।
6 आप मनुष्यों को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दिखावा मात्र के लिए नहीं, बल्कि मसीह के दासों की तरह ऐसा करें, जो सारे हृदय से परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं।
7 आप प्रसन्नता से अपना सेवा-कार्य करते रहें, मानो आप मनुष्यों की नहीं, बल्कि प्रभु की सेवा करते हों;
8 क्योंकि आप जानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य, चाहे वह दास हो या स्वतन्त्र, जो भी भलाई करेगा, उसका पुरस्कार वह प्रभु से प्राप्त करेगा।
9 आप जो स्वामी हैं, दासों के साथ ऐसा ही व्यवहार करें। आप धमकियाँ देना छोड़ दें; क्योंकि आप जानते हैं कि स्वर्ग में उनका और आपका एक ही स्वामी है, और वह किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।
10 अन्त में: आप-लोग प्रभु से और उनके अपार सामर्थ्य से बल ग्रहण करें।
11 आप परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र धारण करें, जिससे आप शैतान की धूर्तता का सामना करने में समर्थ हों;
12 क्योंकि हमें निरे मनुष्यों से नहीं, बल्कि वर्तमान अन्धकार के अधिपतियों, अधिकारियों तथा महाशासकों से, स्वर्गिक क्षेत्र के दुष्ट आत्माओं से ही संघर्ष करना पड़ता है।
13 इसलिए आप परमेश्वर के अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित हों, जिससे आप दुर्दिन में शत्रु का सामना करने में समर्थ हों और अन्त तक अपना कर्त्तव्य पूरा कर विजय प्राप्त करें।
14 आप सत्य का कमरबन्द कस कर, धार्मिकता का कवच धारण करें
15 और शान्ति का शुभ समाचार सुनाने के लिए उत्साह की चप्पल पहन कर खड़े हों।
16 साथ ही विश्वास की ढाल धारण किये रहें। उस से आप दुष्ट के सब अग्निमय बाण बुझा सकेंगे।
17 इसके अतिरिक्त मुक्ति का टोप पहन लें और आत्मा की तलवार-अर्थात् परमेश्वर का वचन-ग्रहण करें।
18 आप लोग हर समय पवित्र आत्मा में सब प्रकार की प्रार्थना तथा निवेदन करते रहें। आप लोग जागते रहें और सब सन्तों के लिए लगन से निरन्तर प्रार्थना करते रहें।
19 आप मेरे लिए भी प्रार्थना करें, जिससे बोलते समय मुझे शब्द दिये जायें और मैं निर्भीकता से उस शुभ समाचार का रहस्य घोषित कर सकूँ,
20 जिस शुभ समाचार का मैं बेड़ियों से बंधा हुआ राजदूत हूँ। आप प्रार्थना करें, जिससे मैं निर्भीकता से शुभ समाचार की घोषणा कर सकूँ, जैसा कि मुझे बोलना चाहिए।
21 प्रभु की संगति में प्रिय भाई और विश्वस्त सेवक तुखिकुस आप लोगों को यह सब बता देंगे, ताकि आप भी जान लें कि मैं कैसे हूँ और क्या कर रहा हूँ।
22 मैं उन्हें इसलिए आप लोगों के पास भेज रहा हूँ कि आप मेरे विषय में पूरा समाचार जान जायें और इसलिए भी कि वह आप के हृदय को ढाढ़स बंधायें।
23 पिता-परमेश्वर और प्रभु येशु मसीह की ओर से सभी भाई-बहिनों को शान्ति और विश्वास के साथ प्रेम भी मिले।
24 परमेश्वर की कृपा उन सब पर बनी रहे, जो हमारे प्रभु येशु मसीह से अक्षय प्रेम करते हैं!