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Deuteronomy 32

:
Hindi - CLBSI
1 ‘ओ आकाश, मेरी ओर ध्‍यान दे, मैं बोलूंगा: पृथ्‍वी, मेरे मुंह के शब्‍द को सुन!
2 मेरी शिक्षाएँ वर्षा के सदृश बरसें, मेरे शब्‍द ओस के सदृश टपकें, जैसे हरी घास पर रिमझिम वर्षा, जैसे वनस्‍पति पर बौछार!
3 मैं प्रभु के नाम को घोषित करूंगा, हमारे परमेश्‍वर की महानता को स्‍वीकार करो!
4 ‘प्रभु चट्टान है। उसका शासन-कार्य सिद्ध है; क्‍योंकि उसके समस्‍त मार्ग न्‍यायपूर्ण हैं। वह सच्‍चा परमेश्‍वर है, उसमें पक्षपात नहीं, वह निष्‍पक्ष न्‍यायी और निष्‍कपट है।
5 परन्‍तु इस्राएलियों ने प्रभु के साथ भ्रष्‍ट व्‍यवहार किया; वे अपने कलंक के कारण उसके पुत्र- पुत्रियां नहीं रहे। वे विकृत और कुटिल पीढ़ी के लोग हैं।
6 मूर्ख और निर्बुद्धि जाति के लोगो! तुम प्रभु के कार्यों का यह बदला देते हो? क्‍या वह तेरा पिता नहीं है, इस्राएल! जिसने तुझे अस्‍तित्‍व दिया, जिसने तुझे बनाया, और स्‍थापित किया?
7 बीते हुए दिनों को स्‍मरण कर, प्रत्‍येक पीढ़ी के वर्षों पर विचार कर; अपने पिता से पूछ, और वह तुझ पर प्रकट करेगा; अपने धर्मवृद्धों से पूछ, और वे तुझ को बताएंगे।
8 जब सर्वोच्‍च परमेश्‍वर ने राष्‍ट्रों को उनका पैतृक-अधिकार बांटा, मानव-समूहों को अलग-अलग किया, तब उसने ईश-पुत्रों की संख्‍या के अनुसार विभिन्न जातियों की राज्‍य-सीमाएं निश्‍चित कर दीं।
9 पर प्रभु का निज भाग इस्राएल, उसकी अपनी प्रजा है; उसका निर्धारित पैतृक-अधिकार याकूब है।
10 प्रभु ने उसको निर्जन प्रदेश में, सुनसान विस्‍तृत मैदान में, गरजते-चीखते पशुओं से भरे मरुस्‍थल में पाया था; रक्षा के हेतु उसको घेर कर रखा; उसकी देख-भाल की, आंख की पुतली के सदृश उसको संभालकर रखा।
11 जैसे गरुड़ अपने घोंसले की चौकसी करता है, अपने बच्‍चों के ऊपर मंडराता है, अपने पंख फैलाकर उनको पकड़ता है, उनको अपने परों पर उठा लेता है,
12 वैसे प्रभु ने अकेले ही इस्राएल का नेतृत्‍व किया; उसके साथ कोई विदेशी देवता नहीं था।
13 प्रभु ने उसे पृथ्‍वी के उच्‍च स्‍थानों की सवारी कराई, इस्राएल ने खेतों की उपज खाई। प्रभु ने चट्टान से शहद निकाल उसे चटाया, कड़ी चट्टान में से तेल निकालकर उसे खिलाया।
14 गायों का दही, भेड़-बकरियों का दूध, मेढ़े और मेमनों की चर्बी, बाशान जाति के पशु, बकरे, गेहूं का उत्तम आटा भी उसने उसे दिया। इस्राएल, तूने अंगूर का रक्‍तिम रस भी पिया था!
15 ‘पर तू, यशूरून! मोटा होकर लात मारने लगा! तू मोटा हुआ, हृष्‍ट-पुष्‍ट हुआ! तेरी देह पर चर्बी चढ़ गई! तब तूने परमेश्‍वर को छोड़ दिया, जिसने तुझे बनाया था, अपने उद्धार की चट्टान के साथ मूर्खतापूर्ण व्‍यवहार किया।
16 इस्राएली लोगों ने अजनबी देवताओं की वन्‍दना कर, प्रभु को ईष्‍र्यालु बनाया, घृणित प्रथाओं का पालन कर उसके क्रोध को भड़काया।
17 उन्‍होंने भूत-प्रेतों को बलि चढ़ाई, जो ईश्‍वर नहीं थे, जिन्‍हें वे नहीं जानते थे; जो नए-नए देवता थे, अभी-अभी प्रकट हुए थे, जिनका भय उनके पूर्वजों को कभी नहीं हुआ था।
18 इस्राएल! जिस “चट्टान” ने तुझे जन्‍म दिया, उसको तू भूल गया! जिस परमेश्‍वर ने तुझे उत्‍पन्न किया, उसको तूने विस्‍मृत कर दिया।
19 ‘प्रभु ने यह देखा कि उसके पुत्र-पुत्रियों ने उसे चिढ़ाया। अत: उसने उन्‍हें ठुकरा दिया।
20 उसने कहा, मैं विमुख होऊंगा। मैं देखूंगा कि उनका क्‍या अन्‍त होता है। यह सत्‍य और न्‍याय से जी चुरानेवाली पीढ़ी है! इन बच्‍चों में निष्‍ठा का अभाव है।
21 जो ईश्‍वर नहीं है, उसके प्रति निष्‍ठा प्रदर्शित कर उन्‍होंने मुझमें ईष्‍र्या उत्‍पन्न की। उन्‍होंने अपने देवताओं की मूर्तियों से मुझे चिढ़ाया। मैं ऐसे लोगों द्वारा उनमें जलन उत्‍पन्न करूंगा, जो चुने हुए लोग नहीं हैं! मैं मूर्ख राष्‍ट्र के द्वारा उन्‍हें चिढ़ाऊंगा।
22 मेरे क्रोध के कारण अग्‍नि जल उठी है। वह अधोलोक के नीचे तक जलेगी। वह पृथ्‍वी और उसकी उपज को भस्‍म कर देगी, पर्वतों की नींव में आग लगा देगी।
23 ‘मैं उन पर विपत्तियों का ढेर लगा दूंगा, मैं उन पर अपने तरकश के तीर खाली कर दूंगा।
24 अकाल उन्‍हें तबाह कर देगा, घोर ताप से वे भस्‍म हो जाएंगे; असाध्‍य महामारियां उन्‍हें घेर लेंगी, मैं उनके विरुद्ध हिंसक पशु, भूमि पर रेंगनेवाले विषैले जन्‍तु भेजूंगा।
25 वे युद्ध-भूमि में तलवार से निर्वंश हो जाएंगे, वे घर के भीतर भय से आक्रांत होंगे। युवक और युवतियाँ, दुधमुंहा बच्‍चा और वृद्ध, सब नष्‍ट हो जाएंगे।
26 मैंने कहा था, मैं इन्‍हें दूर देशों में तितर-बितर कर दूंगा। मैं मनुष्‍यों के मध्‍य से इनका स्‍मृति-चिह्‍न मिटा डालूंगा।
27 पर मुझे शत्रुओं की चिढ़ का भय था; ऐसा हो कि उनके बैरियों को भ्रम हो, और वे यह कहें, “हमने अपने भुजबल से विजय प्राप्‍त की है। प्रभु ने यह सब नहीं किया।”
28 ‘यह अदूरदर्शी राष्‍ट्र है। इन लोगों में समझ नहीं है।
29 यदि इनमें बुद्धि होती तो ये यह बात सोचते, अपने कार्यों के अन्‍त को समझते!
30 कैसे एक व्यक्‍ति हजार सैनिकों का पीछा कर सकता है, कैसे दो व्यक्‍ति दस हजार सैनिकों को भगा सकते हैं, यदि उनकी “चट्टान” उनको बेच देती, यदि प्रभु उनसे आत्‍म-समर्पण कराता?
31 हमारी “चट्टान” के सदृश उनकी चट्टान नहीं है, चाहे हमारे शत्रु हमारे न्‍यायकर्ता क्‍यों हों!
32 उनकी अंगूर की बेल सदोम की अंगूर शाखा से, गमोरा के अंगूर-उद्यान से निकलती है। उनके अंगूर विषमय, उनके अंगूर के गुच्‍छे कड़ुए हैं।
33 उनके अंगूर का रस सांप का जहर है। नाग-सर्प का घातक विष है।
34 क्‍या इस्राएल कीमती पत्‍थर के समान, मुझे प्रिय नहीं, जिसको मैंने अपने खजाने में मुहरबन्‍द रखा है?
35 प्रतिशोध लेना मेरा काम है, मैं बदला लूंगा; उनके पैर निर्धारित समय पर फिसलेंगे। उनके घोर संकट का दिन समीप है, उनका सर्वनाश अविलम्‍ब होगा।
36 जब प्रभु देखेगा कि उसके लोगों का भुजबल जाता रहा, स्‍वाधीन और पराधीन, दोनों प्रकार के लोग नहीं रहे, तब वह अपने निज लोगों को निर्दोष सिद्ध करेगा, वह अपने सेवकों पर दया करेगा।
37 वह कहेगा, “तुम्‍हारे देवता कहाँ गए? कहाँ है तुम्‍हारी चट्टान, जिसकी शरण में तुम गए थे?
38 जिन्‍होंने तुम्‍हारे बलि-पशु की चर्बी खाई थी, जिन्‍होंने तुम्‍हारी पेय-बलि का रस पिया था, अब वे देवता उठें, और तुम्‍हारी सहायता करें। वे ही तुम्‍हारी रक्षा करें।
39 अब मुझे देखो! मैं, हाँ मैं, वही हूँ! मेरे अतिरिक्‍त कोई ईश्‍वर नहीं है। मैं ही प्राण लेता हूँ, मैं ही जीवन देता हूँ। मैं ही घायल करता हूँ, मैं ही स्‍वस्‍थ करता हूँ। मेरे हाथ से छुड़ानेवाला कोई नहीं है।
40 मैं आकाश की ओर अपना हाथ उठाकर यह शपथ खाता हूँ, मैं अनन्‍त काल तक जीवित हूँ।
41 अत: मैं अपनी तलवार की धार को तेज करूंगा, मैं न्‍याय को अपने हाथ में लूंगा, मैं अपने बैरियों का प्रतिकार करूंगा, मैं उनसे बदला लूंगा, जो मुझसे बैर करते हैं।
42 मैं अपने तीरों को शत्रु-पक्ष के मृतकों और कैदियों के रक्‍त से नहला दूंगा, मेरी तलवार उनके नायकों के लम्‍बे-लम्‍बे केशवाले सिरों का मांस खाएगी।”
43 ‘ओ राष्‍ट्रों, प्रभु के निज लोगों के साथ जय- जयकार करो! प्रभु अपने सेवकों के रक्‍त का प्रतिशोध लेता है; वह अपने बैरियों से बदला लेता है। वह अपने निज लोगों की भूमि को उसकी अशुद्धता से शुद्ध करता है।’
44 मूसा ने यहोशुअ बेन-नून के साथ आकर इस्राएली लोगों को उच्‍च स्‍वर में इस गीत के पद सुनाए।
45 जब मूसा लोगों को सब प्रवचन सुना चुके
46 तब उन्‍होंने उनसे यह कहा, ‘जो शब्‍द मैं आज गम्‍भीर साक्षी के रूप में तुमसे कह रहा हूँ, उन्‍हें अपने हृदय में बैठा लो, और अपने बच्‍चों को सिखाओ, जिससे वे इस व्‍यवस्‍था के सब वचनों के अनुसार कार्य कर सकें।
47 क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के ये शब्‍द खोखले नहीं हैं, वरन् ये तुम्‍हारा जीवन हैं। इन शब्‍दों के अनुसार कार्य करने से तुम्‍हारी आयु उस देश में लम्‍बी होगी, जहाँ तुम यर्दन नदी को पार कर अधिकार करने के लिए जा रहे हो।’
48 प्रभु मूसा से उसी दिन बोला,
49 ‘इस अबारीम पहाड़ की नबो नामक चोटी पर चढ़, जो यरीहो नगर के सम्‍मुख, मोआब देश में है। वहाँ से तू कनान देश के दर्शन कर सकेगा, जिसको मैं पैतृक अधिकार के लिए इस्राएली समाज को प्रदान कर रहा हूँ।
50 जैसे तेरा भाई हारून होर नामक पर्वत पर चढ़ा था, वहाँ उसकी मृत्‍यु हुई, और वह अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल गया था वैसे ही तू इस पर्वत पर चढ़ेगा, तेरी मृत्‍यु होगी और तू अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल जाएगा,
51 क्‍योंकि तूने और हारून ने सीन के निर्जन प्रदेश में, मरीबा-कादेश के जलाशय पर इस्राएली समाज के मध्‍य मेरे विश्‍वास को भंग किया था। तुमने इस्राएली समाज के मध्‍य मुझे पवित्र सिद्ध नहीं किया था।
52 तू दूर से ही उस देश के दर्शन करेगा, जिसको मैं इस्राएली समाज को दे रहा हूँ, किन्‍तु वहाँ नहीं जा सकेगा।’