Deuteronomy 25
1 ‘यदि दो मनुष्यों के मध्य झगड़ा हो, तो वे न्यायालय में जाएंगे, क्योंकि न्यायाधीश ही उनका न्याय करेंगे। वे निर्दोष व्यक्ति को निर्दोष, और दोषी व्यक्ति को दोषी घोषित करेंगे।
2 यदि दोषी व्यक्ति कोड़े खाने के योग्य ठहराया गया है, तो न्यायाधीश उसे भूमि पर लिटा देगा, और अपनी उपस्थिति में उसके दोष के अनुसार कोड़े लगवाएगा।
3 वह उसको चालीस कोड़े लगा सकता है, पर इससे अधिक नहीं, क्योंकि यदि इससे अधिक उसको कोड़ों की मार पड़ेगी तो तेरा यह भाई-बन्धु तेरी दृष्टि में अपमानित होगा।
4 ‘दंवरी करते हुए बैल का मुंह न बांधना।
5 ‘यदि परिवार के सब भाई एक साथ रहते हैं, उनमें से एक भाई की, जो निस्सन्तान है, मृत्यु हो जाती है, तो उसकी विधवा स्त्री का विवाह परिवार से बाहर के पुरुष से नहीं किया जाए। पर उसके मृत पति का सगा भाई उसके पास जाएगा और नियोग-विधि के अनुसार उससे विवाह करेगा।
6 तब जो पहिलौठा पुत्र उस स्त्री से उत्पन्न होगा, उससे ही मृत भाई का वंश चलेगा। इस प्रकार इस्राएल में से उसका नाम नहीं मिटेगा।
7 परन्तु यदि वह अपने मृतक भाई की विधवा को स्वीकार करने को इच्छुक नहीं है तो मृत भाई की विधवा नगर-द्वार पर धर्मवृद्धों के पास जाएगी, और उनसे यह कहेगी, “मेरे देवर ने इस्राएल में अपने मृत भाई का वंश चलाने से इन्कार कर दिया है। वह मुझसे नियोग-विधि से विवाह करने को इच्छुक नहीं है।”
8 अत: नगर के धर्मवृद्ध उसके देवर को बुलाएंगे और उससे इस विषय पर बातचीत करेंगे। यदि वह उनके सम्मुख प्रस्तुत होकर यह कहेगा, “मुझे इसको स्वीकार करने की इच्छा नहीं है”
9 तो उसकी भाभी धर्मवृद्धों की आंखों के सामने उसके समीप आएगी। वह उसके पैरों से जूती उतार लेगी और उसके मूंह पर थूकेगी। तत्पश्चात् वह यह कहेगी, “ऐसा ही व्यवहार उस पुरुष के साथ किया जाएगा जो अपने मृत भाई का घर नहीं बसाएगा।”
10 इस्राएल में उस पुरुष के परिवार का यह नाम रखा जाएगा: जूती उतारे हुए पुरुष का परिवार।
11 ‘जब दो पुरुष एक दूसरे से मार-पीट करेंगे और उनमें से एक की पत्नी दूसरे पुरुष के हाथ से, जो उसके पति को मार रहा है, अपने पति को बचाने के लिए निकट आएगी, और अपना हाथ बढ़ाकर दूसरे पुरुष के अण्डकोष को बलपूर्वक दबा देगी
12 तब तू उसके हाथ को काट देना। तू उस पर दया-दृष्टि मत करना।
13 ‘तू अपनी थैली में दो प्रकार के बाट, एक बड़ा तथा दूसरा छोटा, मत रखना।
14 तू अपने घर में दो प्रकार की माप, एक बड़ी तथा दूसरी छोटी, नहीं रखना।
15 तेरे बाट तथा माप-पूरे-पूरे और ठीक-ठीक होने चाहिए, जिससे उस देश में तेरी आयु दीर्घ हो सके जिसको तेरा प्रभु परमेश्वर तुझे प्रदान कर रहा है।
16 जो व्यक्ति इस प्रकार के कार्य करता है, नाप-तौल में बेईमानी करता है, वह तेरे प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में घृणास्पद है।
17 ‘स्मरण रखना कि जब तुम मिस्र देश से निकल कर जा रहे थे, तब अमालेकी जाति ने मार्ग में तुमसे कैसा व्यवहार किया था।
18 अमालेकी जाति के लोग मार्ग में तुम्हें मिले थे। जब तुम आगे बढ़ गए थे तब उन्होंने तुम पर पीछे से आक्रमण किया था और पिछड़ गए लोगों को मार डाला था। जब तुम यात्रा के कारण कमजोर और थके-मांदे थे, तब वे परमेश्वर से नहीं डरे!
19 इसलिए जब तुम्हारा प्रभु परमेश्वर तुम्हारे चारों ओर के शत्रुओं से छुड़ाकर तुम्हें उस देश में शान्ति-चैन देगा, जो वह पैतृक-अधिकार के लिए तुम्हें प्रदान कर रहा है, तब तुम आकाश के नीचे से अमालेकी जाति की स्मृति मिटा डालना। तुम यह बात मत भूलना!