Deuteronomy 23
1 ‘जिस पुरुष के अण्ड-कोष कुचल गए हैं, अथवा जिनका लिंग काट दिया गया है, वह प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश नहीं करेगा।
2 ‘दोगला व्यक्ति प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश नहीं करेगा: उसकी दसवीं पीढ़ी तक के वंशज भी प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश नहीं करेंगे।
3 ‘अम्मोनी अथवा मोआबी जाति के लोग प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश नहीं करेंगे: उनकी दसवीं पीढ़ी तक के वंशज भी प्रभु की धर्मसभा में कदापि प्रवेश नहीं करेंगे;
4 क्योंकि जब तू मिस्र देश से निकला था तब वे मार्ग में तेरे पास रोटी और पेय-जल लेकर नहीं आए थे। उन्होंने तुझे श्राप देने के लिए मेसोपोटामिया देश के पतोर नगर के बओर के पुत्र बिलआम को किराये पर बुलाया था।
5 परन्तु तेरा प्रभु परमेश्वर बिलआम की बात सुनने को इच्छुक नहीं था। अत: उसने तेरे लिए श्राप को आशिष में बदल दिया, क्योंकि तेरा प्रभु परमेश्वर तुझसे प्रेम करता था।
6 तू आजीवन इनके कल्याण और स्मृद्धि की इच्छा कभी मत करना।
7 ‘तू एदोमी जाति के व्यक्ति से घृणा मत करना, क्योंकि वह तेरा भाई है। तू मिस्र निवासी से भी घृणा मत करना, क्योंकि तू उसके देश में प्रवासी था।
8 इनके बच्चे, जो तीसरी पीढ़ी में उत्पन्न होंगे, वे प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश कर सकेंगे।
9 ‘जब तू अपने शत्रुओं से युद्ध करने जाएगा और पड़ाव डालेगा, तब सब प्रकार की बुराई से अपने को दूर रखना।
10 यदि तेरे मध्य ऐसा व्यक्ति है जो रात में स्वाभाविक वीर्यपात के कारण अशुद्ध हो गया है तो वह पड़ाव के बाहर जाएगा। वह पड़ाव के भीतर नहीं आएगा।
11 वह सन्ध्या के समय स्नान करेगा। तत्पश्चात् सूर्यास्त होने पर वह पड़ाव के भीतर प्रवेश कर सकेगा।
12 ‘तू पड़ाव के बाहर एक शौच-स्थान बनाना, और शौच के लिए वहीं जाया करना।
13 तू अपने अस्त्र-शस्त्रों में फावड़ा भी रखना। जब तू शौच करने पड़ाव के बाहर जाएगा तब फावड़े से मिट्टी खोदना और अपने मल को ढांप देना।
14 तेरा प्रभु परमेश्वर तेरी रक्षा करने, और तेरे शत्रुओं को तेरे हाथ में सौंप देने के लिए तेरे पड़ाव के मध्य चलता-फिरता है। इसलिए तेरा पड़ाव निश्चय ही स्वच्छ रहे। ऐसा न हो कि वह तेरे मध्य अशोभनीय वस्तु देखे, और तेरे साथ न जाकर लौट जाए।
15 ‘जो गुलाम अपने स्वामी के पास से भाग कर तेरी शरण में आएगा, उसे उसके स्वामी के पास लौटने के लिए विवश मत करना।
16 वह तेरे साथ, तेरे मध्य रहेगा। जो स्थान तेरे नगरों में वह चुनेगा, जो स्थान उसे पसन्द होगा, वह वहीं निवास करेगा। तू उस पर अत्याचार मत करना।
17 ‘इस्राएली कन्याएं देवदासी के रूप में व्यभिचार नहीं करेंगी। इस्राएली पुरुष भी पूजागृहों में पुरुष-गमन नहीं कराएंगे।
18 तू मन्नत के चढ़ावे के लिए अपने प्रभु परमेश्वर के गृह में वेश्या-वृत्ति की कमाई अथवा पुरुष-गमन की आमदनी मत लाना; क्योंकि ये दोनों प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में घृणास्पद हैं।
19 ‘तू अपने भाई-बन्धु को ब्याज पर ऋण मत देना, चाहे वह रुपया हो, भोजन-वस्तु हो, अथवा ब्याज पर दी जाने वाली कोई भी वस्तु हो।
20 तू विदेशी को ब्याज पर ऋण दे सकता है, पर अपने भाई-बन्धु को ब्याज पर ऋण मत देना। तब तेरा प्रभु परमेश्वर उस देश में, जिस पर अधिकार करने के लिए तू वहाँ जा रहा है, तेरे सब काम-धन्धों पर आशिष प्रदान करेगा।
21 ‘जब तू अपने प्रभु परमेश्वर के लिए मन्नत मानेगा तब उसको पूर्ण करने में विलम्ब मत करना, क्योंकि तेरा प्रभु परमेश्वर निश्चय ही तुझ से लेखा लेगा। यदि तू उसको पूर्ण नहीं करेगा तो तेरे लिए यह पाप होगा।
22 यदि तू मन्नत नहीं मानेगा तो तेरे लिए यह पाप नहीं होगा।
23 जो शब्द तेरे मुंह से निकलते हैं, उनको पूर्ण करने के लिए सावधान रहना। जो मन्नत स्वेच्छा से, अपने मुंह से, तूने प्रभु परमेश्वर के लिए मानी है, उसको अवश्य पूर्ण करना।
24 ‘जब तू अपने पड़ोसी के अंगूर-उद्यान में जाएगा, तब वहाँ जितनी खाने की इच्छा हो, उतनी मात्रा में पेट-भर अंगूर खा सकता है, किन्तु अपनी टोकरी में एक भी अंगूर-मत रखना।
25 जब तू अपने पड़ोसी के खड़ी फसल के खेत में जाएगा, तब अपने हाथ से बालें तोड़ सकता है, परन्तु तू अपने पड़ोसी की खड़ी फसल पर हंसिया मत चलाना।