Bible

Create

Inspiring Presentations Without Hassle

Try Risen Media.io Today!

Click Here

Daniel 7

:
Hindi - CLBSI
1 बेबीलोन देश के राजा बेलशस्‍सर के राज्‍यकाल के प्रथम वर्ष में दानिएल ने एक स्‍वप्‍न तथा अनेक दर्शन देखे जब वह पलंग पर सो रहे थे। उन्‍होंने स्‍वप्‍न को लिख लिया तथा स्‍वप्‍न का सारांश बताया।
2 दानिएल ने कहा, “मैंने रात में यह दर्शन देखा। मैंने देखा कि आकाश की चारों दिशाओं से हवाएं महासागर को मथ रही हैं।
3 तब महासागर में से चार बड़े-बड़े पशु निकले। ये चारों पशु एक-दूसरे से भिन्न थे।
4 पहला पशु सिंह के सदृश था, पर उस में गरुड़ के पंख उगे हुए थे। जब मैं उसको देख रहा था तब उसके पंख उखाड़ दिए गए। उसको भूमि पर से उठाया गया और मनुष्‍य के समान उसको दो पैरों पर खड़ा किया गया। उसको मनुष्‍य का हृदय दिया गया।
5 “दूसरा पशु रीछ के समान था। वह एक ओर तनकर खड़ा था। उसके दांतों के मध्‍य तीन पसलियां थीं। किसी ने उससे कहा, “उठ और बहुत मांस खा।”
6 “तत्‍पश्‍चात् मैंने एक और पशु को देखा। वह चीते के समान था। पर उसकी पीठ पर पक्षियों के सदृश चार पंख थे। उसके चार सिर थे। उसे शासन करने का अधिकार दिया गया।
7 “इसके बाद मैंने रात के दर्शनों में चौथा पशु देखा। वह देखने में भयानक, डरावना और अत्‍यन्‍त विशाल था। उसके मुंह में लोहे के बड़े-बड़े दांत थे। वह सब कुछ खाता और टुकड़े-टुकड़े कर देता था। जो उसके मुंह से बच जाता, उसको वह अपने पंजों से रौंद डालता था। वह पहलेवाले तीनों पशुओं से भिन्न था। उसके दस सींग थे।
8 मैंने उसके सींगों को ध्‍यान से देखा। उसी समय उन सींगों के मध्‍य से एक और सींग निकला, जिसके कारण तीन सींग जड़ से उखड़ गए। यह सींग छोटा था, और इसमें मनुष्‍य की आंखों के समान आंखें थीं। इसमें मुंह भी था, जो बड़े बोल बोल रहा था।
9 “मैंने दर्शन में देखा कि सिंहासन रखे गए, और एक प्राचीन युग-पुरुष विराजमान हुआ। उसका परिधान बर्फ के सदृश सफेद था; और सिर के केश शुद्ध ऊन के समान उज्‍ज्‍वल थे। उसका सिंहासन अग्‍निमय था; और सिंहासन के पहिए धधकती हुई ज्‍वालाएं।
10 उसके सामने से अग्‍नि-ज्‍वाला निकल रही थी, उसके सम्‍मुख लपटें निकल रही थीं। हजारों-हजार सेवक उसकी परिचर्या कर रहे थे; और लाखों-लाख लोग उसके सम्‍मुख हाथ-जोड़े खड़े थे। न्‍याय करने के लिए दरबार लगा था; और संविधान के ग्रंथ खुले थे।
11 “जब वह सींग बड़े बोल बोल रहा था, तब उसकी आवाज से मेरा ध्‍यान पशु की ओर गया। मैंने देखा कि पशु का वध कर दिया गया है। उसका शरीर नष्‍ट कर दिया गया, और उसका शव आग में जलाने के लिए दे दिया गया है।
12 अन्‍य तीनों पशुओं से राज्‍य-सत्ता छीन ली गई, पर उनका जीवन एक काल और एक ऋतु तक निश्‍चित कर दिया गया।
13 “मैंने रात के दर्शन में यह देखा: आकाश के मेघों के साथ मानव-पुत्र के सदृश कोई रहा है। वह प्राचीन युग-पुरुष के पास आया, और उसके सम्‍मुख प्रस्‍तुत हुआ।
14 तब प्राचीन युग-पुरुष ने उसको शासन का अधिकार, महिमा और राज्‍य प्रदान किया ताकि पृथ्‍वी की समस्‍त कौमें, राष्‍ट्र और भिन्न-भिन्न भाषाएं बोलने वाले लोग उसकी सेवा करें। उसका शासन शाश्‍वत शासन है; जो कभी समाप्‍त होगा; उसका राज्‍य युगानुयुग अटल है, जिसका कभी नाश होगा।
15 “मुझ-दानिएल का अन्‍त:करण चिंतित हो गया। मन में देखे गए इन दर्शनों ने मुझे व्‍याकुल कर दिया।
16 अत: मैं सेवा करने वालों में से किसी एक के समीप गया और उससे इन दर्शनों की वास्‍तविकता के विषय में पूछा। उसने मुझे बताया और मुझ पर इन दर्शनों का अर्थ प्रकट किया।
17 उसने कहा, “ये चार बड़े पशु चार महान राजा हैं, जो पृथ्‍वी पर उदय होंगे।
18 किन्‍तु सर्वोच्‍च परमेश्‍वर के भक्‍त ही राज्‍य को प्राप्‍त करेंगे। वे सदा-सर्वदा उस राज्‍य पर अधिकार करेंगे, युगानुयुग तक।”
19 “तब मेरी इच्‍छा हुई कि मैं चौथे पशु के सम्‍बन्‍ध में उससे वास्‍तविक बात पूछूं। यह पशु अन्‍य तीनों पशुओं से भिन्न था। वह देखने में बड़ा भयानक था। उसके दांत लोहे के और नख पीतल के थे। वह सब कुछ खाता और टुकड़े-टुकड़े कर देता था। जो उसके मुंह से बच जाता था, उसको वह अपने पंजों से रौंद डालता था।
20 मैंने उसके दस सींगों के विषय में भी पूछा, जो उसके सिर पर थे। मैंने उससे उस छोटे सींग के बारे में भी पूछा जो दस सींगों के मध्‍य निकला था, और जिसके कारण तीन सींग गिर गए थे, जिसकी आंखें थीं, और जिसमें बड़े बोल बोलनेवाला मुंह था, और अन्‍य साथी-सींगों में बहुत बड़ा प्रतीत हो रहा था।
21 “जब मैंने इस सींग पर दृष्‍टि की, तब मुझे दिखाई दिया कि इस सींग ने परमेश्‍वर के भक्‍तों से युद्ध छेड़ दिया और यह उन पर प्रबल हो गया।
22 प्राचीन युग-पुरुष का आगमन हुआ और उसने सर्वोच्‍च परमेश्‍वर के भक्‍तों के पक्ष में न्‍याय-निर्णय किया। निर्धारित समय आया, और भक्‍तों को राज्‍य प्राप्‍त हुआ।
23 “पूछने पर उस व्यक्‍ति ने मुझसे यह कहा: “चौथे पशु का अर्थ है चौथा राज्‍य जो पृथ्‍वी पर उदय होगा, जो अन्‍य राज्‍यों से भिन्न होगा। वह समस्‍त पृथ्‍वी को खा जाएगा। वह उसको अपने पंजों से रौंदेगा, वह उसके खण्‍ड-खण्‍ड करेगा।
24 उसके दस सींगों का यह अर्थ है: इस राज्‍य में से दस राजा उदय होंगे, और उनके पश्‍चात् एक और राजा जन्‍म लेगा। यह अपने पहले के राजाओं से भिन्न होगा, और अपने उदय से तीन राजाओं को खत्‍म कर देगा।
25 यह राजा सर्वोच्‍च परमेश्‍वर की निन्‍दा करेगा, और उसके भक्‍तों को पीस डालेगा। यह निर्धारित पर्व-कालों और विधि-विधानों को बदलने का प्रयत्‍न करेगा; सर्वोच्‍च परमेश्‍वर के भक्‍त साढ़े तीन वर्ष तक इसके हाथ में सौंप दिए जाएंगे।
26 तब सर्वोच्‍च परमेश्‍वर का दरबार न्‍याय के लिए बैठेगा; और उस राजा के हाथ से उसकी राज्‍य-सत्ता छीन ली जाएगी, उसका शासन पूर्णत: नष्‍ट हो जाएगा, उसका पूर्ण अन्‍त हो जाएगा।
27 राज्‍य और शासन, समस्‍त आकाश के नीचे पृथ्‍वी के सब राज्‍यों की महानता, सर्वोच्‍च परमेश्‍वर के भक्‍तों के जन-समूह को दी जाएगी। उनका राज्‍य शाश्‍वत राज्‍य होगा; पृथ्‍वी के सब शासक उनकी सेवा करेंगे वे उनकी आज्ञा का पालन करेंगे।”
28 ‘दर्शन के वास्‍तविक अर्थ की चर्चा यहाँ समाप्‍त हुई। पर जहाँ तक मेरा सम्‍बन्‍ध है, मेरे विचारों ने मुझे व्‍याकुल कर दिया। मेरे चेहरे का रंग बदल गया। किन्‍तु यह बात मैंने अपने मन में ही रखी, और किसी को नहीं बताई।’