2 Thessalonians 3
1 भाइयो और बहिनो! अन्त में यह: आप हमारे लिए प्रार्थना करें जिससे प्रभु का वचन शीघ्र ही फैल जाये तथा सब जगह सम्मान के साथ स्वीकार किया जाए। जैसा कि आप लोगों के बीच में हुआ है;
2 और यह भी कि टेढ़े तथा दुष्ट लोगों से हम बच निकलें, क्योंकि सभी विश्वासी नहीं हैं।
3 परन्तु प्रभु विश्वसनीय है। वह आप लोगों को सुदृढ़ बनाये रखेगा और बुराई से आपकी रक्षा करेगा।
4 हम को, प्रभु में, आप लोगों पर पूरा भरोसा है कि आप हमारे आदेशों का पालन कर रहे हैं और करते रहेंगे।
5 प्रभु परमेश्वर आपके हृदय को ईश्वरीय प्रेम तथा मसीह के धैर्य की ओर अभिमुख करे।
6 प्यारो! हम आप को अपने प्रभु येशु मसीह के नाम पर आदेश देते हैं कि आप उन भाई-बहिनों से अलग रहें, जो काम नहीं करते और उस परम्परा के अनुसार नहीं चलते, जो आप लोगों को हम से प्राप्त हुई है।
7 आप लोगों को हमारा अनुकरण कैसा करना चाहिए- आप यह स्वयं जानते हैं। आपके बीच रहते समय हम अकर्मण्य नहीं थे।T
8 हमने किसी के यहाँ मुफ्त में रोटी नहीं खायी, बल्कि हम कठोर परिश्रम से रात-दिन काम करते रहे ताकि आप लोगों में से किसी के लिए भी भार न बनें।
9 हमें इसका अधिकार नहीं था-ऐसी बात नहीं है, बल्कि हम आपके सामने एक आदर्श रखना चाहते थे, जिसका आप अनुकरण कर सकें।
10 आप के बीच रहते समय हमने आप को यह नियम दिया: यदि कोई काम करना न चाहे, तो वह खाने भी न पाए।
11 अब हमारे सुनने में आता है कि आप में से कुछ लोग आलस्य का जीवन बिताते हैं। वे स्वयं काम नहीं करते और दूसरों के काम में बाधा डालते हैं।
12 हम ऐसे लोगों को प्रभु येशु मसीह के नाम पर यह आदेश देते हैं और उन से अनुरोध करते हैं कि वे चुपचाप काम करते रहें और अपनी कमाई की रोटी खायें।
13 भाइयो और बहिनो! आप लोग भलाई करते हुए हिम्मत न हारें।
14 यदि कोई इस पत्र में बताई गई हमारी बातों को न माने, तो उस पर नजर रखें और उससे सम्बन्ध तोड़ लें, जिससे वह अपने आचरण पर लज्जित हो।
15 फिर भी आप उसके साथ शत्रु-जैसा व्यवहार नहीं करें, बल्कि उसे भाई अथवा बहिन की तरह समझायें।
16 शान्ति का प्रभु स्वयं आप लोगों को हर समय और हर प्रकार शान्ति प्रदान करता रहे! प्रभु आप सब के साथ हो!
17 मैं-पौलुस अपने हाथ से यह नमस्कार लिख रहा हूँ। यह मेरे सब पत्रों की पहचान है। मैं इसी प्रकार लिखता हूँ।
18 हमारे प्रभु येशु मसीह की कृपा आप सब पर बनी रहे!