Bible

Power Up

Your Services with User-Friendly Software

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

2 Corinthians 3

:
Hindi - CLBSI
1 क्‍या हम फिर अपनी प्रशंसा करने लगे? क्‍या कुछ अन्‍य लोगों की तरह यह हमारे लिए आवश्‍यक है कि हम आप को सिफ़ारिशी पत्र दिखायें अथवा आप से मांगें?
2 आप लोग तो हैं-हमारा पत्र, जो हमारे हृदय पर अंकित रहता है और जिसे सब लोग देख और पढ़ सकते हैं।
3 आप लोग निश्‍चय ही मसीह का वह पत्र हैं, जिसे उन्‍होंने हमारी सेवा द्वारा लिखवाया है। वह पत्र स्‍याही से नहीं, बल्‍कि जीवन्‍त परमेश्‍वर के आत्‍मा से, पत्‍थर की पट्टियों पर नहीं, बल्‍कि मानव हृदय की पट्टियों पर लिखा हुआ है।
4 हम यह दावा इसलिए कर सकते हैं कि हमें मसीह के कारण परमेश्‍वर पर भरोसा है।
5 इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी कोई अपनी योग्‍यता है। हम अपने को किसी बात का श्रेय नहीं दे सकते। हमारी योग्‍यता का स्रोत परमेश्‍वर है।
6 उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्‍य बनाया है और यह विधान अक्षरों में लिखी हुई व्‍यवस्‍था का नहीं, बल्‍कि आत्‍मा का है; क्‍योंकि अक्षर तो मृत्‍यु-जनक है, किन्‍तु आत्‍मा जीवनदायक है।
7 यदि मृत्‍यु-जनक व्‍यवस्‍था का सेवाकार्य, जो पत्‍थरों पर अक्षर अंकित करने में संपन्न हुआ, इतना तेजस्‍वी था कि इस्राएली लोग मूसा के मुख के तेज के कारण-जो क्रमश: क्षीण हो रहा था-उनके मुख पर दृष्‍टि स्‍थिर नहीं कर सके,
8 तो फिर पवित्र आत्‍मा का सेवाकार्य अधिक तेजोमय क्‍यों होगा?
9 यदि दोषी ठहराने की प्रक्रिया में सेवाकार्य इतना तेजस्‍वी था, तो दोषमुक्‍त करने की प्रक्रिया में सेवाकार्य कहीं अधिक तेजोमय होगा।
10 इस वर्तमान परमश्रेष्‍ठ तेज के सामने वह पूर्ववर्त्ती तेज अब निस्‍तेज हो गया है।
11 यदि क्षीण होने वाला इतना तेजस्‍वी था तो सदा स्‍थिर रहने वाला कितना अधिक तेजोमय होगा!
12 अपनी इस आशा के कारण हम बड़ी निर्भीकता से बोलते हैं।
13 हम मूसा के सदृश नहीं हैं। वह अपने मुख पर परदा डाले रहते थे, जिससे इस्राएली उनके क्रमश: क्षीण होने वाले तेज की अंतिम झलक भी देख पायें।
14 इस्राएलियों की बुद्धि कुण्‍ठित हो गयी थी और आज भी, जब प्राचीन विधान पढ़ कर सुनाया जाता है, तो वही परदा पड़ा रहता है। वह पड़ा रहता है, क्‍योंकि मसीह ही उसे हटा सकते हैं
15 जब मूसा का ग्रन्‍थ पढ़ कर सुनाया जाता है, तो उनके मन पर आज भी वह परदा पड़ा रहता है।
16 किन्‍तु, जैसा मूसा के संबंध में कहा गया है: “जब वह प्रभु की ओर अभिमुख हो जाते हैं, तो परदा हटा दिया जाता है”;
17 क्‍योंकि प्रभु तो आत्‍मा है और जहां प्रभु का आत्‍मा है, वहां स्‍वतन्‍त्रता है।
18 जहां तक हम-सब का प्रश्‍न है, हमारे मुख पर परदा नहीं है और हम-सब दर्पण की तरह प्रभु का तेज प्रतिबिम्‍बित करते हैं। इस प्रकार हम धीरे-धीरे प्रभु के तेजोमय प्रतिरूप में रूपान्‍तरित हो जाते हैं और वह रूपान्‍तरण प्रभु अर्थात् आत्‍मा का कार्य है।