Bible

Engage

Your Congregation Like Never Before

Try RisenMedia.io Today!

Click Here

2 Corinthians 12

:
Hindi - CLBSI
1 डींग मारने से कोई लाभ नहीं, फिर भी मुझे ऐसा ही करना पड़ रहा है। इसलिए दिव्‍य दर्शनों और प्रभु द्वारा दिए गए प्रकाशनों की चर्चा करूँगा।
2 मैं मसीह के एक भक्‍त को जानता हूँ, जो चौदह वर्ष पहले तीसरे स्‍वर्ग तक ऊपर उठा लिया गया-सदेह अथवा विदेह, यह मैं नहीं जानता, परमेश्‍वर ही जानता है।
3 मैं उस मनुष्‍य के विषय में जानता हूँ कि वही स्‍वर्गधाम में उठा लिया गया-सदेह अथवा विदेह, यह मैं नहीं जानता, परमेश्‍वर ही जानता है।
4 उस मनुष्‍य ने ऐसी बातों की चर्चा सुनी, जो अनिर्वचनीय हैं और जिन्‍हें प्रकट करने की किसी मनुष्‍य को अनुमति नहीं है।
5 मैं ऐसे व्यक्‍ति पर गर्व करना चाहूँगा। अपनी दुर्बलताओं के अतिरिक्‍त मैं अपने विषय में किसी और बात पर गर्व नहीं करूँगा।
6 यदि मैं गर्व करना चाहूँ, तो यह नादानी नहीं होगी, क्‍योंकि मैं सत्‍य ही बोलता। किन्‍तु मैं यह नहीं करूँगा। लोग जैसा मुझे देखते और मुझसे सुनते हैं, उससे बढ़ कर मुझे कुछ भी नहीं समझें।
7 मुझ पर बहुत-से ईश्‍वरीय प्रकाशन प्रकट किए गए हैं। मैं इन पर घमण्‍ड करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक कांटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्‍ड करूँ।
8 मैंने तीन बार प्रभु से निवेदन किया कि यह मुझ से दूर हो;
9 किन्‍तु प्रभु ने कहा-“मेरी कृपा तुम्‍हारे लिए पर्याप्‍त है, क्‍योंकि तुम्‍हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।” इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे।
10 मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्‍टों, अत्‍याचारों और संकटों पर गर्व करता हूँ; क्‍योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान हूँ।
11 मैं मूर्खतापूर्ण बातें कर रहा हूँ-आप लोगों ने मुझे इसके लिए बाध्‍य किया। आप को मेरी सिफारिश करनी चाहिए थी, क्‍योंकि यद्यपि मैं कुछ भी नहीं हूँ, फिर भी मैं उन महान् प्रेरितों से किसी भी तरह कम नहीं हूँ।
12 आपके यहाँ रहते समय मैंने प्रेरित के सच्‍चे लक्षण प्रदर्शित किए, अर्थात् अचल धैर्य, चिह्‍न, चमत्‍कार तथा सामर्थ्य के कार्य।
13 अन्‍य कलीसियाओं की तुलना में आप लोगों में किस बात की कमी रह गयी है? हाँ, मैं आप लोगों के लिए भार नहीं बना। आप मुझे इस अन्‍याय के लिए क्षमा प्रदान करें।
14 अब मैं तीसरी बार आप लोगों के यहाँ आने की तैयारियाँ कर रहा हूँ, और आप के लिए भार नहीं बनूँगा; क्‍योंकि मैं आप लोगों को चाहता हूँ, आपकी सम्‍पत्ति को नहीं। बच्‍चों को अपने माता-पिता के लिए धन एकत्र करना नहीं चाहिए, बल्‍कि माता-पिता को अपने बच्‍चों के लिए।
15 मैं तो आप लोगों के लिए सहर्ष अपना सब कुछ खर्च करूँगा और अपने को भी अर्पित करूँगा। यदि मैं आप लोगों को इतना प्‍यार करता हूँ, तो क्‍या आप मुझे कम प्‍यार करेंगे?
16 आप लोग शायद यह कहेंगे-वास्‍तव में वह हम पर बोझ नहीं बना, किन्‍तु वह धूर्त है और उसने छल-कपट से हमें फंसा लिया।
17 जिन व्यक्‍तियों को मैंने आप लोगों के पास भेजा, क्‍या मैंने उन में से किसी के द्वारा आप से लाभ उठाया?
18 मैंने तीतुस से आपके यहाँ जाने के लिए निवेदन किया और उसके साथ एक भाई को भेजा। क्‍या तीतुस ने आप लोगों से लाभ उठाया? क्‍या हम दोनों एक ही आत्‍मा से प्रेरित हो कर एक ही पथ पर नहीं चले?
19 आप लोग यह समझते होंगे कि अब तक हम आप के सामने अपनी सफ़ाई दे रहे हैं। बात ऐसी नहीं है। हम यह सब मसीह में, परमेश्‍वर की उपस्‍थिति में कह रहे हैं। प्रिय भाइयो और बहिनो! सब कुछ आपके आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए हो रहा है।
20 मुझे आशंका है-कहीं ऐसा हो कि आने पर मैं आप लोगों को जैसा पाना चाहता, वैसा नहीं पाऊं और आप मुझे जैसा नहीं चाहते, वैसा ही पाएँ। कहीं ऐसा हो कि मैं आपके यहाँ फूट, ईष्‍र्या, बैर, स्‍वार्थपरता, परनिन्‍दा, चुगलख़ोरी, अहंकार और उपद्रव पाऊं।
21 कहीं ऐसा हो कि मेरे आपके यहाँ पहुँचने पर मेरा परमेश्‍वर मुझे फिर आपके सामने नीचा दिखाए और मुझे उन बहुसंख्‍यक लोगों के लिए शोक मनाना पड़े, जिन्‍होंने पहले पाप किया और अपनी अशुद्धता, व्‍यभिचार और लम्‍पटता के लिए पश्‍चात्ताप नहीं किया है।