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2 Corinthians 1

:
Hindi - CLBSI
1 कुरिन्‍थुस नगर में परमेश्‍वर की कलीसिया तथा समस्‍त यूनान देश में रहने वाले सभी सन्‍तों के नाम पौलुस, जो परमेश्‍वर की इच्‍छा से येशु मसीह का प्रेरित नियुक्‍त हुआ है, और भाई तिमोथी का पत्र।
2 हमारा पिता परमेश्‍वर, और प्रभु येशु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शान्‍ति प्रदान करें!
3 धन्‍य है परमेश्‍वर, हमारे प्रभु येशु मसीह का पिता, परमदयालु पिता और हर प्रकार की सान्‍त्‍वना का परमेश्‍वर!
4 वह सब कष्‍टों में हमें सान्‍त्‍वना देता रहता है, जिससे परमेश्‍वर की ओर से हमें जो सान्‍त्‍वना मिलती है, उसी के द्वारा हम दूसरों को भी, उनके हर प्रकार के कष्‍ट में सान्‍त्‍वना देने के लिए, समर्थ हो जायें;
5 क्‍योंकि जिस प्रकार हम प्रचुर मात्रा में मसीह के दु:खभोग के सहभागी हैं, उसी प्रकार मसीह द्वारा हम को प्रचुर मात्रा में सान्‍त्‍वना भी मिलती है।
6 यदि हमें क्‍लेश है, तो आप लोगों की सान्‍त्‍वना और मुक्‍ति के लिए, और यदि हमें सान्‍त्‍वना मिलती है, तो इसलिए कि हम आप लोगों को सान्‍त्‍वना दे सकें, जिससे आप धैर्य के साथ वह दु:ख सहने में समर्थ हों, जो हम भी भोगते हैं।
7 आप लोगों के विषय में हमारी आशा सुदृढ़ है; क्‍योंकि हम जानते हैं कि जिस प्रकार आप हमारे दु:ख में सहभागी हैं, उसी प्रकार आप हमारी सान्‍त्‍वना में भी सहभागी होंगे।
8 भाइयो और बहिनो! हम आप लोगों से यह नहीं छिपाना चाहते कि आसिया में जो कष्‍ट हमें सहना पड़ा, वह बहुत ही भारी और हमारी सहनशक्‍ति के परे था-यहां तक कि हमने जीवित रहने की आशा भी छोड़ दी थी
9 और हम यह समझ रहे थे कि हमें प्राणदण्‍ड मिल चुका है। यह इसलिए हुआ कि हम अपने पर नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा रखें, जो मृतकों को पुनर्जीवित करता है।
10 उसने हमें उस महान् मरण-संकट से बचाया और वह ऐसा ही करता रहेगा। उसी पर हमारी यह आशा आधारित है कि वह भविष्‍य में भी हमें बचायेगा।
11 आप लोग भी प्रार्थना द्वारा हमारी सहायता करें। इस प्रकार बहुत-सी प्रार्थनाओं के कारण हमें आशिष मिलेगी और उसके लिए बहुत-से लोग हमारी ओर से परमेश्‍वर को धन्‍यवाद भी देंगे।
12 हमें एक बात का गर्व है-हमारा अन्‍त:करण हमें विश्‍वास दिलाता है कि हमने मनुष्‍यों के साथ और विशेष कर आप लोगों के साथ जो व्‍यवहार किया है, वह संसार की बुद्धिमानी के अनुसार नहीं, बल्‍कि उस सच्‍चाई और ईमानदारी के अनुसार था जो परमेश्‍वर की कृपा का वरदान है।
13 हम आपके नाम जो पत्र लिखते हैं, उन में ऐसी कोई बात नहीं है, जिसे पढ़ कर आप नहीं समझ सकते। मुझे आशा है कि आप जो बात अब आंशिक रूप में समझते हैं, उसे बाद में पूर्ण रूप में समझेंगे और वह बात यह है कि जिस तरह आप हमारे प्रभु येशु के आगमन के दिन हम पर गर्व करेंगे, उसी तरह हम भी आप लोगों पर गर्व करेंगे।
14
15 मुझे इसका पूरा भरोसा है; इसलिए मैंने, आप लोगों को दो बार आध्‍यात्‍मिक लाभ का अवसर देने के विचार से, पहले आपके पास आने का निश्‍चय किया था।
16 मैं आप के यहां हो कर मकिदुनिया जाना और वहां से आप के पास लौटना चाहता था, जिससे आप मेरी यहूदा प्रदेश की यात्रा का प्रबन्‍ध करें।
17 मेरा निश्‍चय यही था। तो, क्‍या मैंने अकारण ही अपना विचार बदल लिया? क्‍या मैं सांसारिक मनुष्‍य की तरह निश्‍चय करता हूँ? क्‍या मुझ में कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात है?
18 परमेश्‍वर की सच्‍चाई की शपथ! मैंने आप लोगों को जो सन्‍देश दिया, उसमें कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं है;
19 क्‍योंकि सिल्‍वानुस, तिमोथी और मैंने आपके बीच जिनका प्रचार किया, उन परमेश्‍वर-पुत्र येशु मसीह में कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं-उन में मात्र ‘हां’ है।
20 उन्‍हीं में परमेश्‍वर की समस्‍त प्रतिज्ञाओं की ‘हां’ विद्यमान है; इसलिए हम परमेश्‍वर की महिमा के लिए उन्‍हीं के द्वारा ‘आमेन’ कहते हैं।
21 परमेश्‍वर, आप के साथ-साथ, हमें भी मसीह में सुदृढ़ बनाये रखता है और उन्‍हीं अभिषिक्‍त मसीह में हमारा अभिषेक करता है।
22 परमेश्‍वर ने हम पर अपनी मुहर लगायी और अग्रिम राशि के रूप में हमारे हृदयों को पवित्र आत्‍मा प्रदान किया है।
23 मैं परमेश्‍वर को साक्षी बना कर अपने जीवन की शपथ खा कर कहता हूँ-मैं इसलिए अब तक कुरिन्‍थुस नहीं आया कि मैं आप लोगों को दु:ख से बचाए रखना चाहता था।
24 आपके विश्‍वास पर मनमाना अधिकार जताना हमारा उद्देश्‍य नहीं है। हम आप लोगों की सुख-शान्‍ति के लिए आपके सहयोगी हैं और आप लोग तो यों भी विश्‍वास में दृढ़ हैं।