2 Chronicles 27
1 जब योताम ने राज्य करना आरम्भ किया तब वह पच्चीस वर्ष का था। उसने सोलह वर्ष तक राजधानी यरूशलेम में राज्य किया। उसकी मां का नाम यरूशा था। वह सादोक की पुत्री थी।
2 जैसे उसके पिता उज्जियाह ने उन कार्यों को किया जो प्रभु की दृष्टि में उचित थे, वैसे उसने भी किया। पर उसने प्रभु के मन्दिर में प्रवेश करने की अनाधिकृत चेष्टा नहीं की। किन्तु जनता भ्रष्ट आचरण करती रही।
3 योताम ने प्रभु के भवन का ऊपरवाला द्वार फिर से बनवाया। उसने ओपेल की शहरपनाह पर भी बहुत निर्माण-कार्य किए।
4 उसने यहूदा प्रदेश के पहाड़ी इलाके में नगर बसाए और सघन पहाड़ियों पर गढ़ और चौकसी की मीनारें बनाईं।
5 उसने अम्मोन देश के राजा से युद्ध भी किया था, और उसके सैनिकों पर विजय प्राप्त की थी। उसी वर्ष अम्मोनियों ने भेंट और कर के रूप में उसको साढ़े तीन हजार किलो चांदी, एक हजार टन गेहूं और एक हजार टन जौ दिया था। दूसरे और तीसरे वर्ष भी उन्होंने इतनी ही मात्रा में चांदी, गेहूं और जौ कर के रूप में उसको दिया था।
6 योताम प्रभु परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप आचरण करता था; अत: वह अत्यन्त शक्तिशाली हो गया।
7 उसके शेष कार्यों का विवरण, उसके युद्ध और आचरण का वर्णन ‘यहूदा प्रदेश तथा इस्राएल प्रदेश के राजाओं का इतिहास-ग्रन्थ’ में लिखा हुआ है।
8 जब उसने राज्य करना आरम्भ किया था तब वह पच्चीस वर्ष का था। उसने सोलह वर्ष तक राजधानी यरूशलेम में राज्य किया।
9 तब योताम अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। उसको उसके पूर्वजों के साथ दाऊदपुर में गाड़ा गया। उसका पुत्र आहाज उसके स्थान पर राज्य करने लगा।