2 Chronicles 19
1 यहूदा प्रदेश का राजा यहोशाफट सकुशल अपने घर यरूशलेम को लौट गया।
2 तब द्रष्टा येहू बेन-हनानी उससे भेंट करने को निकला। उसने राजा से कहा, ‘महाराज, क्या आपको चाहिए था कि आप दुष्कर्मी की सहायता करें? आप प्रभु के प्रेम का तिरस्कार करने वालों से प्रेम करते हैं। महाराज, आपने ठीक नहीं किया। आपके इसी कार्य के कारण प्रभु का क्रोध आप पर भड़का।
3 फिर भी प्रभु ने आप में कुछ अच्छाई पाई; क्योंकि आपने यहूदा प्रदेश में अशेराह देवी के पूजा-स्तम्भ नष्ट कर दिए, और परमेश्वर को खोजने में अपना मन लगाया है।’
4 यहूदा प्रदेश का राजा यहोशाफट राजधानी यरूशलेम में रहता था। उसने बएरशेबा नगर से एफ्रइम के पहाड़ी क्षेत्र तक समस्त प्रदेश में दौरा किया, और इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उसके पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर की ओर वापस ले आया।
5 उसने यहूदा प्रदेश के हर एक किलाबन्द नगर में एक प्रशासक नियुक्त किया।
6 उसने प्रशासकों से कहा, ‘न्याय करने के पूर्व यह सोचो कि तुम न्याय किसके लिए करते हो; क्योंकि तुम मनुष्य के लिए नहीं, बल्कि प्रभु के लिए न्याय करोगे। न्याय करते समय प्रभु तुम्हारे साथ होगा।
7 इसलिए, तुममें प्रभु का भय हो। जो भी प्रशासनिक काम करो, उसको सोच-समझकर करो; क्योंकि हमारा प्रभु परमेश्वर न तो अन्यायी है, और न पक्षपाती, और न वह घूसखोर है।’
8 राजा यहोशाफट ने यरूशलेम में भी लेवी वंश के उपपुरोहितों, पुरोहितों और इस्राएल के पितृकुलों के अध्यक्षों को नियुक्त किया कि प्रभु की ओर से न्याय करें और जनसाधारण के मुकद्दमों का निपटारा करें। उनका न्यायालय यरूशलेम में था।
9 राजा यहोशाफट ने यह आदेश दिया, ‘तुम प्रभु से डरते हुए, सच्चाई से और निष्कपट हृदय से जनता का न्याय करना।
10 जब कभी नगरों में रहने वाले तुम्हारे भाई-बन्धु तुम्हारे पास हत्या, धर्म-व्यवस्था, आज्ञा, संविधि अथवा धर्म-प्रथाओं के सम्बन्ध में कोई मुकद्दमा लाएंगे, तो तुम उनको समझाना कि वे प्रभु के सम्मुख दोषी न बनें, और तुम पर तथा तुम्हारे भाई-बन्धुओं पर प्रभु का क्रोध न भड़के। तुम ऐसा ही करना; तब तुम निर्दोष रहोगे।
11 और सुनो, महापुरोहित अमर्याह प्रभु की आराधना सम्बन्धी सब मुकद्दमों का निर्णय करेंगे। वह तुम्हारे प्रमुख न्यायाधीश होंगे। राजा से सम्बन्धित सब राजकीय मामलों का निपटारा यहूदा कुल के प्रशासक जबद्याह बेन-यिश्माएल करेंगे। वह राजकीय मुकद्दमों में तुम्हारे प्रमुख न्यायाधीश होंगे। लेवी वंश के उप-पुरोहित तुम्हारी सहायता करने वाले मुन्शी होंगे। अत: साहस और धैर्य से न्याय करो। निष्कपट मनुष्य के साथ प्रभु हो।’