2 Chronicles 11
1 रहबआम यरूशलेम नगर में आया। उसने यहूदा कुल और बिन्यामिन कुल के पुरुषों को एकत्र किया। वे एक लाख अस्सी हजार चुने हुए योद्धा थे। रहबआम इस्राएली लोगों से युद्ध कर अपना राज्य वापस लेना चाहता था।
2 परन्तु प्रभु का यह सन्देश ‘परमेश्वर के जन’ शमायाह को मिला:
3 ‘सुलेमान के पुत्र और यहूदा प्रदेश के राजा रहबआम से तथा यहूदा कुल-क्षेत्र और बिन्यामिन कुल-क्षेत्र में रहने वाले सब इस्राएलियों से यह कह:
4 “प्रभु यों कहता है: आक्रमण मत करो। अपने ही भाई इस्राएल प्रदेश के लोगों से युद्ध मत करो। प्रत्येक व्यक्ति अपने घर लौट जाए; क्योंकि इस्राएली राष्ट्र का यह विभाजन मेरी इच्छा से हुआ है।” ’ अत: उन्होंने प्रभु की वाणी सुनी, और यारोबआम पर आक्रमण का विचार त्याग दिया और लौट गए।
5 रहबआम यरूशलेम नगर में रहने लगा। उसने यहूदा प्रदेश की सुरक्षा के लिए ये नगर सुदृढ़ किए:
6 बेतलेहम, एताम, तकोअ,
7 बेत-सूर, सोको, अदुल्लाम,
8 गत, मारेशा, जीप,
9 अदोरईम, लाकीश, अजेकाह,
10 सोराह, अय्यालोन और हेब्रोन। ये सब किलाबन्द नगर थे, और यहूदा तथा बिन्यामिन के कुल-क्षेत्रों में थे।
11 उसने किलाबन्द नगरों को मजबूत किया, और उनमें सेनानायक नियुक्त किए। उन नगरों में उसने भोजन-वस्तु, तेल और अंगूर-रस का भण्डार सुरक्षित रखवा दिया।
12 प्रत्येक नगर में ढालें और तलवारें रखीं। इस प्रकार रहबआम ने प्रत्येक नगर को अत्यन्त सुदृढ़ कर दिया। यों रहबआम यहूदा और बिन्यामिन कुल-क्षेत्रों पर राज्य करने लगा।
13 इस्राएल प्रदेश के कुल-क्षेत्रों में रहने वाले पुरोहित और लेवीय उप-पुरोहित अपने-अपने नगर को छोड़ कर रहबआम के पास आ गए।
14 यारोबआम ने उन्हें प्रभु के पुरोहित-पद से निकाल दिया था। अत: वे लेवी लोग अपने खेत-खलियान और भूमि को छोड़कर यहूदा प्रदेश और यरूशलेम नगर में आ गए।
15 यारोबआम ने पहाड़ी शिखरों पर वेदियां बनाईं और उनमें बछड़ों और बकरों की मूर्तियां प्रतिष्ठित कीं। इन मूर्तियों की सेवा-पूजा करने के लिए उसने अपने ही पुरोहित नियुक्त किए।
16 ये सब लोग भी, जो मन लगाकर इस्राएल के प्रभु परमेश्वर के दर्शन के खोजी थे, पुरोहितों और उप-पुरोहितों के साथ इस्राएल प्रदेश के कुल-क्षेत्रों से निकल गए, और वे अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को बलि चढ़ाने के लिए यरूशलेम नगर में आए।
17 उन्होंने यहूदा प्रदेश का राज्य सुदृढ़ किया, और तीन वर्ष तक राजा सुलेमान के पुत्र रहबआम के हाथ मजबूत किए; क्योंकि वे तीन वर्ष तक राजा दाऊद और राजा सुलेमान के बताए हुए मार्ग पर चलते रहे।
18 रहबआम ने महलत नामक एक स्त्री से विवाह किया। वह दाऊद के पुत्र यरीमोत की पुत्री था। उसकी मां का नाम अबीहईल था जो एलीआब बेन-यिश्शय की पुत्री थी।
19 महलत से ये पुत्र उत्पन्न हुए: यूश, शमर्याह और जाहम।
20 रहबआम ने एक और विवाह किया। उसकी दूसरी पत्नी का नाम माकाह था। वह अबशालोम की पुत्री थी। उससे चार पुत्र उत्पन्न हुए: अबियाह, अत्तै, जीजा और शलोमीत।
21 रहबआम की अठारह रानियां और साठ रखेल थीं। उसके अट्ठाईस बेटे और साठ बेटियां थीं। किन्तु वह अपनी रानियों और रखेलों से अधिक माकाह से प्रेम करता था, जो अबशालोम की पुत्री थी।
22 वह अपनी प्रिय पत्नी माकाह से उत्पन्न पुत्र अबियाह को राजा बनाना चाहता था। अत: उसने अपने अन्य पुत्रों, राजकुमारों के ऊपर उसको युवराज नियुक्त कर दिया।
23 उसने समझ से काम लिया, और अपने अन्य पुत्रों को यहूदा और बिन्यामिन कुलों के क्षेत्रों के किलाबन्द नगरों में अलग-अलग भेज दिया। उसने उनको प्रचुर मात्रा में भोजन सामग्री दी, और उनके लिए अनेक स्त्रियों का प्रबन्ध कर दिया।