1 Samuel 8
1 जब शमूएल वृद्ध हो गया तब उसने अपने पुत्रों को इस्राएलियों का शासक नियुक्त किया।
2 उसके ज्येष्ठ पुत्र का नाम योएल और कनिष्ठ का नाम अबिय्याह था। ये बएरशेबा नगर में शासक थे।
3 परन्तु शमूएल के पुत्र अपने पिता के मार्ग पर नहीं चले। वे पैसा कमाने के लिए अनुचित तरीका अपनाते थे। वे घूस लेकर न्याय को भ्रष्ट करते थे।
4 इस्राएलियों के सब धर्मवृद्ध एकत्र हुए। वे रामाह नगर में शमूएल के पास आए।
5 उन्होंने शमूएल से कहा, ‘देखिए, आप अब वृद्ध हो गए हैं। आपके पुत्र भी आपके मार्ग पर नहीं चल रहे हैं। इसलिए अन्य राष्ट्रों के समान, आप हमारे लिए भी राजा नियुक्त कीजिए।’
6 जब उन्होंने कहा, ‘हम पर शासन करने के लिए हमें राजा दीजिए’, तब शमूएल को उनकी यह बात बुरी लगी। अत: शमूएल ने प्रभु से प्रार्थना की।
7 प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘जो बात इस्राएली लोग तुझसे कहते हैं, उसको तू सुन। उन्होंने तुझे नहीं, बल्कि मुझे अस्वीकार किया है कि मैं उन पर राज्य न करूँ।
8 जिस दिन से मैं उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, उस दिन से आज तक वे अपने सब कर्मों से मेरा त्याग करते और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-आराधना करते रहे हैं। ऐसा ही व्यवहार वे तेरे साथ भी कर रहे हैं।
9 अब तू उनकी बात सुन। तू उन्हें गम्भीरता से सावधान कर। जो राजा उन पर राज्य करेगा, उसके संवैधानिक अधिकार भी उन्हें बता दे।’
10 शमूएल ने प्रभु के ये वचन उन लोगों से कहे, जो उससे राजा की माँग कर रहे थे।
11 शमूएल ने कहा, ‘जो राजा तुम पर राज्य करेगा, उसके संवैधानिक अधिकार ये होंगे: वह तुम्हारे पुत्रों को तुमसे छीन लेगा, और उन्हें अपने रथों का सारथी, और अपना घुड़सवार नियुक्त करेगा। वे उसके रथ के आगे-आगे दौड़ेंगे।
12 वह अपने लिए हजार-हजार, और पचास-पचास सैनिकों पर उन्हें सेनानायक नियुक्त करेगा। वह तुम्हारे पुत्रों से अपने खेत जुतवाएगा। वे उसकी फसल काटेंगे। वह उनसे अपने लिए युद्ध के हथियार और अपने रथों का सामान बनवाएगा।
13 वह तुम्हारी पुत्रियों को भी छीन लेगा कि वे उसकी इत्रफरोश, रसोइया और नानबाई बनें!
14 वह तुम्हारे खेतों, अंगूर के उद्यानों और जैतून के बागों की फसल का उत्तम भाग हथियाकर अपने सेवकों को देगा।
15 वह तुम्हारे अनाज का, अंगूर की फसल का दसवां भाग लेगा, और उसको अपने अधिकारियों और सेवकों को दे देगा।
16 वह तुम्हारे सेवक-सेविकाओं को तथा उत्तम गाय-बैलों और गधों को छीन लेगा, और उनसे अपना काम कराएगा।
17 वह तुम्हारी भेड़-बकरियों का भी दसवां अंश लेगा। तुम उसके गुलाम बन जाओगे।
18 उस दिन तुम अपने राजा के कारण, जिसे तुमने अपने लिए चुना है, दुहाई दोगे! किन्तु प्रभु, उस दिन तुम्हें उत्तर नहीं देगा।’
19 इस्राएली लोगों ने शमूएल की बात सुनना अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘नहीं, हमें राजा ही चाहिए,
20 जिससे हम भी अन्य राष्ट्रों के समान बन सकें। हमारा राजा हम पर शासन करेगा। वह युद्ध के समय हमारे आगे-आगे जाएगा, और हमारे लिए युद्ध करेगा।’
21 शमूएल ने लोगों की ये बातें सुनीं और उन्हें प्रभु के कानों में कह दीं।
22 प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उनकी बात सुन, और उनके लिए एक राजा नियुक्त कर दे।’ अत: शमूएल ने इस्राएली लोगों से कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति अपने नगर को लौट जाए।’