1 Samuel 6
1 प्रभु की मंजूषा सात महीने तक पलिश्ती देश में रही।
2 पलिश्ती लोगों ने अपने पुरोहित और भविष्यवाणी करनेवालों को बुलाया। उन्होंने उनसे पूछा, ‘हमें प्रभु की मंजूषा के साथ क्या करना चाहिए? हमें उसके साथ, उसके स्थान को क्या भेजना चाहिए?’
3 उन्होंने कहा, ‘यदि तुम इस्राएल के परमेश्वर की मंजूषा भेजोगे, तो उसको खाली मत भेजना। तुम्हें उसके परमेश्वर को दोष-बलि निश्चय ही चढ़ानी होगी। तब तुम रोग-मुक्त होगे, और तुम्हें ज्ञात होगा कि उसका हाथ तुम्हारे ऊपर से क्यों नहीं हटा था।’
4 पलिश्तियों ने पूछा, ‘हमें उसको दोष-बलि में क्या चढ़ाना चाहिए?’ उन्होंने कहा, ‘पलिश्तियों के सामंतों की संख्या के अनुसार सोने की पाँच गिल्टियाँ, और सोने के पाँच चूहे चढ़ाना चाहिए, क्योंकि जिस प्लेग से तुम पीड़ित थे, उसी प्लेग से सामंत भी पीड़ित थे।
5 तुम देश को उजाड़ने वाले चूहे तथा अपनी गिल्टियों की मूर्तियाँ बनाओ और इस प्रकार इस्राएल के परमेश्वर की महिमा करो। कदाचित् वह तुम पर से, तुम्हारे देवताओं तथा तुम्हारे देश पर से अपना विनाशक हाथ हटा ले।
6 जैसा मिस्र देश के निवासियों तथा फरओ ने अपना हृदय कठोर कर लिया था वैसा तुम अपना हृदय कठोर क्यों करते हो? जब इस्राएलियों के परमेश्वर ने उन्हें उपहास का पात्र बना दिया तब क्या उन्होंने इस्राएलियों को नहीं जाने दिया था? क्या इस्राएली मिस्र देश से नहीं चले गए थे?
7 अब तुम एक नई गाड़ी बनाओ। दो दुधारू गायें लो, जो अब तक गाड़ी में नहीं जोती गई हैं। उनको गाड़ी में जोतो। उनके बच्चों को उनके पास से दूर कर उनकी गोशाला में ले जाओ।
8 तत्पश्चात् प्रभु की मंजूषा लो, और उसको उस गाड़ी में रखो। जो सोने की मूर्तियाँ तुम दोष-बलि के रूप में उनके परमेश्वर को चढ़ा रहे हो, उनको एक संदूक में रखो और उसको मंजूषा के पास रख दो। तब गाड़ी को भेज दो। उसको स्वयं मार्ग पर जाने दो।
9 किन्तु उस पर दृष्टि रखो! यदि वह अपने देश की सीमा बेतशेमश के मार्ग की ओर जाएगी, तो हम जान लेंगे कि इस्राएल के परमेश्वर ने ही यह बड़ा अनिष्ट किया है। पर यदि गाड़ी उस ओर नहीं जाएगी तो हम समझ लेंगे कि उसके हाथ ने हम पर प्लेग का प्रहार नहीं किया था; वरन् संयोगवश प्लेग फैला था।’
10 पलिश्ती लोगों ने ऐसा ही किया। उन्होंने दो दुधारू गायें लीं। उनको गाड़ी में जोता, और उनके बच्चों को गोशाला में बन्द कर दिया।
11 तत्पश्चात् उन्होंने प्रभु की मंजूषा और संदूक को गाड़ी में रखा, जिसके भीतर चूहों और गिल्टियों की सोने की मूर्तियाँ थीं।
12 गायें सीधे बेतशेमश के मार्ग पर चली गईं। वे रंभाती हुई जा रही थीं। वे मार्ग की न दाहिनी ओर मुड़ीं और न बायीं ओर। पलिश्ती सामंत बेतशेमश की सीमा तक उनके पीछे-पीछे गए।
13 बेतशेमश नगर के लोग घाटी में गेहूँ की फसल काट रहे थे। जब उन्होंने अपनी आँखें ऊपर उठाईं तब मंजूषा को देखा। वे उसके दर्शन करने के लिए आनन्दपूर्वक गए।
14 गाड़ी ने बेतशेमश नगर के यहोशुअ नामक व्यक्ति के खेत में प्रवेश किया। वह वहाँ रुक गई। वहाँ एक बड़ा पत्थर था। उन्होंने गाड़ी की लकड़ी को चीरा, और दोनों पशु अग्नि-बलि के रूप में प्रभु को अर्पित किये।
15 उपपुरोहित लेवियों ने प्रभु की मंजूषा तथा संदूक को गाड़ी से उतारा। संदूक मंजूषा के पास रखा था। उसके भीतर सोने की वस्तुएँ थीं। उप-पुरोहित लेवियों ने मंजूषा और संदूक को बड़े पत्थर पर रख दिया। बेतशेमश नगर के लोगों ने उसी दिन प्रभु को अग्नि-बलि अर्पित की, और बलि-पशु वध किए।
16 पलिश्तियों के पाँचों सामंत यह देखकर, उसी दिन एक्रोन नगर को लौट गए।
17 इन नगरों की ओर से प्रभु को दोष-बलि के रूप में गिल्टियों की सोने की मूर्तियाँ चढ़ाई गई थीं। प्रत्येक नगर की ओर से एक मूर्ति चढ़ाई गई: अश्दोद, गाजा, अश्कलोन, गत और एक्रोन।
18 इनके अतिरिक्त, पलिश्तियों के पाँच सामंतों के अधीन सब किलाबन्द नगरों और बिना परकोटे वाले गाँवों की ओर से, उनकी कुल संख्या के अनुसार, चूहों की सोने की मूर्तियाँ चढ़ाई गई थीं। जिस बड़े पत्थर पर उपपुरोहित लेवियों ने प्रभु की मंजूषा उतारकर रखी थी, वह आज भी बेतशेमश नगर के यहोशुअ के खेत में साक्षी दे रहा है।
19 बेतशेमश के निवासी प्रभु की मंजूषा देखकर आनन्दित हुए थे। परन्तु यकोनीआह के पुत्र आनन्दित नहीं हुए। अत: प्रभु ने उनमें से सत्तर पुरुषों को मार डाला। लोगों ने शोक मनाया; क्योंकि प्रभु ने उनके मध्य महासंहार किया था।
20 बेतशेमश के निवासियों ने कहा, ‘प्रभु के सम्मुख, इस पवित्र परमेश्वर के सामने कौन खड़ा हो सकता है? अब हम उसकी मंजूषा को अपने पास से कहाँ भेजें?’
21 अत: उन्होंने किर्यत-यआरीम नगर के निवासियों को दूतों के हाथ यह संदेश भेजा: ‘पलिश्तियों ने प्रभु की मंजूषा लौटा दी है। आओ, और उसको अपने नगर में ले जाओ।’