1 Samuel 13
1 जब शाऊल.... वर्ष का था तब उसने इस्राएलियों पर राज्य करना आरम्भ किया। उसने बारह वर्षों तक राज्य किया।
2 शाऊल ने इस्राएलियों में से तीन हजार पुरुषों को चुना। उनमें से दो हजार पुरुष मिकमाश नगर और बेत-एल पहाड़ी नगर में उसके साथ थे और एक हजार पुरुष बिन्यामिन प्रदेश के गेबा नगर में उसके पुत्र योनातन के साथ थे। उसने शेष पुरुषों को उनके घर भेज दिया।
3 योनातन ने गिबआह नगर के पलिश्ती प्रशासक को मार डाला। पलिश्तियों ने यह सुना कि इब्रानियों ने विद्रोह कर दिया है। शाऊल ने समस्त देश में विद्रोह का नरसिंगा बजाने का आदेश दिया।
4 समस्त इस्राएलियों ने यह सुना: शाऊल ने पलिश्ती प्रशासक को मार डाला, और इस्राएलियों के लिए पलिश्तियों की शत्रुता मोल ली है। अत: लोगों को आह्वान किया गया कि वे शाऊल का अनुसरण करने के लिए गिलगाल में एकत्र हों।
5 पलिश्ती इस्राएलियों से युद्ध करने के लिए एकत्र हुए। उनके पास तीस हजार रथ, और छ: हजार घुड़सवार थे। पैदल सैनिक तो समुद्रतट के रेत-कणों के सदृश असंख्य थे। उन्होंने बेत-आवेन की पूर्व दिशा से चढ़ाई की, और मिकमाश में पड़ाव डाला।
6 इस्राएलियों पर दबाव पड़ने लगा। जब उन्होंने देखा कि वे संकट में पड़ गए हैं तब वे गुफाओं और कन्दराओं में, चट्टानों, तलघरों और गड्ढों में छिप गए।
7 अनेक इस्राएली यर्दन नदी को पार कर गाद और गिलआद प्रदेश में चले गए। परन्तु शाऊल गिलगाल में ही रहा। उसका अनुसरण करने वाले सब लोग घबराए हुए थे।
8 वह शमूएल द्वारा निश्चित समय तक अर्थात् सात दिन तक ठहरा रहा। किन्तु शमूएल गिलगाल में नहीं आया। लोग शाऊल को छोड़कर बिखरने लगे।
9 तब शाऊल ने आदेश दिया, ‘मेरे पास अग्नि-बलि तथा सहभागिता-बलि लाओ।’ अत: उसने अग्नि-बलि चढ़ाई।
10 उसने अग्नि-बलि चढ़ाना समाप्त ही किया कि शमूएल आया। शाऊल उससे भेंट करने तथा उसका अभिवादन करने के लिए बाहर गया।
11 शमूएल ने कहा, ‘तुमने यह क्या किया?’ परन्तु शाऊल ने उत्तर दिया, ‘मैंने देखा कि लोग मुझे छोड़कर बिखरने लगे हैं, और आप निश्चित अवधि में नहीं आए। उधर पलिश्ती सेना मिकमाश में एकत्र हो रही थी
12 अत: मैंने यह सोचा: अब पलिश्ती गिलगाल में उतरकर मुझ पर आक्रमण करेंगे, और मैंने भेंट द्वारा प्रभु को शान्त करने के लिए कुछ नहीं किया है। ऐसी स्थिति में मैं अग्नि-बलि चढ़ाने को विवश हो गया।’
13 शमूएल ने शाऊल से कहा, ‘तुमने मूर्खतापूर्ण कार्य किया है। जिस आज्ञा का पालन करने को तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने कहा था उसका तुमने पालन नहीं किया। अन्यथा प्रभु इस्राएलियों पर सदा के लिए तुम्हारा राज्य स्थिर कर देता।
14 अब तुम्हारा राज्य स्थिर नहीं रहेगा। प्रभु ने अपने हृदय के अनुरूप एक पुरुष को खोज लिया है। उसने अपने लोगों पर शासन करने के लिए अगुए के रूप में उसे नियुक्त कर लिया है; क्योंकि तुमने उस आज्ञा का पालन नहीं किया, जो प्रभु ने तुम्हें दी थी।’
15 तत्पश्चात् शमूएल उठा। वह गिलगाल से अपने मार्ग पर चला गया। शाऊल ने अपने अनुचरों की गणना की। वे छ: सौ पुरुष निकले।
16 शाऊल, उसका पुत्र योनातन और उसके अनुचर बिन्यामिन प्रदेश के गेबा में ठहरे रहे। परन्तु पलिश्ती मिकमाश में पड़ाव डाले रहे।
17 तब छापामार सैनिकों के तीन दल पलिश्ती पड़ाव से बाहर निकले। एक दल शूअल देश की ओर मुड़ा और उसने ओफ्राह नगर का मार्ग पकड़ा।
18 दूसरा दल बेत-होरोन नगर के मार्ग की ओर मुड़ा। तीसरा दल उस पहाड़ी की ओर गया, जो निर्जन प्रदेश की ओर सबोईम घाटी पर प्रलम्ब के रूप में खड़ी है।
19 समस्त इस्राएल देश में लोहार उपलब्ध नहीं थे; क्योंकि पलिश्ती नहीं चाहते थे कि इब्रानी भी तलवार और भाले बनाएँ।
20 इसलिए इस्राएली अपने हल की फाल, फावड़ा, कुल्हाड़ी या हँसुए की धार तेज कराने के लिए पलिश्तियों के पास जाते थे।
21 हल की फाल अथवा फावड़ा की धार बनाने का मूल्य चाँदी के सिक्के का दो-तिहाई हिस्सा था। किन्तु कुल्हाड़ी की धार तेज कराने अथवा अंकुश की नोक ठीक कराने के लिए चाँदी के सिक्के का एक तिहाई हिस्सा देना पड़ता था।
22 इस कारण मिकमाश के युद्ध के दिन शाऊल और योनातन की सेना के किसी भी सैनिक के हाथ में तलवार या भाला उपलब्ध नहीं हुआ। निस्सन्देह शाऊल और उसके पुत्र योनातन को ये हथियार उपलब्ध थे।
23 पलिश्ती सेना की चौकी के सैनिक मिकमाश के दर्रे की ओर निकल गए।