1 Kings 14
1 उस समय यारोबआम का पुत्र अबियाह बीमार पड़ा।
2 यारोबआम ने अपनी पत्नी से यह कहा, ‘उठो और भेष बदलो जिससे लोग तुम्हें पहिचान न सकें कि तुम मेरी पत्नी हो। तब तुम शिलोह नगर जाना। वहाँ नबी अहियाह रहते हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं इस्राएली लोगों पर राज्य करूंगा।
3 तुम अपने साथ दस रोटियां, कुछ किशमिश और एक मर्तबान में शहद लेकर उनके पास जाना। वह तुम्हें हमारे लड़के के विषय में बताएंगे कि उस का हाल क्या होगा।’
4 यारोबआम की पत्नी ने ऐसा ही किया। वह तैयार हुई और शिलोह नगर को गई। उसने अहियाह के घर में प्रवेश किया। आयु अधिक हो जाने के कारण अहियाह की आंखों की ज्योति मन्द पड़ गई थी। अब अहियाह देख नहीं सकता था।
5 प्रभु ने अहियाह से कहा, ‘देख, यारोबआम की पत्नी अपने पुत्र के स्वास्थ्य के विषय में तुझसे पूछ-ताछ करने के लिए आ रही है। उसका पुत्र बीमार है। तू उससे अमुक-अमुक बातें कहना।’ जब वह आई तब उसने दूसरी स्त्री होने का बहाना किया।
6 परन्तु जब वह प्रवेश-द्वार पर पहुंची, अहियाह ने उसके कदमों की आवाज सुन ली। अहियाह ने कहा, ‘आओ, यारोबआम की पत्नी, भीतर आओ।’ और उससे पूछा, ‘तुमने क्यों दूसरी स्त्री होने का बहाना किया? मुझे तुम्हारे लिए एक अप्रिय सन्देश प्राप्त हुआ है।
7 जाओ, और यारोबआम से यह कहो: इस्राएली राष्ट्र का प्रभु परमेश्वर यों कहता है, “मैंने तुझे समाज में उन्नत किया। मैंने तुझे अपने निज लोग इस्राएलियों का अगुआ बनाया।
8 मैंने दाऊद के परिवार से राज्य छीना, और वह तुझे प्रदान किया। फिर भी तूने मेरे सेवक दाऊद के समान आचरण नहीं किया। मेरा सेवक दाऊद मेरी सब आज्ञाओं का पालन करता था। वह सम्पूर्ण हृदय से मेरा अनुसरण करता था। जो कार्य मेरी दृष्टि में उचित है, वह उसी कार्य को करता था।
9 किन्तु तूने दुष्कर्म करने में अपने पूर्वजों को भी पछाड़ दिया। तूने अपने लिए अन्य देवताओं की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित कीं, धातु की मूर्तियाँ ढालीं। यों तूने मुझे चिढ़ाया, और मुझ से अपना मुंह मोड़ लिया।
10 इसी कारण मैं यारोबआम के परिवार पर विपत्ति का पहाड़ ढाहूंगा। मैं इस्राएल प्रदेश में यारोबआम के हरएक सेवक और गुलाम को, उसके प्रत्येक पुरुष को, नष्ट कर दूंगा। जैसे व्यक्ति गोबर के कण्डे को जलाकर राख कर देता है वैसे ही मैं यारोबआम के वंश को पूर्णत: नष्ट कर दूंगा।
11 यारोबआम के पक्ष का व्यक्ति, जो नगर में मारा जाएगा, उसका शव कुत्ते खाएंगे। और जो खुले मैदान में मारा जाएगा, उसक शव आकाश के पक्षी खाएँगे।” यह प्रभु की वाणी है।
12 अब तुम उठो, और अपने घर जाओ। जिस क्षण तुम नगर में प्रवेश करोगी, उसी क्षण तुम्हारा लड़का मर जाएगा।
13 समस्त इस्राएल प्रदेश उसके लिए शोक मनाएगा। तब उसको कबर में गाड़ना। यारोबआम के परिवार का केवल यही पुत्र धार्मिक विधि के अनुसार कबर में गाड़ा जाएगा, अन्य नहीं; क्योंकि इस्राएली राष्ट्र के प्रभु परमेश्वर ने यारोबआम के परिवार में केवल इसी में अच्छाई पाई है।
14 इसके अतिरिक्त प्रभु अपने लिए एक अन्य व्यक्ति को इस्राएलियों का राजा नियुक्त करेगा। यह राजा यारोबआम के वंश को लुप्त कर देगा। यह आज होगा; तो कल क्या होगा?
15 जैसे नरकुल पानी की मार से कांपता है वैसे इस्राएल प्रदेश परमेश्वर की मार से कांपेगा। वह इस्राएलियों को इस हरी-भरी उपजाऊ भूमि से उखाड़ देगा, जो उसने उनके पूर्वजों को प्रदान की थी। वह उन्हें फरात नदी के उस पार बिखेर देगा, क्योंकि उन्होंने अशेराह देवी के खम्भों की प्रतिष्ठा कर उनकी पूजा की और इस प्रकार प्रभु को चिढ़ाया।
16 यारोबआम के पापों के कारण, जो स्वयं यारोबआम ने किए, और इस्राएल प्रदेश की जनता से कराए, प्रभु इस्राएल प्रदेश को त्याग देगा।’
17 तब यारोबआम की पत्नी उठी। उसने वहाँ से प्रस्थान किया। वह तिर्साह नगर में आई। जब वह अपने महल की ड्योढ़ी पर पहुँची, उसी क्षण उसका लड़का मर गया।
18 लोगों ने उसको कबर में गाड़ा। सम्पूर्ण इस्राएल प्रदेश की जनता ने उसके लिए शोक मनाया। ऐसा ही प्रभु ने अपने सेवक नबी अहियाह के माध्यम से कहा था।
19 यारोबआम के शेष कार्यों का विवरण, उसके युद्धों का, उसके राज्य-काल का विवरण, ‘इस्राएल प्रदेश के राजाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में लिखा हुआ है।
20 यारोबआम ने बाईस वर्ष तक राज्य किया। तत्पश्चात् वह अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। उसके स्थान पर उसका पुत्र नादाब राज्य करने लगा।
21 यहूदा प्रदेशों में सुलेमान का पुत्र रहबआम राज्य करता था। जब उसने राज्य करना आरम्भ किया, तब उसकी आयु इकतालीस वर्ष की थी। उसने राजधानी यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राज्य किया। प्रभु ने अपने नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए इस्राएल के समस्त कुलों के भूमि-क्षेत्रों से इस यरूशलेम नगर को चुना था। रहबआम की मां का नाम नामाह था। वह अम्मोन देश की थी।
22 जो कार्य प्रभु की दृष्टि में बुरा था वही कार्य यहूदा प्रदेश के निवासियों ने किया। उन्होंने अपने पापमय आचरण से प्रभु की ईष्र्या को भड़काया। उन्होंने अपने पूर्वजों से अधिक दुष्कर्म किए।
23 उन्होंने हरएक पहाड़ी शिखर पर और हरे-भरे वृक्ष के नीचे वेदियां, पूजा-स्तम्भ और लकड़ी के खम्भे प्रतिष्ठित किए।
24 प्रदेश में पूजा-गृहों में पुरुषगमन करवाने वाले सेवक भी थे। ये उन जातियों के घृणित कार्यों का अनुसरण करते थे, जिनको प्रभु ने इस्राएलियों के सम्मुख से निकाल दिया था।
25 रहबआम के राज्य-काल के पांचवें वर्ष मिस्र देश के राजा शीशक ने यरूशलेम नगर पर चढ़ाई की।
26 उसने प्रभु के भवन का और राजमहल का खजाना लूट लिया। वह सब कीमती वस्तुएँ ले गया। जो सोने की ढालें राजा सुलेमान ने बनाई थीं, वह उनको भी ले गया।
27 राजा रहबआम ने सोने की ढालों के स्थान पर पीतल की ढालें बनाईं, और उनको मुख्य द्वारपालों के हाथ में सौंप दिया। ये राजमहल के प्रवेश-द्वारों पर पहरा देते थे।
28 जब राजा रहबआम प्रभु के भवन को जाता था तब द्वारपाल उनको उठा कर ले जाते थे। वहां से लौटकर वे उनको शस्त्रागार में रख देते थे।
29 रहबआम के शेष कार्यों का विवरण, उसके सब कार्यों का विवरण, ‘यहूदा प्रदेश के राजाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में लिखा हुआ है।
30 रहबआम और यारोबआम के मध्य निरन्तर युद्ध होते रहे।
31 रहबआम अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। वह दाऊदपुर में अपने पूर्वजों के कब्रिस्तान में गाड़ा गया। उसकी मां का नाम नामाह था। वह अम्मोनी देश की थी। रहबआम के स्थान पर उसका पुत्र अबियाम राज्य करने लगा।